सम्पादकीय

सुरक्षासे समझौता नहीं


प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने रविवारको ‘मनकी बातÓ कार्यक्रममें स्पष्टïत: कहा कि भारत राष्टï्रीय सुरक्षाके मुद्दोंपर समझौता नहीं करता। जब हमारी सेनाओंकी ताकत बढ़ती है तो हमें लगता है कि हम सही रास्तेपर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब भारत दूसरे देशोंकी सोच और उनके दबावमें नहीं, अपने संकल्पसे चलता है तो हम सबको गर्व होता है। जब हम देखते हैं कि अब भारत अपने खिलाफ साजिश करनेवालोंको मुंहतोड़ जवाब देता है तो हमारा आत्मविश्वास और बढ़ता है। अपनी सरकारके सात वर्ष पूरे होनेपर प्रधान मंत्री मोदीने उन देशोंको कड़ा सन्देश दिया है जो भारतपर अपनी कुदृष्टिï रखते हैं। ऐसे देशोंको इसका दुष्परिणाम भी भुगतना पड़ा है। इसके कई दृष्टïान्त सामने हैं। अपने ठोस वक्तव्यके माध्यमसे प्रधान मंत्रीने यह भी बतानेका प्रयास किया है कि भारत भविष्यमें भी कहीं दबनेवाला नहीं है। प्रधान मंत्रीने कोरोना महामारीके खिलाफ जंगके सन्दर्भमें भी स्पष्टï किया कि देश पूरी ताकतके साथ इस महामारीसे लड़ रहा है। पिछले सौ वर्षोंमें यह सबसे बड़ी महामारी है और इसीके बीच भारतने अनेक प्राकृतिक आपदाओंका भी डटकर मुकाबला किया है। उन्होंने कहा कि चुनौती कितनी ही बड़ी हो, भारतका विजय संकल्प भी हमेशा उतना ही बड़ा रहा है। सामूहिक शक्ति और हमारे सेवाभावने देशको हर तूफानसे बाहर निकाला है। केन्द्रमें राजग सरकारके सात वर्ष पूरे होनेपर उन्होंने अनेक उपलब्धियोंकी भी चर्चा की और कहा कि जो भी उपलब्धि रही है, वह देश और देशवासियोंकी है। कितने ही राष्टï्रीय गौरवके क्षण हमने इन वर्षोंमें साथ मिलकर अनुभव किये हैं। यह सत्य है कि मोदी सरकारका अबतकका कार्यकाल चुनौतियोंके साथ उपलब्धियोंका भी रहा है। कोरोना महामारीने देशको काफी प्रभावित किया है। बड़ी संख्यामें लोगोंकी मृत्यु हुई और देशकी अर्थव्यवस्थापर भी प्रभाव पड़ा है। इसे गति देनेके लिए सरकार निरन्तर सक्रिय है। राहत पैकेजोंके साथ अनेक कल्याणकारी घोषणाएं भी की गयीं। इनमें कोरोनाके कारण जान गंवानेवालोंके आश्रितोंको पेंशनके अतिरिक्त अन्य सुविधाएं देनेका निर्णय काफी महत्वपूर्ण है। इससे आर्थिक संकटका सामना करनेवालोंको राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण निर्णय अनाथ बच्चोंके सन्दर्भमें किया गया है। कोरोना महामारीसे जो बच्चे अनाथ हो गये हैं उनका पालन-पोषण प्रधान मंत्री केयर्स फण्डसे किया जायगा। उनके लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा, मासिक छात्रवृत्ति और २३ सालकी उम्र पूरा होनेपर एकमुश्त दस लाख रुपयेकी सहायता भी शामिल है। नि:सन्देह ऐसे राहतकारी कदमसे उन बच्चोंको बड़ा संबल मिलेगा जिनके माता या पिता अथवा दोनोंकी ही कोरोनासे मृत्यु हो गयी है।

प्रासंगिक सुझाव

नौसेना प्रमुख एडिमिरल करमवीर सिंहका आजके दौरमें युद्धकी बदलती प्रकृतिको देखते हुए अतीतकी तुलनामें सेनाके तीनों अंगोंको संयुक्त करनेका सुझाव व्यावहारिक और प्रासंगिक है। नौसेना प्रमुखने तीनों सैन्य बलोंकी अहमियतको रेखांकित करते हुए कहा कि पूर्वकी अपेक्षा अब युद्धका स्वरूप बदल रहा है जिससे चुनौतियां भी बढ़ी हैं। बदलते हालातमें थल, जल, वायु, अन्तरिक्ष या साइबर जैसे सभी क्षेत्रोंमें तमाम विपरीत परिस्थितियोंसे निबटनेके लिए सेनाके तीनों अंगोंको संयुक्त करना महत्वपूर्ण हो जाता है। नौसेना प्रमुखके सुझावपर केन्द्र सरकारको गम्भीरतासे विचार करनेकी जरूरत है। सरकारको देखना होगा कि तीनों रक्षाबलोंकी एकजुटता देशकी सुरक्षा और सम्प्रभुताके लिए कितना व्यावहारिक है। हालांकि सरकारने पहले ही इस दिशामें महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है। सैन्य मामलोंके विभाग, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के पदका सृजन जैसे ऐतिहासिक रक्षा सुधार हुए हैं और शीघ्र ही थियेटर कमान (सेनाके तीनों अंगोंकी भागीदारीवाला कमान) का भी गठन होगा। सेनाके हर अंगकी अलग-अलग भूमिकाएं हैं जिनकी एकजुटता देशकी रक्षा पंक्तिको मजबूत बनानेमें अहम भूमिका निभायेंगी। इससे चुनौतियोंका सामना करनेमें मदद मिलेगी। मौजूदा समयमें वैश्विक स्तर तनातनीको देखते हुए तीसरे विश्वयुद्धकी आशंका बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थितिमें सतर्कता और देशकी सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए। युद्धकी स्थितिमें हमलेका तौर-तरीका भी बदलना होगा। पड़ोसी देशोंकी कुदृष्टिï भारतको असहज बनानेमें लगी हुई हैं। इनको हर घिनौनी हरकतपर सतत निगरानी रखनेकी जरूरत है।