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रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की अनुमति देना अहम फैसला, दुनिया में बढ़ेगी भारतीय करेंसी की साख


नई दिल्ली, । भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में करने की अनुमति देना (International Trade Settlement in Rupee) एक सामयिक और दूरगामी महत्व का फैसला है। विशेषज्ञों के अनुसार, मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 11 जुलाई, 2022 को आरबीआइ ने बैंकों से रुपये में निर्यात-आयात के भुगतान के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए कहा था। आरबीआइ के इस फैसले का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के साथ घरेलू मुद्रा में वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन करना है। यह बात आरबीआइ के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पद्मनाभन ने कही है।

बढ़ेगी रुपये की साख

आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआइ द्वारा रुपये में भुगतान की अनुमति देना निश्चित रूप से एक कदम आगे का फैसला है। उधर डीबीएस बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक राधिका राव ने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटान मुद्रा के रूप में रुपये की भूमिका को स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “यह रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में एक बहुत ही सामयिक और मजबूत कदम है।” राव ने हालांकि यह भी कहा कि इस घोषणा को रुपये को मजबूत बनाने के उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फैसला एक निश्चित दिशा में घरेलू मुद्रा को आगे बढ़ाने के बजाय रुपये के उपयोग का विस्तार करने के बारे में है।

कैसे काम करेगी ये व्यवस्था

आरबीआइ द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि रुपया चालान प्रणाली को लागू करने से पहले अधिकृत डीलर (एडी) बैंकों को आरबीआइ के विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। किसी भागीदार देश का बैंक एक विशेष आईएनआर वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए भारत में किसी एडी बैंक से संपर्क कर सकता है। एडी बैंक, रिजर्व बैंक से अनुमति मांगेगा। पद्मनाभन ने कहा कि इस अनुमोदन प्रक्रिया के साथ केंद्रीय बैंक इस बात पर नजर रखना चाहता है कि वास्तव में ये खाते आयात-निर्यात को रुपये में सेटल करने के लिए खोले जा रहे हैं या नहीं। खाता कौन खोल रहा है? कौन सा देश खाता खोल रहा है? किस तरह के लेन-देन हो रहे हैं? शुरुआत में आरबीआइ इन सभी चीजों पर नजर रखना चाहेगा।