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महाराष्‍ट्र सरकार को हाई कोर्ट की फटकार, कहा- हेलीपैड नहीं बल्‍क‍ि बच्‍चों को स्‍कूल जाने के लिए सड़कें हैं जरूरी


मुंबई। महाराष्‍ट्र सरकार को फटकारते हुए बांबे हाई कोर्ट ने कहा क‍ि राज्‍य के गांवों में हेलीपैड से अधिक जरूरत सड़कों की है। गांव में बच्‍चों को स्‍कूल तक जाने के लिए सड़कें नहीं हैं और सरकार द्वारा हेलीपैड बनाने का एलान किया गया है। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए बांबे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा क‍ि गांव में हेलीपैड बनने से उन्‍हें कोई परेशानी नहीं है लेकिन महाराष्‍ट्र में बच्‍चों को स्‍कूल तक जाने के लिए सरकार को अच्‍छी सड़कें उपलब्‍ध करानी चाहिए। जस्टि‍स प्रसन्‍ना वाराले की अगुवाई वाली बेंच ने यह बयान दिया है।

पहले नदी फिर जंगल के रास्‍ते को पार कर बच्‍चे पहुंचते हैं स्‍कूल

महाराष्‍ट्र के सतारा जिला स्थि‍त खिरखिंदी (Khirkhindi) गांव के विद्यार्थी के शोषण मामले पर दायर जनह‍ित याचिका को लेकर स्‍वत: संज्ञान लिया गया। खिरखिंदी गांव के छात्र-छात्राओं को कोयना नदी में नाव के जरिए रास्‍ता तय करने के बाद जंगल से गुजरकर स्‍कूल पहुंचना होता है।

गांव में सड़कों के साथ पुल भी हैं नदारद

कोर्ट ने महाराष्‍ट्र के मुख्‍य सचिव से विभागों के सेक्रेटरी के साथ बैठक करने और मामले में पाजिटिव व स्‍थायी समाधान ढूंढने के लिए भी कहा है। श‍िक्षा पाने के क्रम में बच्‍चों की मदद के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध होने पर कोर्ट ने जोर दिया। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा क‍ि सतारा जिले में दो हेलीपैड हैं लेकिन सड़कें और पुल नदारद है। जस्टिस वाराले ने कहा, ‘गांवों में हेलीपैड के होने पर हमें आपत्‍त‍ि नहीं है, लेकिन हम बच्‍चों को स्‍कूल व कालेज जाने के लिए सड़कों की सुविधा भी चाहते हैं ताक‍ि शिक्षा पूरी करने के बाद वे समाज की मदद कर सकें।’

महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा जिला निवासी हैं। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को वित्‍त, ग्रामीण विकास, शिक्षा और सामाजिक न्‍याय विभागों के सचिवों के साथ बैठक का निर्देश दिया है। इसके बाद समाधान को लेकर रिपोर्ट फाइल करने के लिए 30 अगस्‍त तक का समय दिया है। बता दें कि रिपोर्ट के साथ अधिकारियों का हलफनामा भी चाहिए।