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- शहर का वीआईपी इलाका डीएम कॉलोनी में घुटना भर पानी
- चाहे सद्भावना मार्ग हो या पोस्ट ऑफिस मोड़ या फिर गुरूसहाय लाल चौक या पुल चौक झील में हो जा रहा है तब्दील
- स्मार्ट सिटी के नाम पर मालामाल हो रहे हैं ठेकेदार और अधिकारी शहरवासियों को नहीं मिल रहा फायदा
- शहर में जरूरत है ड्रेनेज, लाइटिंग और सड़क की बन रहा है बेवजह फ्लाई ओवर और जेलनुमा चहारदीवारी वाला तालाब
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बिहारशरीफ (आससे)। बिहारशरीफ शहर का शुमार स्मार्ट सिटी में होता है। आये दिन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बैठकें भी होती है, जिसमें चेयरमैन, नगर आयुक्त से लेकर महापौर और उपमहापौर भी सदस्य के रूप में हिस्सा लेते है। हर बार की बैठक में करोड़ों की योजना स्वीकृत होती है। करोड़ों की योजनाओं पर काम भी चल रहा है, लेकिन हकीकत है कि ये सारी योजनाएं दिखावा भर ही है।
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सच तो यह है कि स्मार्ट सिटी के लोग थोड़ी सी बारिश के बाद नरक सिटी में रहने को मजबूर हो रहे है। इस वर्ष मई माह से ही बारिश शुरू हो गयी। मई और जून महीने में कई दिन मूसलाधार बारिश हुई और इसके साथ हीं शहर की स्मार्ट होने के दावे सामने आने लगे। प्रायः प्रमुख सड़कें नहर और नदी में तब्दील हो जा रहा है। और तो और शहर का वीआईपी इलाका डीएम कॉलोनी पानी में डूब जा रहा है। डीएम, एसपी सहित वरीय अधिकारियों के आवास और रास्ते में घुटने भर पानी जमा हो रहा है।
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शहर की प्रमुख सड़कों में एक है सद्भावना पथ यानी पुरानी पटना-रांची रोड, लेकिन बारिश के बाद यह रोड भी नदी का रूप ले ले रहा है। रोड पर चल रहे या पार्किंग में खड़े वाहन चाहे वह दोपहिया रहा हो या चौपहिया तैरने लगता है। जो जहां होते है, वहां खड़ा रहने को मजबूर होते है। वजह यह कि पानी इतना भर जा रहा है कि लोग को कुछ पता ही नहीं चल पाता।
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यही हाल पोस्टऑफिस चौराहा से लेकर काशी तकिया जाने वाली सड़क की है। आलमगंज और पुल चौराहा से लेकर खंदक रोड में भी यही स्थिति पैदा हो रही है। अब तो गुरूसहायलाल चौक जो अंबेर चौक के नाम से जाना जाता है वह भी पानी में तैरने लगा है। यह तो कुछ सड़कों की बानगी है। कई प्रमुख सड़कों का यही हाल है। इससे अधिक बुरा हाल मोहल्ले की गली ओर सड़कों की है।
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विडंबना तो यह है कि बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी में शुमार हुए छः साल हो चुके है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत शहर की स्मार्टनेस कहीं भी नहीं दिखती। हां यह जरूर है कि इस शहर की कुछ तालाबों को सौंदर्यीकरण के नाम पर जेलनुमा चहारदीवारी में कैद कर दिया गया है, जो बाहर से दिखाई भी नहीं पड़ता। एक लोग इसमें स्नान नहीं करते। कहा जाय तो अधिकांश तालाबें जिनका सौंदर्यीकरण हो रहा है सिर्फ स्मार्ट सिटी के पैसा खर्च करने का जरिया बन गया है। मिसाल के तौर पर बिहार क्लब के सामने का तालाब, धनेश्वरघाट मंदिर के सामने मा तालाब आदि-आदि।
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत ही अब शहर के भराव चौराहे पर फ्लाई ओवर बनाये जाने की स्वीकृति मिली है। हकीकत यह है कि यहां इसकी कोई आवश्यकता नहीं। इस पर खर्च आने वाली राशि का 10 फीसदी हिस्सा से चौक का सौंदर्यीकरण कर दिया जाता तो कभी जाम ही नहीं लगता। इससे कहीं अधिक जाम तो पुल चौराहा, अंबेदकर चौक, करूणबाग मोड़ और एतवारी चौक से लेकर सोहसराय तक लग रही है, जहां के लिए कोई योजना नहीं है। शहर में यह बात चर्चा का विषय है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर अधिकारी इस प्रोजेक्ट में आने वाली राशि को सिर्फ खपा रहे है, जिसका फायदा स्थानीय लोगों को कम और बाहरी ठेकेदारों तथा अधिकारियों को अधिक मिल रहा है।
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चर्चा तो यह भी है कि स्मार्ट सिटी की राशि को कमीशन के चक्कर में बड़े-बड़े प्रोजेक्टों में तब्दील कर पैसा को खर्च कर दिया जा रहा है। काश इस पैसे से शहर में ड्रेनेज सिस्टम विकसित होता, बड़े नाले का निर्माण होता या फिर शहर की सड़कों को सुदृढ़ किया जाता, शहर की लाइटिंग व्यवस्था सुदृढ़ होती तो शायद लोग इसे स्मार्ट सिटी के नाम से भी जानते।