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संचार क्रांति ही नहीं,संस्कार क्रांति भी आवश्यक-राज्यपाल


बलिया (ह.स.)।  राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज देश में संचार क्रांति के साथ-साथ संस्कार क्रांति भी आवश्यक है। प्राचीन चिंतन परम्परा का समावेश कर शिक्षा देने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों की संख्या अधिक है, यह बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ की सार्थकता को सिद्ध करती है। आश्वस्त किया कि बलिया और इसके आस-पास के क्षेत्र का सर्वोत्तम केंद्र के रूप में यह विश्वविद्यालय विकसित होगा। उक्त उद्गार जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विद्यार्थियों को तमाम सकारात्मक संदेश देते हुए कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं है। सफलता की सीढ़ी कठिन परिश्रम से ही बनती है। इसलिए जीवन में लक्ष्य बनाकर कार्य करें। विद्यार्थियों से काफी कुछ आशाएं समाज व राष्ट्र को है, जिस पर खरा उतरने का प्रयास करें। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव व नवाचार पर सरकार की मंशा साफ है। नई शिक्षा नीति में ७० फीसदी पाठ्यक्रम एक जैसा होगा, जो केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित होगा।  शेष ३० प्रतिशत प्रदेश स्तर से तय किया जा सकेगा। इस तीस फीसदी पाठ्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की है। कहा कि केजी से पीजी तक शिक्षा में एकरूपता होनी चाहिए। सुझाव दिया कि भागवत गीता की महत्वपूर्ण प्रेरणादायक बातें, महिला शिक्षा व सशक्तिकरण, युवा शक्ति को एकत्र करने, छोटे बच्चों में लचीलापन से जुड़े विषय पाठ्यक्रम में कैसे शामिल किया जाए, इसके दृष्टिगत तैयारी करें। पहली कक्षा से १२वीं तक गणित, हिन्दी, पर्यावरण, विज्ञान, इतिहास आदि का चरणवार पाठ्क्रम कैसे तैयार होगा, इस पर सब मिलकर कार्य करें।  यूनिवर्सिटी में बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या को लेकर राज्यपाल ने कहा कि किसी अन्य जगह पर प्रशासनिक और शिक्षा व्यवस्था के लिए भवन निर्माण होगा। इसके लिए मंडलायुक्त, डीएम व विश्वविद्यालय प्रशासन बैठकर जगह के लिए निर्णय लें। उम्मीद जताई कि अगला दीक्षांत समारोह नए भवन में होगा। उन्होंने कहा कि इस जगह का भी सदुपयोग होगा। राजपाल ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए काम कर रही है। शिक्षा में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर है। तभी हम वैश्विक चुनौतियों का सामना करने वाली पीढ़ी तैयार कर पायेंगे। नई शिक्षा नीति इसमें सहायक होगी। उन्होंने विज्ञान और शिक्षा में नवीनता व तकनीकी शिक्षा पर जोर तो दिया, लेकिन अपनी संस्कृति-सभ्यता और मूलभूत शिक्षा से नहीं भटकने की भी सलाह दी। बौद्धिक विकास के साथ उत्तम चरित्र का भी निर्माण जरूरी है। विश्वविद्यालय के कार्यों की तारीफ करते हुए राज्यपाल ने कहा कि तय समय में नकलविहीन परीक्षा व सबसे पहले परीक्षाफल घोषित कर मिशाल कायम की है। राज्यपाल की अध्यक्षता में विश्विद्यालय प्रांगण में दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ, जिसके मुख्य अतिथि पूर्व प्रमुख लोकायुक्त न्यायमूर्ति शम्भूनाथ श्रीवास्तव एवं विशिष्ट अतिथि डिप्टी सीएम प्रो० दिनेश शर्मा शामिल रहे।