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रूस से तेल का आयात बढ़ाना पीएम मोदी का साहसिक फैसला, केवल मौद्रिक नीति से कम नहीं होगी महंगाई : वित्त मंत्री


नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में तेजी आई है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (ICRIER) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि रूसी तेल के आयात पर छूट बढ़ाने का निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। इससे आयात बिलों को कम करने में मदद मिली है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए पीएम के साहस का सम्मान करती हूं। भारत के तेल आयात में रूसी तेल का हिस्सा 2 प्रतिशत था। इसे 12-13 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रतिबंध अपनी जगह हैं लेकिन ज्यादातर देश रूसी कच्चा तेल और गैस हासिल करने का रास्ता ढूंढ रहे हैं। पीएम मोदी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि हमने सभी देशों के साथ अपने संबंध बनाए को भी बनाए रखा और रूस से तेल भी लेते रहे। जापान भी अब यही कर रहा है।

रूस से तेल आयात बढ़ाना साहसिक फैसला

सीतारमण ने कहा कि रूस से रियायती कीमतों पर तेल का आयात मुद्रास्फीति प्रबंधन का एक हिस्सा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतें इस साल की शुरुआत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्चता देते हुए रूस से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया।

वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन केंद्र सरकार की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं हो सकती है और इस प्रकार राज्यों को भी कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी को नियंत्रण में रखने के लिए कार्य करना चाहिए।

केवल मौद्रिक नीति से कम नहीं होगी महंगाई

वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति से निपटने का जिम्मा केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। मुद्रास्फीति को कम करने के लिए अधिकांश उपाय मौद्रिक नीति से बाहर हैं। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को एक साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि और एमएसएमई के लिए इनपुट कीमतों को काबू में रखना होगा। ये मुद्रास्फीति को अधिक तेजी से बढ़ाती हैं। रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए राजकोषीय नीति और अन्य चीजों के साथ तालमेल बिठाना होगा।