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राम मंदिर निर्माण और काशी-जगन्नाथपुरी के कायापलट से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा


,नई दिल्ली। सदियों की प्रतीक्षा के बाद अवध में राजा राम का धूमधाम से आगमन हो चुका है। पूरा देश अभी अयोध्यामय हो रखा है। देश में राममय का माहौल बना हुआ है लेकिन सिर्फ अयोध्या के लिए यह साल यादगार होने वाला नहीं है अयोध्या के साथ-साथ वाराणसी और जगन्नाथ पूरी के लिए भी यह साल यादगार होगा।

जहां अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या का कायापलट होने वाला है उसी तरह जगन्नाथ पुरी और बनारस में बने नए कॉरिडोर से भक्तों के लिए सुगम रास्तों का निर्माण किया गया है। यह सभी परिवर्तन आने वाले सालों में सिर्फ भक्तों के लिए ही नहीं इन स्थानों पर आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करने वाला है।

देश में वाराणसी, अयोध्या और जगन्नाथ पुरी भारत के तीन सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र माने जाते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान अपने आप में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो उन्हें तीर्थयात्रियों और पर्यटकों दोनों के लिए केंद्रीय आकर्षण बनाता है। इन तीनों स्थानों पर चल रहे धार्मिक परियोजनाओं का लक्ष्य पर्यटकों को एक बिल्कुल बदला हुआ बेहतरीन अनुभव प्रदान करना है।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण

 

अयोध्या हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में प्रतिष्ठित है। यह शहर हिंदुओं के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है, और यह सदियों से हिंदू तीर्थयात्रा का केंद्र बिंदु रहा है। राम जन्मभूमि, जिसे भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है, एक विवादास्पद धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा रहा है, लेकिन शुरू से ही इस शहर ने आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है।

अयोध्या में 1,800 करोड़ की लागत से बनने वाले राम मंदिर के पहले चरण का उद्घाटन 22 जनवरी को बड़े ही धूमधाम से किया गया। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के मुताबिक, मंदिर का यह उद्घाटन देश में राम राज्य की स्थापना के लिए है। अयोध्या में निर्माण किये जा रहे राम मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। राम मंदिर में कलाकृति से लेकर सनातन संस्कृति तक सब कुछ मौजूद है।

 

मंदिर के भव्यता की बात करें तो मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। राम मंदिर को तीन फ्लोर में बांटा गया है और सभी फ्लोर की 20 फीट है। राम मंदिर में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पावर स्टेशन बनाया गया है। राम मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र बनाया गया है। इसके अलावा मंदिर में स्नानघर, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा मौजूद हैं।

अयोध्या को किस-किस चीज की मिलेगी सौगात

कई अर्थशास्त्री और मार्केटएक्सपर्ट बताते है की मंदिर निर्माण से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। मंदिर के खुलने के बाद देश की ईकानमी में पाज़िटिव बदलाब देखने को मिलेंगे। अयोध्या को नए तरीके से सवारने का काम किया जा रहा है। कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे जो राम मंदिर की शोभा में चार चांद लगाएंगे। मंदिर का निर्माण भारत के राम भक्तों के साथ -साथ दुनियाभर के पर्यटकों को भी आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है। इसी के तहत अयोध्या में जल्द ही एयरपोर्ट बनाया जाएगा ताकि देश से लेकर विदेश तक के राम भक्त आसानी से अयोध्या आ सकें। अयोध्या में एयरपोर्ट के साथ ही रेलवे स्टेशन का भी निर्माण होगा।

वैश्विक नगरी के रूप में प्रतिष्ठित होगी अयोध्या नगरी

  • ‘अयोध्या’ नाम की पुनर्स्थापना कराने के लिए 13 नवंबर 2018 को फैजाबाद जिला व मंडल का नाम बदलकर अयोध्या करने का फैसला किया गया।
  • योगी सरकार ने पिछले साढ़े छह वर्ष में न सिर्फ रात-दिन एक किया लगभग 80 माह में 49 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं से पूरी अयोध्या को बदल दिया।
  • अवधपुरी में संचालित हो रहीं हैं 30.5 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं
  • 178 परियोजनाओं के जरिये अयोध्या को विश्वस्तरीय नगरी के रूप में विकसित करने का है संकल्प
  • साल 2024 के दिसंबर तक पूरे होंगे कई प्रोजेक्ट
  • योगी सरकार अयोध्या को वैश्विक नगरी के रूप में तेजी से विकसित कर रही है।
  • इन सभी परियोजनाओं का मकसद अयोध्या को सक्षम, आधुनिक, सुगम्य, सुरम्य, भावात्मक, स्वच्छ और आयुष्मान नगर के रूप में स्थापित करने का संकल्प है।

बनारस – धर्म और मोक्ष की नगरी

वाराणसी, जिसे बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है। इसे भारत की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है, और इसका महत्व हिंदू तीर्थयात्रा, आध्यात्मिकता और प्राचीन ग्रंथों और दर्शन के अध्ययन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। गंगा नदी इस शहर से होकर बहती है, और ऐसा माना जाता है कि वाराणसी में गंगा में पवित्र डुबकी लगाने से सभी के पाप धुल जाते हैं। इस शहर को मंदिरों का घर भी कहा जाता है इसी शहर में भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर भी शामिल है, जो 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। शहर की जीवंत संस्कृति, पारंपरिक संगीत, शास्त्रीय नृत्य और आध्यात्मिक माहौल इसे पर्यटकों के सबसे पसंदीदा और आकर्षक तीर्थ स्थलों में से एक बनाता है।

 

बनारस अपने घाट और काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा अपनी तंग गलियों के लिए भी मशहूर है। बनारस की पतली-पतली गलियों से सभी परिचित है जो भी वहां गए हैं उन्हें पता है बनारस की संकरी गलियों से गुजर के ही शिव के दर्शन होते हैं। सरकार ने इन्हीं पतली गलियों की वजह से होने वाली शिव भक्तों की दिकत की वजह से यहां भव्य कॉरिडोर का निर्माण करा दिया गया है, जिसका एक गेट सीधे मां गांगा के तट से जुड़ा है।

  • काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को किया गया था।
  • इसके बाद काशी विश्वनाथ धाम विदेशी मेहमानों की भी श्रद्धा का केंद्र बना।
  • काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों के लिए पहुंच और सुविधाएं बढ़ाने के बाद पर्यटकों में काफी वृद्धि देखी गई।

पुरी मंदिर क्षेत्र को 2024 तक लाया गया

जहां अयोध्या में रामलला ठाठ से विराजमान हॉक हुके हैं तो वहीं कुछ दिन पहले राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा के आयोजन से पहले ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के भी कायापलट की भव्यता देखि गई। ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर को लेकर चल रही कॉरिडोर की एक परियोजना को पूर्ण रूप दिया गया। जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर के नाम से इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन सीएम नवीन पटनायक द्वारा किया गया। इस परियोजना को श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प (एसपीपी) नाम भी दिया गया है।

 

  • साल 2019 में इस परियोजना को ओडिशा कैबिनेट से हरी झंडी मिली थी।
  • परियोजना को हरी झंडी मिलने के एक महीने बाद इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया।
  • 3000 करोड़ से अधिक की इस परियोजना को कॉरिडोर सहित मंदिर के पुनर्विकास करने समेत कई भागों में बांटा गया।
  • परिक्रमा प्रकल्प परियोजना के तहत पुरी को एक नया रूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
  • हेरिटेज कॉरिडोर बनने के बाद रथ यात्रा जैसे अन्य समारोह में भक्तों के जमावड़े को एक सुरक्षित माहौल मिलेगा।
  • हेरिटेज कॉरिडोर के भीतर मौजूद मठ मंदिरों के पुनर्विकास कार्य किए गए हैं।