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महंत नरेंद्र गिरि मौत मामला: दो घंटे तक चला शव का पोस्टमार्टम,


  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदेहास्पद स्थिति में हुई मौत की जांच जारी है. सुसाइड नोट में कई ऐसे प्वाइंट्स मिले हैं जिसे देखकर लगता है कि वो मानसिक प्रताड़ना झेल रहे थे और इस वजह से उन्होंने शायद आत्महत्या की होगी. हालांकि ये हत्या है या आत्महत्या ये तो जांच की रिपोर्ट के बाद ही पता चला चलेगा. उनके शव का पोस्टमार्टम हो चुका है और अब 12 बजे उन्हें समाधि दी जाएगी.

पांच डॉक्टरों की टीम ने कैमरे के सामने किया पोस्टमार्टम

महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका है. पांच डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया है. जानकारी के मुताबिक MLN मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर, जिला अस्पताल के दो और सीएमओ ऑफिस से अटैच एक डॉक्टर पोस्टमार्टम ने वीडियोग्राफी के दौरान पोस्टमार्टम किया है. आज दोहपर 12 बजे महंत नरेंद्र गिरि की भू समाधि होगी और आज ही उनके उत्तराधिकारी का चुनाव होगा.

संदीप तिवारी गिरफ्तार
पुलिस ने बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी के बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार कर लिया है. संदीप तिवारी को आद्या तिवारी और आनंद गिरी के साथ आज दोपहर बाद अदालत में पेश किया जाएगा.

बता दें कि महंत नरेंद्र गिरी के मौत मामले की जांच के लिए 18 सदस्यों की SIT का गठन किया गया है. अब तक इस मामले में आनंद गिरि और आद्या तिवारी की गिरफ्तारी हो चुकी है. आज दोपहर दो बजे आरोपियों की कोर्ट में पेशी होगी.

तो क्या ब्लैकमेलिंग ने ली महंत नरेंद्र गिरी की जान?
महंत नरेंद्र गिरि के एक शिष्य ने बताया था कि उन्होंने एक वीडियो भी बनाया था, अप उस वीडियो की भी पड़ताल होगी, जो महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से सुर्खियों में है. कहा जा रहा है कि इस वीडियो का ब्लैकमेलिंग कनेक्शन भी हो सकता है.

12 पन्नों के सुसाइड नोट में बहुत कुछ लिखा है

दो लिफाफो में मिले इस सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार बताया है. ये तीन लोग हैं, उनके शिष्य महंत आनंद गिरी, प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनका पुत्र संदीप तिवारी.

इस सुसाइड में लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि ने 13 सितंबर को आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन तब वो इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए.

अगर ये दावा सही है तो इस हिसाब से महंत नरेंद्र गिरि ने ये नोट 13 सितंबर को ही लिख लिया था. लेकिन इसी नोट के कुछ पन्ने ऐसे हैं, जिन पर तारीख को पेन से काटा नहीं गया है और ये तारीख 20 सितंबर है. इसलिए ये कहना मुश्किल है कि ये नोट एक ही तारीख को लिखे गए, या अलग-अलग तारीख पर लिखे गए.