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2021 में कैसी रही भारतीय विदेश नीति, मुक्त व्यापार समझौतों के प्रति सतर्कता बरत रहा भारत


विवेक ओझा। वर्ष 2022 दस्तक देने की तैयारी में है। बीत रहे वर्ष में भारत ने अपनी विदेश नीति के स्तर पर अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों को दर्ज किया। चीन से सीमा विवाद, रूस से प्रतिरक्षा उपकरण की खरीद और अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता की वापसी ने जहां भारत को तनाव दिए, वहीं भारत ने मध्य एशियाई देशों से मजबूत संबंधों को धार देते हुए आगामी गणतंत्र दिवस पर अपनी विस्तारित पड़ोस की नीति को नई ऊर्जा देने के लिए मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।

सबसे प्रमुख बात यह है कि वैश्विक स्तर पर भारत ने अपनी मेडिकल डिप्लोमेसी का लोहा विश्व समुदाय में मनवाया है। हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और पैरासिटामोल सरीखी दवाओं की मांग में भारी वृद्धि को पूरा करने के लिए उसने इन दवाओं का उत्पादन और निर्यात को अनुमति देने की गति, दोनों बढ़ा दिए गए और उससे भी आगे जाकर कोविशील्ड वैक्सीन भी अनेक देशों को उपलब्ध करवाई। आपरेशन संजीवनी के तहत भारत के पड़ोसी देशों को व्यापक सहायता दी गई। भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर विश्व व्यापार संगठन में कोरोना वैक्सीन को बौद्धिक संपदा अधिकार खासकर पेटेंट के दायरे से बाहर रखने के प्रस्ताव किए और उसके लिए मजबूत लामबंदी भी की और बड़े स्तर पर भारत को देशों से समर्थन भी मिला। इससे एक बात यह भी सिद्ध हुई कि भारत विकासशील देशों को सस्ती दरों पर दवाओं और वैक्सीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए निरंतर खड़ा मिलेगा।

ओआइसी और पाकिस्तान की चालों का जवाब : भारत ने 2021 में अनेक अवसरों पर इस्लामिक सहयोग संगठन और कुछ कट्टर इस्लामिक देशों को यह संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वह भारत का आंतरिक मामला है। ओआइसी जैसा कोई भी संगठन आसानी से अल्पसंख्यक आत्मनिर्धारण अधिकार के नाम पर अपने प्रस्तावों में भारत को कश्मीर घाटी में मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी करार देकर अपने निहित स्वार्थो को पूरा नहीं कर पाएगा। भारत का दृष्टिकोण है कि जब कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है तो ओआइसी को इससे जुड़े प्रस्ताव खड़े कर पाकिस्तान जैसे देशों का साथ देना ठीक नहीं है। भारत ने गुलाम कश्मीर में इमरान सरकार द्वारा कराए गए चुनाव को भी इसी नजरिये से अवैध घोषित कर दिया था।

चाबहार और भारतीय दृष्टिकोण : भारत ने 2021 में ही साफ तौर पर चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट को आइएनएसटीसी यानी अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण व्यापारिक गलियारा प्रोजेक्ट में शामिल करने की मंशा जाहिर करते हुए इसका प्रस्ताव किया था। ईरान व अफगानिस्तान को जोड़ना इसका मुख्य आधार है। आइएनएसटीसी ईरान के सबसे बड़े बंदरगाह बंदर अब्बास से होकर गुजरता है और इसलिए भारतीय विदेश मंत्री ने प्रस्ताव किया था कि इस कारिडोर का काबुल और ताशकंद से होकर जाने वाला मार्ग आइएनएसटीसी के पूर्वी गलियारे का निर्माण करे। भारत ने अपने कुछ भू-सामरिक, आर्थिक हितों को देख इस अंतरराष्ट्रीय गलियारे के तहत एक पूर्वी गलियारे के निर्माण का प्रस्ताव रखा।

अगर चुनौतियों की बात करें तो चीन के साथ जारी सीमा विवाद खासकर चीन की अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और कश्मीर में लद्दाख सहित कुछ अन्य भागों पर अवैध दावे, चाइना साउथ एशियन कंट्रीज पावर्टी एंड कोआपरेटिव डेवलपमेंट सेंटर खोलने जैसे अन्य प्रयासों के जरिये भारत के पड़ोसी देशों के साथ गठजोड़ करने, म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां कैसे एक निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार आए जो भारत में म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों, शरणार्थियों और ड्रग्स की तस्करी को रोकने में सहयोग दे, भारत के लिए यह चिंता का विषय रहा है। पूवरेत्तर भारत में अलगाववादी गतिविधियों को रोकने में म्यांमार सरकार का सहयोग आज भारत के लिए एक बड़ी जरूरत है। भारत का श्रीलंका के साथ मछुआरों के मसले पर विवाद का समाधान भी एक टेढ़ी खीर बना हुआ है। वहीं अब्दुल्ला यामीन के जेल से छूटने के बाद मालदीव में यामीन समर्थकों के एक बड़े वर्ग द्वारा भारत विरोधी अभियान चलाने और चीन से मजबूत संबंधों का आवाहन करने की स्थिति को भी यह कहकर हल्के में नहीं लिया जा सकता कि मालदीव हमारे पड़ोसी प्रथम नीति और सागर विजन का अभिन्न हिस्सा है।

भारत भले ही इस साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना, लेकिन समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद से मुकाबले पर वैश्विक सहयोग को सुनिश्चित कराने के लिए अभी उसे अपनी डिप्लोमेसी के उच्च स्तर को दिखाना बाकी है। भले ही भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष बने, परंतु चीन की भ्रामक सूचनाओं और जनस्वास्थ्य विरोधी चालों के संदर्भ में सतर्क रहना आवश्यक है। कुल मिलाकर, भारत को चुनौतियों और संभावनाओं की पड़ताल करते रहनी होगी।