सम्पादकीय

वैश्विक एकजुटता जरूरी


आतंकवादका दिनोंदिन बढ़ता खतरा पूरे विश्वके लिए बड़ी चुनौती है। यदि अब भी नहीं चेते तो आनेवाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। काबुल हवाई अड्डïेके पास गुरुवारको हुए बम धमाकोंने पूरी दुनियाको झकझोर दिया है। इस आत्मघाती हमलेमें बड़ी संख्यामें महिलाएं, बच्चे और पुरुष हताहत हुए हैं, जो मानवताके नामपर कलंक है। भारतने इस कायराना आतंकी हमलेकी संयुक्त राष्टï्र सुरक्षा परिषदमें कड़ी निन्दा की है। संयुक्त राष्टï्र सुरक्षा परिषदमें भारतके स्थायी प्रतिनिधि एवं सुरक्षा परिषदके अध्यक्ष राजदूत टी.एस. विरुमूर्तिने संयुक्त राष्टï्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ब्रीफिंगमें कहा कि ये हमले आतंकवाद और दहशतगर्दोंको शरण देनेवालोंके खिलाफ विश्वके सभी देशोंको एकजुट खड़े होनेकी आवश्यकताको भारतके दावेको मजबूत करते हैं। काबुलमें हुए आतंकी हमलेकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेटकी खुरासान शाखाने ली है जिसे खड़ा करनेमें पाकिस्तानकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। काबुल हवाई अड्डïेके बाहर धमाकोंमें मारे गये लोगोंमें अमेरिकी सेनाके १३ कमाण्डो भी शामिल हैं जिनकी शहादतका बदला अमेरिकाने ३६ घण्टेके अन्दर ले लिया। अमेरिकाने पूर्वी अफगानिस्तानमें शनिवारको जबरदस्त एयर स्ट्राइक किया, जिसमें आईएसआईएस खुरासानके मास्टर माइण्डके मारे जानेका दावा किया गया है। साथ ही अफगानिस्तानमें इसके कई ठिकानोंको ध्वस्त कर दिया। अमेरिकाने आतंकी संघटनोंके विरुद्ध काररवाईकी शुरुआत कर दी है और इसका अगला कदम अफगानिस्तानका भविष्य तय करेगा। यही समय है विश्वके सभी देशोंको अमेरिकाके साथ कदमसे कदम मिलाकर चलनेका ताकि आतंकवादके खतरेको हमेशाके लिए नेस्तनाबूद किया जा सके। काबुलमें आईएसआईएसके हमलेको भारतने बहुत गम्भीरतासे लिया है। अफगानिस्तानपर तालिबानके कब्जेसे पाकिस्तान विशेष रूपसे उत्साहित है, क्योंकि तालिबानका पाकिस्तानी आतंकी गुटोंसे साठगांठ है जो भविष्यमें कश्मीरके लिए भी खतरनाक संकेत है। तालिबान और आईएसआईएस गठजोड़ कश्मीरके पूरे क्षेत्रमें चुनौती बन सकता है। काबुलका हमला चेतावनी है, इसे अमेरिका, नाटो और अन्य प्रभावी देशोंको समझना होगा। तालिबान, आईएसआईएस खुरासान और हक्कानी नेटवर्क एक ही थालीके चट्टïे-बट्टïे हैं, जो पूरी दुनियाके लिए चुनौती बने हुए हैं। हालांकि इनके बीच भारी मतभेद है लेकिन कट्टïर विचारधारा काफी हदतक एक समान है जिसे समाप्त किया जाना चाहिए। भारतका आतंकके खिलाफ एकजुटतापर जोर किसी एक देशके लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनियाके लिए है। आतंकवादपर दोहरा मानक उचित नहीं है। वैश्विक स्तरपर एकजुटता समयकी मांग है।

उग्रवादियोंकी सक्रियता

सीमा विवादके बीच पूर्वोत्तर राज्योंमें बढ़ती उग्रवादियोंकी सक्रियता गम्भीर चिन्ताका विषय है। असम और मिजोरमके बीच हिंसक झड़पके बाद दोनों राज्योंके बीच गम्भीर तनाव बना हुआ है। तनाव कितना गम्भीर है, इसका अन्दाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि असमको अपने नागरिकोंको मिजोरम न जानेकी एडवायजरी जारी करनी पड़ी है। यह देशके इतिहासमें पहला अवसर है, जब किसी राज्यको अपने नागरिकोंको दूसरे राज्योंमें जानेसे रोकना पड़ रहा है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिके बीच असममें उग्रवादियोंकी बढ़ती सक्रियता सरकारकी मुसीबतें बढ़ानेवाली हैं। असमके दीमा हसाओ जिलेमें दीमसा नेशनल लिबरेशन आर्मीके उग्रवादियोंने कोयला, सीमेण्ट लेकर जा रहे पांच ट्रक चालकोंकी हत्या कर दी और सात ट्रकोंको आगके हवाले कर दिया। दो ट्रक चालकोंकी गोली लगने और तीनकी झुलसनेसे दर्दनाक मौत हो गयी, जबकि कुछ चालकों और उनके सहायकोंने जंगलोंमें भाग कर अपनी जान बचायी। उग्रवादी संघटन दीमसा नेशनल लिबरेशन आर्मी दीमा हसाओ और कार्बी अंगलोंगके अलावा पड़ोसी राज्य नगालैण्डमें भी सक्रिय हैं और ये अपहरण और फिरौती वसूली करते हैं। इनपर रोक लगानेके लिए पूर्वोत्तर राज्योंको विशेष अभियान चलाना चाहिए, नहीं तो परिवहन सेवा प्रभावित होनेसे सामानोंकी आपूर्ति बाधित होगी और राज्यकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी इसलिए राज्योंकी जिम्मेदारी है कि वह अपने यहां इस तरहकी गतिविधियोंको पनपने न दें। इसके साथ ही सीमा विवादका निबटारा शीघ्र होना चाहिए जिससे राज्योंके बीच आपसी सौहार्द बना रहे और वे एक दूसरेके विकासमें सहभागी बने। उग्रवादी गतिविधियोंको अंजाम देनेवालोंके खिलाफ संयुक्त अभियान चलाकर इस तरहकी गतिविधियोंका दमन करें। यह कोई राज्य अपने बलपर नहीं कर सकता, क्योंकि उग्रवादी घटनाको अंजाम देनेके बाद सीमावर्ती राज्योंमें शरण ले लेते हैं, इसलिए जरूरी है कि प्रभावित और सीमावर्ती राज्य मिलकर उग्रवादियोंके खिलाफ अभियान चलायें।