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‘स्वास्थ्य को दिया जाए संवैधानिक अधिकार का दर्जा तो होंगे ये फायदे’ कैलाश सत्यार्थी ने सरकार से की मांग


  • नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने स्वास्थ्य (Health) को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की पैरवी करते हुए कहा कि इस कदम से देश में स्वास्थ्य सेवा के पूरे सिस्टम को मजबूती दी जा सकेगी. सरकार के सामने अपनी मांग रख चुके सत्यार्थी ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर के कारण लोगों में छाई निराशा के माहौल में स्वास्थ्य सेवा को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का दर्जा देने से लोगों के बीच एक पॉजिटिव मैसेज जाएगा.

उन्होंने कहा, “कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा उजागर हो गई है. बेड और ऑक्सीजन के अभाव में हजारों लोगों ने अस्पतालों के बाहर दम तोड़ दिया. कई प्राइवेट अस्पतालों में गलत तरीके से लाखों के बिल बनाए गए.” सत्यार्थी ने इस बात पर जोर दिया, “गरीब, वंचित और आम व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएं, इसके लिए हेल्थ सिस्टम को मजबूत बनाना होगा. इसमें ज्यादा संसाधन लगाने पड़ेंगे. इसी नाते मैंने सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की जरूरत है.”

कोई भी नीति बनाते समय बच्चों को दें महत्व : कैलाश सत्यार्थी

उन्होंने कहा, “अगर हम स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाते हैं तो इससे पूरे स्वास्थ्य सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है. जैसा कि शिक्षा (Education) को मौलिक अधिकार मिलने से हुआ. इससे कोरोना की घातक लहर से लोगों में जो निराशा, डर और अनिश्चितता छा रही है, उनमें एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा.” ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी ने यह भी कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर बच्चों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय कार्यबल (National Task Force) बनाने की जरूरत है. सत्यार्थी ने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अपनी नीतियां बनाते समय बच्चों को विशेष महत्व दें.