सम्पादकीय

सतत सतर्कता जरूरी


कोरोनाके नये रूपसे पूरे विश्वमें चिन्ता और भयकी स्थिति उत्पन्न हो गयी है, क्योंकि इसकी मारक क्षमता पहलेकी तुलनामें ७० प्रतिशत अधिक है। अबतक ब्रिटेन सहित पांच देशों डेनमार्क, आस्ट्रेलिया, नीदरलैण्ड और इटलीमें यह पहुंच चुका है। भारतमें अभी कोरोनाका नया रूप प्रवेश नहीं कर सका है लेकिन लोगोंमें चिन्ता अवश्य बढ़ गयी है। भारत सरकार पूरी तरहसे सतर्क है और सभी आवश्यक कदम भी उठाये जा रहे हैं। ब्रिटेनसे भारत आनेवाले विमानोंपर ३१ दिसम्बरतकके लिए रोक लगा दी गयी है लेकिन इसे पर्याप्त नहीं समझा जा सकता है। सभी अन्तरराष्ट्रीय विमानोंके भारत आनेपर कुछ दिनोंके लिए रोक लगनी चाहिए जिससे कि किसी भी देशसे इस घातक वायरसके भारत आनेकी कोई गुंजाइश शेष नहीं रहे। विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथनका मानना है कि म्यूटेंट वायरस पहलेसे ही कई देशोंमें मौजूद हो सकता है। वैसे नये संकटको लेकर कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। नये वायरसके भीतर दो बार म्यूटेशनकी प्रक्रिया हुई है और इसकी प्रतिरोधी क्षमता मौजूदा वायरससे अधिक है। अन्य वायरसोंमें भी म्यूटेशन हुए हैं जो आगे चलकर प्रमुख संस्करण बन गये हैं। ऐसी स्थितिमें जो टीके तैयार किये गये हैं, सम्भव है कि उनका असर भी प्रभावित हो जाय। उन्होंने सुझाव दिया है कि सभी देश वायरसको नियंत्रित करने और उनके संचरणको कम करनेके उपायोंको लागू करें। विश्व स्वास्थ्य संघटनका यह भी कहना है कि ब्रिटेनमें पाये गये कोरोना वायरसका रूप अभी नियंत्रणसे बाहर नहीं है और मौजूदा उपायोंके माध्यमसे इसपर काबू पाया जा सकता है। नये वायरसके फैलनेकी दर काफी भयावह है और इसपर नियंत्रणके लिए तत्काल ठोस और प्रभावी कदम उठानेकी जरूरत है अन्यथा स्थिति बेहद खराब हो सकती है। ब्रिटेनके स्वास्थ्यमंत्री मैट हैनकाक यह स्वीकार कर चुके हैं कि कोरोनाका नया प्रकोप नियंत्रणसे बाहर है। विश्व स्वास्थ्य संघटन और ब्रिटेनके स्वास्थ्यमंत्रीका बयान परस्पर विरोधी है। डब्ल्यूएचओको वस्तुस्थितिका सही आकलन कर उचित कदम उठाना होगा। जहांतक भारतका प्रश्न है, हमें घबराने या चिन्ता करनेकी जरूरत नहीं है लेकिन सावधानीमें कोई ढिलाई नहीं करनी है। केन्द्र सरकार नये खतरेको भी चुनौतीके रूपमें ले जिससे कि कोई नया संकट उत्पन्न नहीं होने पाये।
विद्युत उपभोक्ताओंको राहत
विद्युत वितरण कम्पनियोंकी मनमानीपर अंकुश लगानेके लिए केन्द्र सरकारके नये नियम बिजली उपभोक्ताओंको सशक्त बनानेकी दिशामें महत्वपूर्ण कदम हैं। वितरण कम्पनियां अब उपभोक्ताओंको २४ घण्टे बिजली उपलब्ध करानेके लिए बाध्य होंगी। ग्राहकोंके अधिकारसे सम्बद्ध बिजली मंत्रालयके ये नियम उपभोक्ताओंको राहत देनेवाले हैं। उपभोक्ताओंको बेहतर सेवाएं, विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त करनेका अधिकार है। सोमवारको जारी नये नियमोंमें उपभोक्ताओंके अधिकारको पूरी तरह संरक्षित करनेका सार्थक प्रयास है। वितरण कम्पनियां यदि विद्युत उपभोक्ता अधिकारके नियमोंका उल्लंघन करती हैं तो उन्हें जुर्माना देना पड़ेगा। नये नियममें पारदर्शी और समयबद्ध तरीकेसे नये कनेक्शन जारी करने और मौजूदा कनेक्शनमें सुधारका भी प्रावधान है। नये कनेक्शनके लिए आवेदनकर्ता आनलाइन आवेदन कर सकते हैं जिससे उन्हें अनावश्यक भाग-दौड़ करनेसे राहत मिलेगी साथ ही समयकी भी बचत होगी। पूरे देशमें सरकारी या निजी वितरण कम्पनियोंका एकाधिकार है जबकि उपभोक्ताओंके पास कोई विकल्प नहीं है जिससे इन कम्पनियोंकी तानाशाही चरमपर है। ऐसेमें यह जरूरी हो गया था कि उपभोक्ताओंके अधिकारोंवाले नियम और व्यवस्था बनायी जायं। वितरण कम्पनियोंकी निरंकुशतासे पूरे देशमें उपभोक्ताओंका शोषण हो रहा है। कनेक्शनसे लेकर विद्युत बिलतककी प्रक्रियामें अनियमिततासे उपभोक्ता त्रस्त हैं। स्मार्ट मीटर पूरी तरह विफल रहा है। दो गुनासे लेकर दस गुनातक बिजलीका बिल इसकी विफलताका परिचायक है। उपभोक्ताओंकी शिकायतकी सुनवाई मामलेको लटकानेकी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। विद्युत चोरीकी बढ़ती घटनाएं कम्पनियोंकी शिकायतोंके प्रति उदासीनताका ही परिणाम हैं जिनका खामियाजा उपभोक्ता कानूनी दाव-पेंचमें उलझकर भुगत रहा है। विद्युत व्यवस्था उपभोक्ताओंकी सेवाके लिए है। इस भरोसेपर आधारित सरकारका नये नियमको कड़ाईसे लागू करनेकी जरूरत है। राज्य सरकारोंकी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे केन्द्रके निर्देशोंके अनुसार समस्याओंका न्यायसंगत तरीकेसे समाधान करें।