सम्पादकीय

समाधिका अर्थ


ओशो

ध्यान या समाधिका यही अर्थ है कि हम अपनी खोल और गिरीको अलग करना सीख जायं। वह अलग हो सकते हैं। इसलिए ध्यानको स्वेच्छासे मृत्युमें प्रवेश और जो मनुष्य अपनी इच्छासे मृत्युमें प्रवेश कर जाता है, वह मृत्युका साक्षात्कार कर लेता है। सुकरात मर रहा है, आखिरी क्षण है। जहर पीसा जा रहा है उसे मारनेके लिए और वह बार-बार पूछता है कि बड़ी देर हो गयी। उसके मित्र कह रहे हैं कि आप पागल हो गये हैं। हम तो चाहते हैं कि थोड़ी देर और जी लें तो हमने जहर पीसनेवालेको रिश्वत दी है। सुकरात बाहर उठकर पहुंचता है और जहर पीसनेवालेसे पूछता है कि बड़ी देर लगा रहे हो। पहले किसी फांसीकी सजा दिये हुए मनुष्यको तुमने जहर नहीं दिया है। वह आदमी कहता है, जिन्दगीभरसे दे रहा हूं, लेकिन तुम जैसा पागल आदमी मैंने नहीं देखा। तुम्हें इतनी जल्दी क्या पड़ी है। सुकरात कहता है कि बड़ी जल्दी है, क्योंकि मैं मौतको देखना चाहता हूं कि मौत क्या है और मैं यह भी देखना चाहता हूं कि मौत भी हो जाय और फिर भी मैं बचता हूं या नहीं बचता हूं। यदि नहीं बचता हूं, तब तो सारी बात ही समाप्त हो जाती है और यदि बचता हूं तो मौत समाप्त हो जाती है। असलमें मैं यह देखना चाहता हूं कि मौतकी घटनामें कौन मरेगा तो बिना जाय कैसे देखूं। फिर सुकरातको जहर दे दिया गया। सुकरात उनसे कह रहा है कि मेरे पैर मर गये, लेकिन अभी मैं जिंदा हूं। मेरे घुटनेतकके पैर बिलकुल मर चुके हैं। अब यदि तुम इन्हें काटो तो भी मुझे पता नहीं चलेगा। यानी एक बात पक्का पता चल गया कि मैं पैर नहीं था। मैं अभी हूं मैं पूराका पूरा हूं। मेरे भीतर अभी कुछ भी कम नहीं हुआ है। फिर सुकरात कहता है कि अब मेरे पूरे पैर ही जा चुके, जांघोंतक सब समाप्त हो चुका है। अब यदि तुम मेरी जांघोंतक मुझे काट डालो तो मुझे कुछ भी पता नहीं चलेगा। मेरे पैर तुम पूरे काट डालो तो भी मैं नहीं मरा हूं। वह कहता है कि मेरे हाथ भी ढीले पड़ रहे हैं, हाथ भी मर जायंगे। वह कहता है धीरे-धीरे सब शांत हुआ जा रहा है, लेकिन मैं उतनाका ही उतना हूं और हो सकता है थोड़ी देर बाद मैं तुमको बतानेेको न रहूं, लेकिन तुम यह मत समझना कि मैं मिट गया। क्योंकि जब इतना शरीर मिट गया और मैं नहीं मिटा। हो सकता है मैं तुम्हें खबर न दे सकूं, क्योंकि खबर शरीरके द्वारा ही दी जा सकती है, लेकिन मैं रहूंगा और फिर वह आखिरी क्षण कहता है कि शायद आखिरी बात तुमसे कह रहा हूं। जीभ मेरी लडख़ड़ा गयी है और अब इसके आगे मैं एक शब्द नहीं बोल सकूंगा। वह आखिरी वक्ततक यह कहता हुआ मर गया है कि मैं हूं।