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वर्ल्ड बाइपोलर डिसआर्डर दिवस : उदासी के दौरान डिप्रेशन में पहुंच जाता है रोगी


अलीगढ़, । स्वर्ण जयंती नगर के 17 वर्षीय अंकुर (काल्पनिक नाम) के व्यवहार को लेकर उसके माता-पिता काफी परेशान रहते थे। बचपन में काफी हंसमुख रहा अंकुर कई-कई हफ्ते तक अचानक उदास हो जाता। फिर स्वयं ही अत्याधिक खुशी का इजहार करने लगता । माता-पिता उसे मनो चिकित्सक के पास लेकर पहुंचे, पता चला कि अंकुर बाइपोलर (द्विध्रुवी) डिसआर्डर नामक रोग से ग्रस्त हैं। उपचार शुरू हुआ तो उसका व्यवहार सामान्य होने लगा है। आज वर्ल्ड बाइपोलर डिसआर्डर डे है। आइए, इसके बारे में जानें…

14 से 19 साल की उम्र के लोगों में ज्‍यादा होती है शिकायत

मनसा न्यूरो साइकेट्री सेंटर की निदेशक डा. अंतरा माथुर बताती हैं कि 100 में से एक व्यक्ति कभी न कभी बाइपोलर डिसआर्डर से ग्रस्त होता है। यह एक मानसिक बीमारी है। उदासी की अवस्था में नकारात्मक व खुशी में ऊंचे विचार आते हैं | शुरुआत अक्सर 14 साल से 19 साल के बीच होती है। कई बार अन्य आयु वर्ग के लोग भी ग्रसित हो जाते हैं। इस बीमारी से पुरुष तथा महिलाएं दोनों ही समान रूप से प्रभावित होते हैं।

ये हैं लक्षण

डा. अंतरा के अनसुार रोगी में एक बार अत्यधिक तेजी, अत्यधिक ऊर्जा, अत्यधिक ऊत्तेजना तथा ऊंची-ऊंची बातें करने का दौर आता है। यह स्थिति तीन से छह माह तक रहती है। यदि इलाज ना किया जाए तो भी रोगी स्वय ठीक हो सकता है। दूसरा रूप में यह रोग उदासी के रूप में आता है, जिसे डिप्रेशन कहते हैं। कई मामलों में देखा गया कि रोगी वर्ष में कम से कम चार बार उदासी (डिप्रेशन) या मैनिया (तेजी) का असर आता है। उदासी में दुखी रहना, ऊर्जा में कमी, इच्छा में कमी, आत्मविश्वास में कमी, आत्महत्या की इच्छा करना और चिड़चिड़ा होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। उत्तेजना में बहुत अधिक खुशी, नींद की जरूरत घटना, अधिक बोलना, जोखिम लेना, अति आत्मविश्वास होना, जोश में रहना आदि लक्षण दिखते हैं।