देशमें कोरोनाके खिलाफ जंगमें राहत, गर्व और चिन्ताकी बातें एक साथ सामने आयी हैं। राहतकी बात यह है कि मंगलवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंके दौरान ९१ दिनोंके बाद नये मामलोंकी संख्या ५० हजारसे नीचे ४२,६४० पर रही और मृतकोंकी संख्या घटकर ११६७ पर आ गयी। पाजिटिवटीके रेट पिछले १५ दिनोंसे पांच प्रतिशतके नीचे बनी हुई है, जबकि रिकवरी रेट लगातार ४० दिनोंके अन्दर सुधरकर ९६.४९ प्रतिशतपर आ गयी है। पिछले २४ घण्टोंमें ८१ हजारसे अधिक लोग ठीक हुए। कोरोनाकी दूसरी लहर लगातार गिरावटकी ओर है। हालात तेजीसे सुधर रहे हैं। यदि गिरावटकी प्रवृत्ति इसी प्रकार बनी रही तो पूरे देशको बड़ी राहत मिलेगी। इस सन्दर्भमें गर्वका विषय है कि सोमवारको एक दिनके अन्दर ८६ लाखसे अधिक लोगोंका टीकाकरण कर भारतने कीर्तिमान स्थापित किया है। पूरे विश्वमें एक दिनके अन्दर टीका लगानेकी यह सबसे बड़ी संख्या है। इससे विश्वमें कोरोनाके खिलाफ जंगके सन्दर्भमें बड़ा सन्देश गया है। टीकाकरणका अभियान इसी प्रकार जारी रखनेकी जरूरत है जिससे कि लक्ष्य समयसे पूर्व ही देशमें टीकाकरणका अभियान पूरा कर लिया जाय। राहतकी एक बड़ी बात यह भी है कि बूस्टर डोज लगानेकी अब शायद ही जरूरत पड़े। विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथनका कहना है कि टीकाकरणके बाद बूस्टर डोजकी आवश्यकताकी पुष्टि या खारिज करनेको लेकर अभी पक्के तौरपर कुछ नहीं कहा जा सकता है। दूसरी ओर चिन्ताकी बात यह है कि महाराष्ट्र, केरल और मध्यप्रदेशमें कोरोना वायरसके नये रूपने दस्तक दे दी है। कोरोनाका डेल्टा वेरिएण्ट भारतके साथ विश्वके देशोंमें परेशानीका सबब बन चुका है। अब इसमें एक और नये वैरिएण्टने जन्म ले लिया है जिसे डेल्टा प्लस नाम दिया गया है। भारतके तीन राज्योंमें इसके २५ मामले सामने आये हैं, जिनमें महाराष्ट्रमें २१ मामले मिले हैं। इसे देखते हुए केरलने राज्यमें सख्ती बढ़ा दी है और महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेशकी सरकारें भी सतर्क हो गयी हैं। महाराष्ट्रको विशेष सतर्कता बरतनेकी जरूरत है, क्योंकि वहां अधिक मामले सामने आये हैं। वैसे पूरे देशमें लोगोंको सतर्कता और सावधानी बरतनेकी जरूरत है जिससे कि नये वेरिएण्टके प्रसारको रोका जा सके।
धर्मांतरणपर रोक जरूरी
भारतमें धर्मान्तरण रैकेटका फैलता जाल गम्भीर चिन्ताका विषय है। उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने लखनऊमें सोमवारको दो मौलानाओंको गिरफ्तार कर बड़े पैमानेपर धर्मान्तरण करानेवाले गिरोहका पर्दाफाश किया है। यह गिरोह अबतक एक हजारसे अधिक लोगोंका धर्मान्तरण करा चुका है जिनमें अधिकतर मूक-बधिर एवं कमजोर आयवर्गके लोग और महिलाएं शामिल हैं। गिरफ्तार मौलानाओंमें एक मुफ्ती काजी है जबकि दूसरा हिन्दू है जो १९८२ में खुद धर्म बदलकर मुस्लिम बना और धर्मान्तरणकी मुहिम चला दी। इस गिरोहका जाल उत्तर प्रदेशके अलावा दिल्ली, हरियाणा, केरल, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्रतक फैला है। इस धर्मान्तरणके बड़े गिरोहका खुलासा एटीएसकी बड़ी कामयाबी है, क्योंकि इसके तार गाजियाबाद जेलमें बंद कट्टïरपंथी सलीमुद्दीनसे जुड़े हैं जो पैरामेडिकल इंस्टीट्यूटकी आड़में धर्मान्तरणका धन्धा चला रहा था। इस गिरोहकी फंडिंग विदेशोंसे होती थी। इसमें पाकिस्तानकी खुफिया एजेंसी आईएसआईका लिंक सामने आ रहा है, जो अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि भारतके विरुद्ध पाकिस्तानकी नापाक हरकतें जगजाहिर हैं। कट्टïरपंथियोंने धर्मान्तरणको पेशा बना लिया है। इसके लिए उन्हें विदेशोंसे धन मिलता है जिससे वे ऐशो-आरामकी जिन्दगी बसर कर रहे हैं। यह कमजोर आय वर्गके लोगोंको धन, नौकरी एवं शादीका लालच देकर धर्म बदलनेके लिए तैयार करते हैं। इतना ही नहीं, जबरन धर्मान्तरण करानेवाले गिरोह भी सक्रिय हैं जो भारतीय सभ्यता और संस्कृतिके विरुद्ध बड़ी साजिश है। इन गिरोहोंको विदेशोंसे मिल रही आर्थिक सहायता देशके विकासमें खतरेका संकेत है। धर्मान्तरण हिन्दू संस्कृतिपर हमला है। सरकारके साथ ही नागरिकोंका भी दायित्व बनता है कि इसे हर हालमें रोका जाय। अभियान चलाकर इसपर अंकुश लगानेकी जरूरत है।