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सुरक्षा परिषद में भारत की दो टूक- अफगानिस्तान की शांति के लिए खतरा है आतंकी संगठन ISIL-K,


संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में कहा कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आइएसआइएल-के की मौजूदगी व क्षमता काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित संगठनों से इनके संबंध और अन्य आतंकी समूहों के भड़काऊ बयान क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा हैं। रुचिरा ने कहा कि काबुल में 18 जून को सिख गुरुद्वारे पर हुआ हमला और 27 जुलाई को उसी गुरुद्वारे के पास एक और बम विस्फोट होने सहित अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों पर लगातार हो रहे हमले बेहद चिंताजनक हैं।

‘अफगानियों से हमारे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध’

रूस के अनुरोध पर सोमवार को अफगानिस्तान पर बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, जैसा कि हमने सुरक्षा परिषद में बार-बार कहा है कि एक निकटवर्ती पड़ोसी और लंबे समय से साझीदार होने के साथ अफगानियों से हमारे मजबूत ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध हैं, इसलिए वहां पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने को लेकर भारत के सीधे हित जुड़े हुए हैं।

‘प्रतिबंधित आतंकवादियों और संगठनों को कोई समर्थन न मिले’

कंबोज ने सुरक्षा परिषद से यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया कि ‘ऐसे प्रतिबंधित आतंकवादियों, संगठनों या उनसे संबद्ध अन्य लोगों व संस्थाओं को अफगानिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई समर्थन न मिले।’ रुचिरा ने कहा कि भारत ने हमेशा अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की वकालत की है। उल्लेखनीय है कि इस माह सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन कर रहा है।

भारत ने अफगानिस्तान को अब तक भेजे 40 हजार टन गेहूं

एएनआइ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद को बताया कि भारत ने अपना पड़ोसी धर्म निभाते हुए अब तक 40 हजार टन गेहूं अफगान लोगों की मदद के लिए भेजे हैं। इसके साथ ही भारत ने 32 टन चिकित्सीय उपकरण एवं दवाएं भेजी हैं। इनमें टीबी की दवाएं व कोरोना वैक्सीन के पांच लाख डोज शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान का कब्जा हो गया था।