सम्पादकीय

सिग्नल बढ़ानेमें मदद करेगा सीएमएस-०१


योगेश कुमार गोयल
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघटन)ने फिर अंतरिक्षमें सफलताका नया इतिहास रचा है। १७ दिसम्बरको चेन्नईसे १२० किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्रके दूसरे लांच पैडसे पीएसएलवी-सी५० रॉकेटके जरिये अपना ४२वां संचार उपग्रह सीएमएस-०१ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसरोके ३२० टन वजनी पीएसएलवी-सी५० रॉकेटने बीस मिनटकी उड़ानके बाद सीएमएस-०१ (पूर्व नाम जीसैट-१२आर) को उसकी तय कक्षा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) में पहुंचा दिया और अब इस कक्षामें आगेकी यात्रा यह उपग्रह स्वयं पूरी करेगा। पीएसएलवी (धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) रॉकेटका यह ५२वां मिशन था और पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट (छह स्ट्रेपऑन मोटरसे संचालित) की २२वीं सफल उड़ान थी तथा सतीश धवन स्पेस सेंटरसे इसरोका यह ७७वां लांच मिशन था। सीएमएस-०१ को पृथ्वीकी कक्षामें ४२१६४ किलोमीटरके सबसे दूरस्थ बिन्दुपर स्थापित किया गया है। इस कक्षामें स्थापित होनेपर यह सैटेलाइट अब पृथ्वीके चारों तरफ उसीकी गतिसे घूमेगा और पृथ्वीसे देखे जानेपर आकाशमें एक जगह खड़े होनेका भ्रम देगा।
उपग्रहके जरिये सी-बैंड फ्रीक्वेंसीको मजबूती मिलेगी। सीएमएस-०१ को मोबाइल फोनसे लेकर टीवीतकके सिग्नलोंके स्तरको सुधारनेके लिए तैयार किया गया है, जो भारतके जमीनी इलाकोंके अलावा अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीपको भी कवर करनेवाले फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रमके विस्तारित सी-बैंडमें सेवाएं मुहैया करेगा। इस उपग्रहकी मददसे देशमें टीवी संचारको लेकर नयी तकनीक विकसित की जा सकेगी और यह उपग्रह मोबाइल-टीवी सिग्नलको बढ़ानेमें काफी मददगार साबित होगा। इसके जरिये टीवी संचार प्रणाली, टीवीसे संबंधित संचार प्रणालियों और व्यवस्थाओंको परिष्कृत करनेका अवसर मिलेगा। सीएमएस-०१ की मददसे टीवी चैनलोंकी दृश्य गुणवत्ता बेहतर होनेके अलावा सरकारको टेली-एजुकेशन, टेली-मेडिसनको आगे बढ़ाने तथा आपदा प्रबंधनके दौरान मदद मिलेगी। यह उपग्रह ११ जुलाई २०११ को लांच किये गये संचार उपग्रह ‘जीसैट-12Ó का स्थान लेगा, जो आगामी सात वर्षोंतक एक्सटेंडेड सी-बैंड फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रममें अपनी बेहतर सेवाएं देता रहेगा। जीसैट-१२ की मिशन अवधि आठ वर्ष की थी, जो पूरी हो चुकी है।
इसरो प्रमुख डा. के. सिवनके मुताबिक कोरोना महामारीके दौरमें भी इसरोने कड़ी मेहनत की है और यह पूरे देशके लिए गर्वका विषय है। दरअसल सीएमएस-०१ इस सालका देशका दूसरा और अंतिम प्रक्षेपण था। इससे पहले ७ नवम्बरको इसरोने पीएसएलवी-सी४९ के जरिये भू-निगरानी उपग्रह ‘ईओएस-०१Ó को नौ अन्य विदेशी उपग्रहोंके साथ प्रक्षेपित किया था। ‘ईओएस-०१Ó अर्थ ऑब्जर्वेशन रीसैट उपग्रहकी ही एक एडवांस्ड सीरीज है, जो कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन सहायतामें प्रयोग किया जानेवाला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। यह एक ऐसा अग्रिम रडार इमेजिंग उपग्रह है, जिसका सिंथैटिक अपरचर रडार बादलोंके पार भी दिन-रात तथा हर प्रकारके मौसममें स्पष्टताके साथ देख सकता है और इसमें लगे कैमरोंसे बेहद स्पष्ट तस्वीरें खींची जा सकती हैं। इन्हीं विशेषताओंके कारण इस उपग्रहके जरिये न केवल सैन्य निगरानीमें मदद मिलेगी, बल्कि कृषि, वानिकी, मिट्टीकी नमी मापने, भूगर्भ शास्त्र और तटोंकी निगरानीमें भी यह काफी सहायक साबित होगा। कोरोना कालसे ठीक पहले इसरो द्वारा १७ जनवरी २०२० को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेसके एरियन-५ रॉकेटके जरिये संचार उपग्रह ‘जीसैट-३०Ó प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो द्वारा हालमें अपने उपग्रहोंके नाम उसके वर्गके आधारपर रखनेका फैसला किया गया था और ‘सीएमएस-०१Ó पहला ऐसा संचार उपग्रह है, जिसे इसरोने इस नयी उपग्रह नामकरण योजनाके तहत कक्षामें स्थापित किया है। इससे पहले इसरोने अपने भू-निगरानी उपग्रहका नाम ‘ईओएसÓ रखा था और अब संचार उपग्रहका नामकरण ‘सीएमएसÓ किया गया है। संचार उपग्रह ‘सीएमएस-०१Ó के सफल प्रक्षेपणके बाद इसरोका अगला प्रक्षेपित किया जानेवाला रॉकेट पीएसएलवी-सी५१ होगा, जो फरवरी-मार्च २०२१ में लांच किया जायगा। पीएसएलवी-सी५१ का प्राथमिक पेलोड ६००-७०० किलोग्राम वजनी ब्राजीलका उपग्रह होगा। पीएसएलवी-सी५१ भारतके पहले स्टार्टअप (पिक्ससेल) निर्मित भू-निगरानी उपग्रहको लेकर अंतरिक्षमें जायगा। पीएसएलवी-सी५१ इसके साथ ‘स्पेसकिड्जÓ टीमके तहत छात्रों द्वारा निर्मित संचार उपग्रह और तीन विश्वविद्यालयोंके समूह द्वारा निर्मित एक अन्य उपग्रहको भी लेकर जायगा।
पीएसएलवी इसरो द्वारा संचालित एक ऐसी उन्नत प्रक्षेपण प्रणाली है, जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा अपने उपग्रहोंको अंतरिक्षकी कक्षामें प्रक्षेपित करनेके लिए विकसित किया गया है। पीएसएलवीको भारतीय उपग्रहोंके अलावा विदेशी उपग्रहोंकी लांचिंगके अलावा भी उपयोग किया जाता रहा है। यह एक चार चरण-इंजनवाला ऐसा रॉकेट है, जो ठोस तथा तरल ईंधन द्वारा वैकल्पिक रूपसे छह बूस्टर मोटर्सके साथ संचालित किया जाता है और शुरुआती उड़ानके दौरान उच्च गति देनेके लिए पहले चरणपर स्ट्रैप होता है। पीएसएलवी छोटे आकारके उपग्रहोंको भू-स्थिर कक्षामें भी भेज सकनेमें सक्षम है और पीएसएलवीकी सहायतासे अभीतक सत्तरसे भी ज्यादा अंतरिक्ष यानोंको विभिन्न कक्षाओंमें प्रक्षेपित किया जा चुका है। इसरो प्रमुखके सिवनके अनुसार इसरो टीमका शेड्यूल बेहद व्यस्त है क्योंकि इसरो टीमको आनेवाले समयमें चंद्रयान-३, आदित्य एल-१ उपग्रह, भारतके मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान और स्मॉल रॉकेट स्मॉल सेटेलाइट लांच ह्वïीकल (एसएसएलवी) का प्रक्षेपण करना है।