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हरियाणा की राजनीति से अभी रिटायर नहीं होंगे चौधरी बीरेंद्र सिंह, शक्ति प्रदर्शन किया


अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। अपनी सक्रिय राजनीति के पचास साल पूरे होने पर शक्ति प्रदर्शन कर चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह राजनीति के घाघ खिलाड़ी निकले। बीरेंद्र सिंह ने जींद के उचाना में रैली कर न केवल भाजपा हाईकमान को अपनी ताकत दिखा दी, बल्कि पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेताओं को अपने मंच पर बुलाकर हाईकमान को आंखें दिखाने का भी काम कर दिया है।

जन्मदिन के बहाने अपने पुराने साथियों को एक मंच पर इकट्ठा करने में कामयाब हुए बीरेंद्र सिंह को आम आदमी पार्टी और तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करने की पेशकश तो मिली, लेकिन दोनों हाथों में लड्डू रखते हुए चौधरी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यानी फिलहाल वह भाजपा में ही बने रहने वाले हैं, लेकिन भविष्य की राजनीति के हिसाब से उनके पास आम आदमी पार्टी और तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करने के विकल्प भी खुले हैं।

बरसों से मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे बीरेंद्र सिंह ने उचाना में रैली कर भाजपा हाईकमान को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह भले ही 75 पार हो चुके, लेकिन राजनीति में अभी चूके नहीं हैं। बीरेंद्र सिंह ने इस रैली में अपने तमाम उन पुराने साथियों को बुलाया, भले ही वह किसी भी राजनीतिक दल में राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने एक सोची समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को इस रैली का निमंत्रण नहीं दिया था। इस बारे में उनकी इन चारों नेताओं से अलग-अलग बात भी हुई है। बीरेंद्र सिंह ने इन चारों नेताओं को अपनी रैली में न बुलाने की वजह भी साफ की।

 

उनका मानना है कि यदि इनमें से कोई भी एक नेता या चारों रैली में आ जाते तो इसकी दिशा ही बदल जाती। रैली में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता ने बीरेंद्र सिंह को अपनी पार्टी में आने की पेशकश की, लेकिन वह अपनी बात कहकर और बीरेंद्र सिंह की बात सुने बिना चले गए।

सुशील गुप्ता के जाने के बाद बीरेंद्र सिंह ने व्यंग्य कसते हुए कहा भी कि सिर्फ पेशकश देने से काम नहीं चलता। आप तो आगे की कोई बात किए बिना चले गए। हालांकि बाद में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने सुशील गुप्ता को यह कहते हुए नसीहत दी कि दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं को जोड़ने से बेहतर है कि राज्य के आम आदमी को पार्टी के साथ जोड़ा जाए।

इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला पिछले कई दिनों से राज्य में एक तीसरे मोर्चे के गठन का तानाबाना बुन रहे हैं। चौटाला ने रैली के मंच से स्पष्ट तौर पर यह संदेश दिया कि यहां जितने भी लोग आए हैं, वह अपने-अपने दलों में प्रताड़ित और उत्पीड़ित नेता हैं, इसलिए तीसरे मोर्चे का नेतृत्व यदि बीरेंद्र सिंह करें तो बदलाव संभव हैं।

रैली के मंच पर पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल और पूर्व लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर की उपस्थिति अभय की बात पर मुहर लगा रही थी।

दोनों हाथों में लड्डू रखकर चल रहे छोटू राम के नाती

खुद के रिटायर होने से इन्कार करते हुए बीरेंद्र सिंह ने अभय चौटाला की इस पेशकश का स्वागत तो किया, लेकिन यह कहते हुए इस प्रस्ताव को अभी लंबित छोड़ दिया कि यदि पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों के बूते कोई सरकार बन सकती है तो हम आज ही सरकार बना सकते हैं अन्यथा हमें इसके लिए माहौल और मौके का इंतजार करना पड़ेगा।

बीरेंद्र सिंह के आप और तीसरे मोर्चे के रूप में दोनों हाथों में लड्डू देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को कहा भी कि वह भाजपाई हैं, भाजपा में थे और भाजपा में ही रहेंगे। अब बीरेंद्र के अगले कदम पर सबकी निगाह होगी। इस रैली के जरिये बीरेंद्र सिंह न केवल खुद को, बल्कि अपने सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह को नई ऊर्जा देने में जरूर कामयाब रहे हैं।