पटना

सर्वार्थ सिद्धि योग में सावन की दूसरी सोमवारी आज


पटना (आससे)। सावन में शिव की भक्ति में सराबोर सनातन समाज अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार पार्थिव, स्फटिक, नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक के साथ बहुविध रुद्रार्चन करते हुए बाबा भोले को प्रसन्न करने में जुटा हुआ है। सावन में महादेव को जलाभिषेक करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। सुहागन औरते अपनी सुहाग के लिए तथा कुंवारी कन्याएं अच्छे पति के लिए सावन की सोमवारी का व्रत विधि पूर्वक करती है। वैवाहिक सुख की सुगमता के लिए दूध में केसर तथा गंगाजल में हल्दी डालकर अभिषेक करे। बच्चों की आरोग्यता हेतु अनार एवं गन्ना का रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

शिव पूजन से तीनों लोक का सुख

भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य  पंडित राकेश झा ने पुराणों के हवाले से बताया कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन के दुर्लभ संयोग में दूसरी सोमवारी में शिव की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुणा लाभ मिलता है। शिव के रूद्र रूप को उग्र माना जाता है लेकिन प्रसन्न होने पर ये तीनों लोकों के सुखों को भक्तों के लिए सुलभ कर देते हैं। सावन के महीने में रूद्र ही सृष्टि के संचालन का कार्य देखते हैं। सावन की सोमवारी पर विशेषकर शिव की कृपा बरसती है। मंदिरो में कोरोना के सिर्फ पंडित या पुजारी ही जन कल्याण हेतु जलाभिषेक और रुद्राभिषेक के साथ संध्या काल में श्रृंगार पूजा करेंगे। श्रद्धालु अपने घरों में ही भगवान शिव पर गंगाजल, दूध, भांग-धतूर, आक, मधु, घी आदि अर्पित कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करेंगे।

प्रदोष काल में शिव पूजन उत्तम 

ज्योतिषी झा के मुताबिक आज सावन मास दूसरा सोमवार अत्यंत शुभ संयोग में पड़ रहा है । आज सावन कृष्ण नवमी के साथ कृत्तिका नक्षत्र व वृद्धि योग के होने से अति उत्तम सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है ढ्ढ इस पुण्य फलदायी योग में शिवाराधना करने से परिवार, धन्य-धान्य, कृत्ति, यश, वैभव में वृद्धि के साथ  मानसिक अशांति, गृह क्लेश और स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर हो जाती है। भगवान शंकर की पूजा प्रदोष काल में करना सर्वोत्तम माना गया है ढ्ढ  प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के 45 मिनट पहले या 45 मिनट बाद पूजा करना सबसे उत्तम होता  है।

शिव उपासना दिलायेगा कालसर्प योग से छुटकारा

पंडित झा के अनुसार सावन का दूसरा सोमवार शिवभक्तों को बेहतर स्वास्थ्य और बल प्रदान करने वाला है। सावन के इस दूसरे सोमवार में भगवान शिव को भांग, धतूरा और शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी होगा। आज रुद्राभिषेक करने से श्रद्धालुओं को कुंडली के अनिष्ट दोष तथा कालसर्प योग से छुटकारा भी मिलेगा। भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा व शिवोक्त मंत्र का जाप करने से आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

बन रहा ग्रहण योग का संयोग

हिन्दू पंचांग के मुताबिक आज सावन का दूसरे सोमवार में तिथि नवमी और कृत्तिका नक्षत्र विद्यमान रहेगा। आज सोमवार को चंद्रमा वृष राशि में गोचर करेगा। जहां राहु पहले से ही अपनी कुंडली जमाये विराजमान है। राहु तथा चन्द्र की युति से आज ग्रहण योग का संयोग बन रहा है। यदि किसी जातक के कुंडली में यह योग बना हुआ है तो आज महादेव की आराधना, मंत्र जाप और अभिषेक करने से इस दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है।

नवमी तिथि में शिव आराधना देता अक्षय फल

आज श्रावण मास के दूसरे सोमवारी पर कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पड़ रही है। सनातन धर्म में नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है।  इस नवमी की तिथि का संबंध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम से भी है ढ्ढ  प्रभु श्रीराम का जन्म इसी तिथि को हुआ था।  इसके अलावे इस तिथि को ही सर्व सिद्धि को देने वाली माता सिद्धिदात्री देवी का पूजन किया जाता है। आज सावन के द्वितीय सोमवार पर भोले भंडारी की पूजा से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवमी तिथि में किया गया पूजा या अन्य शुभ कार्य का फल अक्षय मिलता है।

बुधादित्य योग का हो रहा निर्माण

ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने कहा कि आज  सावन के दूसरे सोमवार पर कृत्तिका नक्षत्र की उपस्थिति रहेगी। यह 27 नक्षत्रों में तीसरा नक्षत्र होता है ढ्ढ  इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य व राशि के स्वामी शुक्र होते है। आज सूर्य कर्क राशि में बुध ग्रह के साथ बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। वहीं शुक्र सिंह राशि में मंगल के साथ युति बना रहे हैं। इस नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कर्तिकेय से जुड़ा है। भगवान कर्तिकेय देवताओं के सेनापति भी माने जाते हैं।