सम्पादकीय

राहत पैकेज आवश्यक


कोरोना महामारीसे गम्भीर रूपसे प्रभावित देशकी अर्थव्यवस्थाको अब यथाशीघ्र ‘आक्सीजनÓ की आवश्यकता है जिससे कि अर्थव्यवस्था गतिशील हो सके। दूसरी लहरने उद्योग, कारोबारको प्रभावित करनेके साथ ही बेरोजगारीको भी बढ़ाया है। इसलिए उद्योग, कारोबार और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रोंके लिए राहत पैकेजकी जरूरत है। केन्द्र सरकारने इस दिशामें कदम आगे बढ़ाकर अच्छा संकेत दिया है। नीति आयोग भी सक्रिय हुआ है और अर्थव्यवस्थासे जुड़े उन सभी क्षेत्रोंकी पहचान करनेकी दिशामें जुटा हुआ है, जो कमजोर हुए हैं। इसी आकलनके आधारपर राहत पैकेजको स्वरूप और आकार प्रदान किया जायगा जिससे कि  जरूरतमंद सेक्टरको पर्याप्त सहायता उपलब्ध करायी जा सके। नीति आयोग यह पता लगानेमें जुटा है कि अर्थव्यवस्थाके किन क्षेत्रोंको तत्काल मददकी आवश्यकता पड़ सकती है और ऐसे क्षेत्रोंके लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए जिससे कि उनकी स्थितिमें सुधार हो सके। नीति आयोगके सुझावोंके आधारपर ही वित्त मंत्रालय कोई निर्णय करेगा। पर्यटन, होटल व्यवसाय और विमानन जैसे क्षेत्रोंके लिए विशेष सहायताकी आवश्यकता है, क्योंकि पहली लहरसे यह क्षेत्र अभी उबर भी नहीं पाया था कि दूसरी लहरने उसे और कमजोर कर दिया। कृषि क्षेत्रके बाद दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र एमएसएमईका है जिसकी हालत इन दिनों काफी खराब है। यह क्षेत्र काफी रोजगार देता है लेकिन दूसरी लहरमें इस क्षेत्रको भी काफी क्षति पहुंची है। वर्तमानमें एमएसएमई क्षेत्रकी लगभग ६.५ करोड़ कम्पनियां देशको जीडीपीमें ३० प्रतिशत योगदान कर रही हैं लेकिन यह महत्वपूर्ण क्षेत्र संकटकी गिरफ्तमें है। इन्हें तत्काल सहायताकी जरूरत है। इसके लिए केन्द्र सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारण्टी स्कीमके तहत कुछ राहत दे सकती है। एमएसएमई क्षेत्रको बस्टर डोज देनेकी सख्त जरूरत है। वैसे तो नीति आयोग क्षेत्रवार स्थितियोंका आकलन कर रहा है लेकिन विभिन्न औद्योगिक, व्यापारिक क्षेत्रोंके अग्रणी संघटनोंसे भी परामर्श लिया जाना चाहिए। इससे नीति आयोगको वास्तविक स्थितिको समझने और उसके अनुरूप सुझाव रखनेमें सहायता मिलेगी। पिछले वर्ष भी महामारीमें अर्थव्यवस्थाको सहारा देनेके लिए सरकारने आत्मनिर्भर भारत पैकेज देनेकी घोषणा की थी। सरकारका यह राहत पैकेज २७.१ लाख करोड़ रुपयेसे भी अधिक था। गरीबों और कमजोर वर्गको महामारीके प्रभावसे बचानेके लिए १.७० लाख करोड़ रुपयेकी प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजनाकी घोषणा की गयी थी। भारतीय रिजर्व बैंकने भी चरणबद्ध तरीकेसे राहत पैकेजोंकी घोषणा की थी। रिजर्व बैंकने निजी क्षेत्रके बैंकोंसे कहा है कि वे कर्ज सुविधा सहित विभिन्न वित्तीय सेवाएं जारी रखें। रिजर्व बैंकने मईके प्रारम्भमें ही छोटे कर्जदारोंके लिए कर्ज पुनर्गठनकी घोषणा की थी लेकिन लाकडाउनके कारण इसका लाभ सही ढंगसे नहीं मिल पाया। अब लाकडाउनको चरणबद्ध ढंगसे समाप्त किया जा सकता है।

पाकिस्तानको नसीहत

बार-बारकी नसीहतके बावजूद पाकिस्तान अपनी आतंकपरस्त नीतिसे बाज नहीं आ रहा है। यही कारण है एफएटीएफने उसको जहां ग्रे लिस्टसे बाहर नहीं निकाला है वहीं अमेरिकाने सुरक्षा सहायता बंद रखनेका निर्णय कर उसे तगड़ा झटका दिया है। प्रतिबन्धोंके चलते पाकिस्तानकी आर्थिक स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है और वहां गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। प्रधान मंत्री इमरान खानकी खिलाफत वहांके सांसद और मंत्री भी कर रहे हैं। महंगीसे बेजार वहांकी जनता सड़कोंपर है, परन्तु इसके बावजूद इमरान खान सुधरनेका नाम नहीं ले रहे हैं जिससे पाकिस्तानकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बदसे बदतर होती जा रही है। ऐसेमें अमेरिकाका यह कदम उसकी परेशानी बढ़ानेवाला है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागनने पाकिस्तानको मिलनेवाली सुरक्षा सहायताको बहाल नहीं किया है। अमेरिकाके पूर्व राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्पने जनवरी, २०१८ में पाकिस्तानको दी जानेवाली सभी सुरक्षा सहायता निलम्बित करते हुए कहा था कि आतंकवादके खिलाफ लड़ाईमें पाकिस्तानकी भूमिका तथा उसकी ओरसे मिलनेवाले सहयोगको लेकर अमेरिका संतुष्टï नहीं है। ट्रम्पका मानना उचित रहा है, क्योंकि पाकिस्तानने अबतक आतंकवादियोंके खिलाफ सिर्फ दिखावेकी काररवाई की है, वहां आज भी आतंकवादियोंको पूरा संरक्षण और सहयोग दिया जाता है। इसी कारण अमेरिकामें जो बाइडेनके राष्टï्रपति बननेके बाद पाकिस्तानकी सुरक्षा सहायताको निलम्बित रखनेका निर्णय किया गया है। अमेरिकाकी ओरसे यह बात ऐसे समय की गयी जब हालमें अमेरिकाके रक्षामंत्री लायड आस्टिनकी पाकिस्तानके सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवासे बात हुई है। पाकिस्तानको आशा थी कि अमेरिका अपने प्रतिबन्धोंको हटा लेगा, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी है। पाकिस्तानको अपनी बर्बादीसे बचना है तो ईमानदारीके साथ उसे आतंकवादियोंके सफायेपर काम करना चाहिए, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इमरान खान न तो घरके रहेंगे, न घाटके।