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हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले TMC नेताओं को नजरबंद रखने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI


नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High court) के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है, जिसमें नारदा रिश्वत (Narada Sting Case) मामले में बंगाल (West Bengal) के चार नेताओं को हाउस अरेस्ट में रखने की अनुमति दी गई है. केंद्रीय एजेंसी वह सुनवाई भी टालना चाहती है, जिसमें हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ जमानत याचिका पर फैसला कर सकती है.

गिरफ्तार किए गए लोगों में मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और तृणमूल के पूर्व नेता शोभन चटर्जी शामिल हैं. सीबीआई की चार्जशीट में दावा किया गया है कि तृणमूल के एक दर्जन नेताओं पर या तो रिश्वत लेने या ऐसा करने के लिए राजी करने का आरोप है. उनमें से दो भाजपा में शामिल हो चुके हैं. उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

नजरबंदी का दिया था आदेश

बता दें कि अदालत ने शुक्रवार को हाकिम, मुखर्जी, मदन मित्रा और चटर्जी को नजरबंदी में रखने का आदेश दिया था. इसके लिए अदालत ने अपने पूर्व के आदेश को संशोधित किया जिसके तहत सीबीआई अदालत द्वारा चारों नेताओं को दी गयी जमानत पर रोक लगायी गयी थी. हालांकि मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी तत्काल घर नहीं लौट सके, क्योंकि उनका स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के कारण अस्पतालों में इलाज चल रहा है.पीठ ने निर्देश दिया था कि नजरबंदी के दौरान उन्हें सभी चिकित्सकीय सुविधाएं मिलेंगी और सभी पाबंदी का पालन करना होगा. कहा थ कि राज्य में जेल अधिकारियों का कर्तव्य है कि वह इन निर्देशों का पालन कराए.

कलकत्ता हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पीठ में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा मंत्री मुखर्जी और हाकिम, मित्रा और चटर्जी को दी गई जमानत पर रोक लगाने को लेकर मतभेद था. इस पीठ ने मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया. इसके लिए कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने पांच न्यायाधीशों की एक पीठ बनायी है जिसमें वह खुद, जस्टिस आईपी मुखर्जी, जस्टिस हरीश टंडन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी हैं. मामले में आज सुनवाई होगी. नई पीठ मामले को निचली अदालत से उसके पास स्थानांतरित करने की सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई करेगी.