वाराणसी

विजया एकादशी व्रत से मिलती है सर्वकार्योंमें विजय


विजया एकादशी नौ को

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में सभी तिथियों का सम्बन्ध किसी न किसी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से है। तिथि विशेष पर पूजा-अर्चना करके मनोरथ की पूॢत की जाती है, इसी क्रम में फाल्गुन माह की एकादशी तिथि की विशेष महिमा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन  ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस बार फाल्गुन कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि आठ मार्च, को दिन में ३ बजकर ४५ मिनट पर लगेगी जो कि ९ मार्च, को दिन में ३ बजकर ०३ मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी तिथि मिलने से ९ मार्च, को यह व्रत वैष्णवजन एवं स्मार्तजन रख सकेंगे। एकादशी तिथि भगवानï् श्रीहरि विष्णु को समॢपत है। विजया एकादशी की खास महिमा है, जैसा कि तिथि के नाम से विदित है कि तिथि विशेष के दिन सम्पूर्ण दिन व्रत उपवास रखने से समस्त कार्यों में विजय मिलती है साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। निर्जल एवं निराहार रहकर भक्तिभाव के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु जी की भक्तिभाव एवं हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना करना विशेष पुण्य फलदायी बतलाया गया है।      एकादशी का व्रत सुहागिन महिलाओं को अपने पति की आज्ञा से ही उठाना चाहिए। यह व्रत महिला व पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायी है। आज के दिन सम्पूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए, चावल तथा अन्न ग्रहण करने का निषेध है। भगवान् श्रीविष्णु की विशेष अनुकम्पा-प्राप्ति एवं उनकी प्रसन्नता के लिए भगवान् श्रीविष्णु जी के मन्त्र  ‘ú नमो नारायणÓ या ‘ú नमो भगवते वासुदेवायÓ मंत्र का नियमित रूप से अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। भगवान् श्रीविष्णु जी की श्रद्धा, आस्था भक्तिभाव के साथ आराधना कर पुण्य अॢजत करके लाभ उठाना चाहिए।