पटना

विधायकों का नब्ज टटोलेंगे बिहार कांग्रेस प्रभारी


पटना (आससे)। जदयू के उस दावे के बाद जिसमें कांग्रेस के १९ में से १३ विधायकों के किसी भी समय जदयू में शामिल होने के बाद कांग्रेस में शामिल होंगे, के बाद कांग्रेस में पटना से दिल्ली तक खलबली मची है। हालांकि विधानमंडल दल के नेता अजित शर्मा विधायकों के एकजुट होने का दावा किया जा रहा है, परंतु नेतृत्व में हलचल का आलम यह है कि शनिवार को बिहार प्रभारी भक्त चरण दास को विधायकों का नब्ज टटोलने के लिए बिहार भेजा जा रहा है। वे दो दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं। श्री दास पार्टी के सभी विधायकों से वन टू वन बात करेंगे। हालांकि अधिकृत तौर पर कहा जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के जन्म दिन पर आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। यह बात कांग्रेस के अंदर ही किसी को नहीं पच रहा है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष डा मदन मोहन झा एवं विधानमंडल दल के नेता अजित शर्मा के संयुक्त हस्ताक्षर से सभी विधायकों को पत्र लिखकर कहा गया है कि बिहार प्रभारी भक्त चरण दास दो दिवसीय दौरे पर १९ और २० जून को पटना में रहेंगे। इस दौरान वे सभी विधायकों से अलग-अलग बात करेंगे। उक्त बैठकों में शामिल रहने की कृपा करेंगे। इस पत्र के जारी होने के बाद कांग्रेस में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। पार्टी के अंदर यह तलाशा जा रहा है कि कौन कौन विधायक किसके नेतृत्व में जद यू में जाने वाला  है।

इतिहास ग्वाह है कि जब-जब पार्टी चरम पर पहुंचा या सत्ताधारी दल जब चाहा पार्टी को तोड़कर विधायकों को अपने खेमे में शामिल किया है। इससे पहले अशोक चौधरी के नेतृत्व में पार्टी में टूट हुई थी। उसके बाद से पूर्ववर्ती कार्यकाल में भी विधायकों के पाला बदलने की चर्चा हुई थी। इस कार्यकाल में भी एक-दो बार चर्चा हुई है।

इस बार की चर्चा में इस बात से बल मिल रहा है कि लोजपा के पांच सांसद ने अलग होकर अपना नया गुट बना लिया। इससे पहले लोजपा एवं रालोसपा के सभी पदाधिकारियों व नेताओं को जदयू में शामिल कराया गया। अंत में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी जदयू में शामिल होकर फिलहाल संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और विधान पार्षद हैं।

वहीं पार्टी के अंदर इस बात की भी चर्चा है कि कांग्रेस की प्रादेशिक टीम मजबूत नेतृत्व देने में सक्षम नहीं दिख रहा है। पांच राज्यों के चुनाव के पूर्व नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा हुई थी। बाद में चुनाव को देखते हुए इसे टाल दिया गया था। अब दिल्ली में एक बार फिर पटना से दिल्ली तक सुगबुगाहत तेज हो गयी है।

विरोधी गुट लगातार नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दिल्ली आलाकमान के पास गुहार लगा रहा है। चुनाव के बाद भक्त चरण दास एक बार बिहार कांग्रेस के  शीर्ष नेताओं का मन टटोल चुके हैं और अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप भी चुके हैं। वर्तमान परिपेक्ष्य में भक्त चरण दास का बिहार दौर कई मायने में अहम है।