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योद्धा की तरह हुआ बिहार लौटे सबाह का स्वागत, उत्तरकाशी सुरंग में 17 दिनों तक मौत से लड़ी लड़ाई


आरा। : उत्तरकाशी में सिंक्ल्यारा टनल में 17 दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद घर वापस लौट रहे कामगार न केवल अपने साथ जिंदगी में कभी न भूलने वाली यादें लेकर आ रहे हैं, बल्कि आने पर गांव-घर के लोग योद्धा की तरह उनका स्वागत कर रहे हैं।

स्वागत को उमड़ा पूरा गांव

भोजपुर के पेउर गांव के सबाह अहमद शुक्रवार की सुबह जब अपने घर पहुंचे तो पूरे अंचल के लोग उनके स्वागत में उमड़ पड़े। घर से आधा किलोमीटर दूर से ही सहार-सकड्डी मार्ग पर फूल-माला लेकर लोग सबाह के स्वागत में खड़े थे। जैसे ही उनकी गाड़ी घर के पास पहुंची, लोगों ने फूलों की मालाओं से उन्हें लाद दिया।

माता पिता से मिलने के बाद हुए भावुक

इसी दौरान पिता मो.मिस्बाह अहमद से जब वो गले मिले तो दोनों भावुक हो गए। स्वागत में पहुंचे चाचा मो.मुख्तार अहमद, पूर्व मुखिया अफजाल अहमद, अंजार अहमद, कोरनडिहरी पंचायत के मुखिया रामसुबक सिंह, पेरहाप के मुखिया महेन्द्र प्रताप, जिला परिषद सदस्य मीना कुमारी, समरेश सिंह, सहार मुखिया बसंत कुमार आदि ने बताया पूरे जिले के लोग भोजपुर के लाल के सुरक्षित वापसी की कामना कर रहे थे, ईश्वर ने उनकी प्रार्थना सुन ली। सबाह टनल निर्माण कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत हैं।

उत्तरकाशी सुरंग में 17 दिनों तक फंसे थे

12 नवंबर की सुबह निर्माण कार्य के दौरान टनल हादसे में 41 श्रमिकों के साथ वे भी फंस गए थे। 17 दिन चले बचाव अभियान के बाद सभी श्रमिकों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सबाह ने बताया कि टनल में फंसे बिहार के सभी कामगारों की दिल्ली से घर तक आने की टिकट की व्यवस्था बिहार सरकार ने की। वे लोग सुबह की फ्लाइट से पटना पहुंचे और वहां से घर तक पहुंचाने के लिए चार पहिया वाहन की व्यवस्था की गई।