सम्पादकीय

राष्ट्रीय चिह्नके दुरुपयोगकी स्थिति


एम.पी.सिंह पाहवा

प्रत्येक देशके राष्ट्रीय चिन्हकी अपनी विशेषता होती है। इसी विशेषताके चलते किसी दस्तावेजध्पत्रपर छपे राष्ट्रीय चिन्हसे यह अंदाजा लग जाता है कि दस्तावेज/पत्र किस देशसे संबंधित हैं। राष्ट्रीय चिन्होंको अलग दर्शानेके लिए इसका चुनाव बड़ी सावधानी तथा कुछ ऐतिहासिक, भौगोलिक या सांस्कृतिक उद्देश्यको मुख्य रख कर किया जाता है। इसी कारण इसका गैरकानूनी इस्तेमाल या नकल करनेकी मनाही होती है। हमारे देशका राष्ट्रीय चिन्ह सम्राट अशोकके सारनाथसे लिया गया है।  वास्तविक स्तभमें चारों दिशाओंकी ओर चार शेर, हाथी, एक घोड़ा, बैल तथा एक शेर है। इसमें अशोक चक्र भी बना हुआ है। हमारी सरकारने इस चिन्हको २६ जनवरी १९५० को अपनाया था। इसमें तीन शेर दिखाई देते हैं तथा चौथा शेर नजर नहीं आता। इसपर सत्यमेव जयते भाव सत्यकी हमेशा जीत होती है, लिखा हुआ है।

राष्ट्रीय चिन्हकी महत्ताको देखते हुए इसका इस्तेमाल प्रत्येक व्यक्ति नहीं कर सकता। इसकी नकल करनेकी मनाही भी है। कहते हैं कि जब घरोंमें चोरियां होनेका रुझान बढऩे लगा तो ताला लगानेकी जरूरत महसूस की गयी। इसी तरह जब राष्ट्रीय चिन्होंके दुरुपयोगका प्रचलन बढने लगा तो फिर इसका दुरुपयोग रोकनेके लिए विशेष कानून बनानेकी जरूरत पड़ी। इसी मकसदसे भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह (दुरुपयोगकी रोकथाम) एक्ट २००५ बनाया गया। इसके बाद २००७ में इस राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल नियमित करनेके लिए नियम भी बनाये गये। इस एक्टकी धारा तीनके अनुसार किसी भी व्यक्तिको केंद्र सरकार या इसकी ओरसे किसी अधिकृत अधिकारीकी स्वीकृतिके बिना राष्ट्रीय चिन्ह या इसके जैसा नजर आनेवाला कोई अन्य चिन्हको अपनानेकी मनाही है जिससे यह प्रभाव मिल रहा हो कि यह व्यक्ति, दस्तावेज या संस्था केंद्र या किसी राज्य सरकारसे संबंधित हो।

इसकी मनाहीमें केंद्र या राज्य सरकारके पूर्व अधिकारी भी शामिल हैं। बनाये गये नियमोंके तहत राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, उप राज्यपाल, संसदीय कार्यालय और अधिकारी- न्यायपालिका, कार्यालयके अधिकारी, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्तके कार्यालयके अधिकारी, केंद्रीय लोकसेवा आयोगके प्रमुख या सदस्य, उनका कार्यालय, अधिकारी, केंद्रीय मंत्रालयध्राज्यके मुख्य मंत्री, मंत्री,  संसद सदस्य, विधानसभामें अपने कार्यालयकी मोहर तथा सरकारी, अद्र्धसरकारी स्टेशनरीमें राष्ट्रीय चिन्हके इस्तेमाल करनेवाले लोग शामिल हैं। जो संवैधानिक अधिकारी तथा अन्य प्रमुख शखिसयतें अपने वाहनके ऊपर राष्ट्रीय चिन्हका इस्तेमाल करनेका अधिकार रखते हैं, उनमें राष्ट्रपति, यात्रापर आये बाहरके देशोंके प्रमुख, उप राष्ट्रपति, राज्योंके राज्यपाल तथा उप राज्यपाल शामिल हैं।

प्रधानमंत्री/ केंद्रीय मंत्री, लोकसभाके स्पीकर,डिप्टी स्पीकर, राज्य सभाके उप सभापति अपनी कारके ऊपर अशोक चक्र (जो राष्ट्रीय चिन्ह का हिस्सा है) की प्लेटका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह सुप्रीमकोर्टके मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, हाईकोर्टके मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश अपने अधिकार क्षेत्रमें वाहनके ऊपर ऐसी प्लेटका इस्तेमाल कर सकते हैं। राज्यके मंत्री, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर भी अपने-अपने राज्योंमें ऐसी प्लेट लगा सकते हैं। महत्वपूर्ण इमारतों जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद, सुप्रीमकोर्ट, केंद्रीय सचिवालयकी इमारतके ऊपर भी राष्ट्रीय चिन्ह लगाया जा सकता है। नियम दसमें स्पष्टतौरपर दर्शाया गया है कि कोई भी पूर्व अधिकारी पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व जज तथा सेवानिवृत्त अधिकारी बिना अधिकारके इस राष्ट्रीय चिन्हका इस्तेमाल नहीं कर सकते।

इसी तरह कोई कमिशन/कमेटी, सरकारी सैक्टरका विभाग, बैंक, नगर कौंसिल, गैर-सरकारी संघटन, विश्वविद्यालय भी बिना अधिकारके इन चिन्होंका इस्तेमाल नहीं कर सकते। बताये गये एक्टकी धारा ४ के अधीन राष्ट्रीय चिन्हकी किसी व्यापार, कार्यके इस्तेमालमें भी मनाही है। किसी पेटैंटके टाइटल, ट्रेडमार्क या डिजाइनमें भी इस चिन्हकी गैर-कानूनी ढंगसे इसके इस्तेमाल की मनाही है।

कार्यालयकी मोहर तथा सरकारी स्टेशनरी, अद्र्ध सरकारी स्टेशनरीके ऊपर राष्ट्रीय चिन्हके इस्तेमाल कर सकने वाली शख्सियतें, अधिकारी तथा कार्यालयके विजिटिंग कार्ड तथा ग्रीटिंग कार्ड के लिए इस चिन्हका इस्तेमाल सिर्फ किसी जायज मंतव्यके लिए कर सकते हैं। सरकार द्वारा जारी प्रकाशकों, फिल्मो, दस्तावेजी फिल्मों, अष्टाम पेपरों, सरकारी इश्तिहार, बैनर्ज, पोस्टर, बोर्ड इत्यादिके लिए इस चिन्हके इस्तेमालकी मंजूरी है। एक्ट की धारा ७ के अनुसार जो भी व्यक्ति इस राष्ट्रीय चिन्हका दुरुपयोग करेगा उसको दो वर्षोंकी कैद तथा ५००० रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। जुर्मको दोहराने वालेके लिए कमसे कम धह महीने की कैद और जुर्माना होगा।

राष्ट्रीय चिन्हके दुरुपयोगकी रोकथामके लिए बनाये गये कानून तथा इन चिन्होंके इस्तेमालको नियमित रखनेके लिए बनाये गये नियमोंसे यह प्रकट होता है कि राष्ट्रीय चिन्होंका दुरुपयोग नहीं हो सकता मगर यह सब वास्तविकतासे काफी दूर हैं। आज भी बहुत सारी वैबसाइटें, मोबाइल एप्स संस्थाएं तथा कई लोगोंकी ओरसे राष्ट्रीय चिन्होंका दुरुपयोग सरेआम किया जा रहा है। राष्ट्रीय चिन्होंके दुरुपयोगको रोकनेके लिए सरकारकी ओर से जुर्मानेको ५००० से बढ़ा कर पांच लाख करनेकी तजवीज बनायी गयी थी ताकि कानून और सख्त हो जायं। जिस रफ्तारसे राष्ट्रीय चिन्होंका दुरुपयोग हो रहा है उसीफ्तारसे इसका दुरुपयोग करने वालोंके खिलाफ काररवाई नहीं हो रही।