पटना

शैबाल के विचारों को संकलित करने की आवश्यकता : नीतीश


नये प्रश्न और नये उत्तरों की तलाश में लगे रहते थे स्व. गुप्ता : अमत्र्य सेन

      • शैबाल गुप्ता के जीवन और विरासत पर चर्चा
      • ख्यातिप्राप्त लोग पहुंचे श्रद्धांजलि अर्पित करने

(आज समाचार सेवा)

पटना। ‘शैबाल गुप्ता के जीवन और विरासत पर चर्चा’ विषय पर आयोजित श्रद्धांजलि बैठक में समाजविज्ञानी स्वर्गीय शैबाल गुप्ता को श्रद्धांजलि देते हुए नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि बिहार के विकास की उनकी दृष्टि में वही बातें शामिल नहीं थीं जो मानक पुस्तकों में लिखी हुई थीं। उसका काफी कुछ उनके अपने अनुभवों से विकसित हुआ था। वह किसी नौजवान की तरह हमेशा नए परिप्रेक्ष्य, नए प्रश्न और नए उत्तरों की तलाश में लगे रहते थे।

श्री सेन की राय में हमें सौभाग्यशाली महसूस करना चाहिए कि हम शैबाल जी जैसे किसी महान और प्रखर के साथ-साथ शैक्षिक रूप से असाधारण व्यक्ति को जानते रहे हैं। अपनी श्रद्धांजलि दे रहे बहुत से अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों के साथ-साथ नोबल पुरस्कार प्राप्त विद्वान अभिजित बनर्जी ने बिहार के लोगों के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करने के लिए स्वर्गीय गुप्ता की प्रशंसा की। लॉर्ड मेघनाद देसाई ने इस बात को प्रमुखता से सामने रखा कि स्व. गुप्ता के पास व्यक्त करने के लिए विचार होते थे और उसके बाद उस पर चलने की क्षमता भी थी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्व. गुप्ता के विचारों को संकलित करने पर जोर दिया ताकि आने वाली पीढिय़ों के लोग उनसे प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि डॉ. गुप्ता के पास बिहार के विकास को लेकर एक अनन्य दृष्टि थी। राज्य सभा के उपाध्यक्ष हरिवंश ने कहा कि उन्होंने शैबाल गुप्ता से यह सीखा था कि अर्थशास्त्र को समझने के लिए इतिहास का ज्ञान जरूरी है।

वहीं, राज्य सभा सदस्य सुशील मोदी ने बिहार के ब्रांड को विदेश में, खास कर यूनाइटेड किंगडम में प्रमुखता से रखने के लिए डॉ. गुप्ता की प्रशंसा की और जोर देकर कहा कि बिहार के पिछड़ेपन के कारणों के बारे में उनसे बेहतर कोई भी नहीं बता सका। वहीं, शिवानंद तिवारी ने कहा कि स्व. गुप्ता के चरित्र के बारे में वह जितना जानते थे उससे काफी उन्हें अधिक आज जानने को मिला है। श्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा कि उनके व्यक्तित्व को आने वाली पीढिय़ां याद रखेंगी।

वित विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने घोषणा की कि भविष्य में डॉ. शैबाल गुप्ता स्मारक व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। वहीं, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री संजय कुमार ने उनके साथ बिहारी उप-राष्ट्रीयता पर हुई चर्चा को याद किया। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने बिहार में इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर की स्थापना का पूरा श्रेय डॉ. गुप्ता को दिया और कहा कि जब 2015 में वे इथियोपिया में डॉ. गुप्ता के साथ थे, तो उन्होंने वहां की सरकार को बिहार की विकास गाथा दुहराने का सुझाव दिया था।

बैठक में डॉ. गुप्ता के परिवार के अनेक सदस्यों के अलावा, प्रोफेसर मुचकुंद दुबे, अंजन मुखर्जी, जोनाथन लीप और रॉबिन बर्गेस, डॉ. अभिजित सरकार, डॉ. ए.ए. हई, कर्नल अनिल सिन्हा, प्रकाश झा, श्री रवीन्द्र राय, डॉ. विकास जयपुरियार, देबर्षि भट्टाचार्य, आनंद कुमार, डॉ. धमेंद्र नागर, डॉ. प्रनब सेन, डॉ. रथीन राय, डॉ. कथिंका सिन्हा करखौफ, डॉ. जेरी रॉजर्स, डॉ. अलख नारायण शर्मा और घनश्याम तिवारी ने भी इस अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि दी। एन.के. सिंह, हरीश खरे, मंगल पाण्डेय, श्याम रजक, डा. एन विजयालक्ष्मी, डा. शकील अहमद, सत्यजीत सिंह, डा. सत्यजीत सिंह, सिस्टर बेनरेडिक्टा, प्रणव चौधरी, श्रीकांत तथा डा. सुनीता लाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों के ख्यातिलब्ध लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने शोक संदेभ भेजे और पत्र लिखे थे। वहां 300 लोग प्रत्यक्ष उपलब्ध थे जबकि अन्य 100 लोग जूम प्लेटफॉर्म के जरिए जुड़े हुए थे। संपूर्ण आयोजन का समन्वय स्व. गुप्ता के लंबे समय से मित्र और साथी रहे प्रोफेसर प्रभात पी. घोष ने किया। डॉ. गुप्ता की पुत्री, आद्री की डॉ. अस्मिता गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।