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स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर पीएम मोदी 125 रुपये का स्मृति सिक्का करेंगे जारी


  • इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की आज 125वीं जयंती है. श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की जयंती पर आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 125 रुपये का स्मृति सिक्का जारी करेंगे.

इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद की आज 125वीं जयंती है. श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की जयंती पर आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 125 रुपये का स्मृति सिक्का जारी करेंगे. प्रधानमंत्री के कार्यालय और पीएम मोदी के ट्वीट से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी आज शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम से जुड़ेंगे. इसके बाद शाम 4:30 बजे वो लोगों को भी संबोधित करेंगे.

कौन है स्वामी प्रभुपाद

स्वामी प्रभुपाद विश्वभर में फैले इस्कॉन मंदिर की स्थापना के लिए जाना जाता है. स्वामी प्रभुपाद का जन्म 1 सितंबर 1896 को कोलकता में हुआ था. उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के संदेश को पहुंचाने इस्कॉन की स्थापना की. ISKON को International Society For Krishna Consciouness और अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ भी कहा जाता है. इसे हरे कृष्ण आंदोलन भी कहा जाता है. इस मंदिर के भजन हरे रामा हरे कृष्णा को विदेशी भी पूरे भक्ति से गुनगुनाते हैं.

पूरे दुनिया में हैं 400 से भी ज्यादा इस्कॉन मंदिर

पूरे दुनिया में 400 से भी ज्यादा इस्कॉन मंदिर है. दिलचस्प बात यह है कि इस्कॉन का पहला मंदिर भारत में नहीं बना था. दरअसल दुनिया का सबसे पहला इस्कॉन मंदिर न्यूयॉर्क में सन 1966 में बना था. इस मंदिर का निर्माण श्रीमूर्ति श्री अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी. दुनिया में बैंगलोर में बना इस्कॉन मंदिर सबसे बड़ा इस्कॉन माना जाता है. साल 1968 में वृंदावन के तर्ज पर अमेरिका की पहाड़ियों में नव वृंदावन की स्थापना की गई थी. महाप्रभु प्रभुपाद का निधन 14 नवंबर 1977 को कृष्ण नगरी मथुरा के वृंदावन में हुआ.

स्थापना के 11 साल में फैला आंदोलन

इस्कॉन ब्रह्मा माधव गौड़ी वैष्मव संप्रदाय का एक हिस्सा है, जो चार वैष्णव संप्रदायों में से एक है. यह जानकारी इस्कॉन के वेबसाइट से मिली है. अपने स्थापना के महज 11 साल बाद इस्कॉन एक आंदोलन के रूप में पूरे दुनिया में फैल गया.

89 भाषाओं में किया श्रीमदभागवत का अनुवाद

इस्कॉन ने अबतक पूरी दुनिया के 89 भाषाओं में श्रीमदभागवत गीता का अनुवाद किया है. दुनिया भर में भागवत के प्रसार में इस्कॉन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है.