सम्पादकीय

शिव महिमा


शिवप्रसाद ‘कमल’

शिवका अर्थ है कल्याण करनेवाला। जगत्ïमें सर्वत्र कल्याण कारक तत्व विमान है। सारी सृष्टिï शिवमय है। शक्तिके साथ शिव सदा चिरण करनेवाले योगी हैं। विरक्ति और सम्पृक्ति शिवका सबसे बड़ा गुण है। आदि शंकराचार्य कहते हैं, शंकर ही माया कुहेलिकाके आर-पार देखनेवाला अनश्वर अविनाशी देव है। तारा महारानी उसीके साथ विचरण करनेवाली शक्ति देवी है। शिवशंकर परम पुरुष और देवी प्रकृति हैं। प्रकृति रूपी योनिमें प्रतिष्ठिïत होकर इसी पुरुष लिंगके द्वारा सारे भूतोंकी सृष्टिï होती है। इतना अवश्य समझ लेना है यह लिंग और योनि, मांस एवं चर्ममय सामान्य मानवके रूपमें नहीं है, यह सर्व व्यापक रूपमें है यह शिव-शक्ति ही लिंग-योनि शब्दसे विवादित है। चैतन्य रूप लिंग-सत्ता और प्रकृतिसे ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्डकी रचना हुई है और उन्हींके द्वारा मोक्ष भी सम्भव है। क्योंकि उन्हींके सहारे मनुष्य लयकी स्थितिमें पहुंच सकता है। प्रणव मंत्र भी इसी सिद्धान्तका प्रतिपादन करता है। प्रणवका अकार शिवलिंग है, अकार अर्घा है, मकार शिव-शक्तिका सम्मिलित रूप है। शिवके इसी रूपकी सर्वत्र अभ्यर्थना की गयी है। शिव निर्गुण भी हें और सगुण भी। शिव ही एकमात्र ऐसे लोकददेवता हैं जो कश्मीरसे कन्याकुमारी और कटकसे अटकतक पूजे जाते हैं। सारे भारतमें शिव और हनुमानकी मूर्तियां हमें देखनेको मिलती हैं। हनुमान भी शिवके अंशावतार माने जाते हैं। शंकराचार्य आगे कहते हैं, पृथ्वीके ऊपर जैसे आकाश है वैसे नीचे भी है। दोनोंको मिला देनेसे आकाश अण्डाकार बन जाता है। आत्मासे ही आकाश उत्पन्न होता है। यही ज्ञापक लिंग उसका निराकार ब्रह्मï स्थूल शरीर है। पंचतत्वमयी प्रकृति उसकी पीठिका है। उसीका सूचक भावमय यह गोलाकार शिवलिंग है। शिव (ब्रह्म) निराकार होते हुए भी विश्वका सर्वस्व है। शिवको साकार रूपमें पूजनेवाले भक्त शिवरात्रिको शिव-शक्तिके मिलनेकी रात्रि मानते हैं। इस दिन विधिवत शिवकी पूजा-आराधना की जाती है। शिवका विशेष रूपसे श्रृंगार होता है साथमें गौरीका भी श्रृंगार करके शिव-शक्तिकी अभ्यर्थना करनेका विधान है। आचार्य शंकर जब विश्व भ्रमण करते हुए श्रीनगर स्थित जब सर्वोच्च पहाड़ीपर पहुंचे, तब वहां उन्होंने भगवान शिव और भगवती देवीकी रचना की। इसका पहला स्तोत्र है- शिव-शक्ति युक्त होनेपर ही सृष्टिï, स्थिति और संहारके योग्य बनाते हैं। शिव-शक्ति रहित शिव, स्पन्दन रहित हो जाते हैं। इसी कारण ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि देवता शक्ति सहित शिवकी आराधना करते हैं। हम भी महाशिवरात्रिके अवसरपर जीवनको प्रेरणा और ऊर्जा देनेवाला शिव-शक्तिको बार-बार नमन करें।