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- हे महादेव! कोरोना से हमारी रक्षा करें
- पूजन-अभिषेक रुद्राभिषेक, जप और ध्यान
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पटना (आससे)। श्रावण कृष्ण नवमी को भरणी नक्षत्र में आयी सावन की दूसरी सोमवारी। मंदिर बंद रहने के बावजूद खुले में आस्था का स्थान शिवालय, दुर्गा-शिव मंदिरों में सोमवारीव्रती सुहागन एवं कुंवारी कन्याओं द्वारा भगवान शिव का अभिषेक पूजन का सिलसिला ५.३० बजे प्रात: आरंभ हुआ। श्रद्धालुओं का अभिषेक पूजन शिवआराधन अपराह्न तक चलता रहा।
सावन में शिवभक्ति आराधना का अनुष्ठान कर रहे श्रद्धालुओं की दूसरी सोमवारी, अभिषेक, रुद्राभिषेक, पूजन, जप, ध्यानपूर्वक सम्पन्न हुआ। सोमवारी व्रतियों का भक्तिभाव समर्पण रहा आकर्षण दूसरी सोमवारी पर राजधानी में। शिवभक्त महिलाओं ने मंडली बनाकर भगवान शिव को लोक भजन सुनाकर मनाया। संत पशुपतिनाथ वेद विद्यालय में प्राचार्य पं.अक्षय तिवारी और सचिव एवं आचार्य पं. अजित तिवारी ने बटुक ब्रह्मचारियों के साथ रुद्राभिषेक किया।
महावीर मंदिर के आकस्मिक पुजारी रहे पंडित गणपति झा ने कहा- सोमवारी की सार्थकता शिव भक्ति में है। शिव की भक्ति के लिए बर्दाश्त करने की क्षमता जरूरी है। सोमवारी व्रती के लिए आवश्यक है यम नियम का पालन। व्रती झूठ न बोले, छल प्रपंच न करें, क्रोध न करें, किसी के भी प्रति कोई दुर्भावना, मलिनता न रहे, बाहर-भीतर से शुद्ध रहे, जीवन में भगवान ने जितना दिया है उसी में संतोष पूर्वक जिये, कठिन परिश्रम करने योग्य बने। पूजा करके दिन भर शिव चर्चा, सत्संग, जप, ध्यान करे तो भगवान शिव की कृपा बरसती है। यही इस सावन की सोमवारी करने का फल है। घर में सोमवारी मनानेवाले श्रद्धालुओं के घर में कहीं शिव तांडव स्त्रोत तो कहीं शिव महिला स्त्रोत। कहीं रुद्राष्टाध्यायी के शब्द गूंजे। हर-हर महादेव, ऊं नम: शिवाय की आवाज मंदिरों के भीतर ही सुनायी दी।
ग्रह-गोचरों का महासंयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि कल श्रावण कृष्ण नवमी पर कृत्तिका नक्षत्र, वृद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना था। इसके साथ ही निर्माण योग और बुधादित्य योग का भी संयोग रहा। इस पुण्यकारी योग श्रद्धालुओं ने भगवान शंकर कि पूजा आराधना में कोई कसर नहीं छोड़ा। यथासंभव रूद्र का अभिषेक, श्रृंगार, शिव महिम्न, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, लिंगाष्टक, शिव तांडव आदि स्त्रोत्र का पाठ तथा अपनी अभीष्ट कामना कि पूर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया। विविध कामनाओं कि पूर्ति हेतु विविध सामग्रियों से शिव की पूजा-अर्चना की गयी।
सीमित संसाधनों में शिव की आराधना
कोरोना काल को लेकर सभी समाजिक दुरी का पालन कर रहे है। इसीलिए मंदिरों को भी बंद रखा गया है। ऐसे में सावन के दूसरे सोमवार पर शिव भक्तों ने अपने आराध्य की पूजा सीमित संसाधनों म एही कर रहे है। जलार्पण, दुग्धाभिषेक, गन्ना-अनार के रस, चंदन, भस्म, पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, इत्र, धुप-दीप से भोले भंडारी की पूजा किया।
नम: शिवाय, हर हर महादेव, बोलबम आदि मंत्रो से पूरा गली-मुहल्ला गुंजायमान रहा। कई श्रद्धालुओं ने निर्जला, फलाहार उपवास तो किसी ने पूजा के बाद अन्न, जल ग्रहण किया। धार्मिक मान्यता है कि कुंवारी कन्या को सोमवार का व्रत करने से सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है।