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New Criminal Laws: नए आपराधिक कानूनों में जीरो FIR समेत होंगे ये 10 अहम प्रविधान


 नई दिल्ली। आगामी एक जुलाई से लागू हो रहे तीन अहम कानून भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है। इन तीनों कानूनों के तहत जीरो एफआइआर, आनलाइन पुलिस शिकायत, इलेक्ट्रानिक माध्यमों से समन भेजना और घृणित अपराधों में क्राइम सीन की वीडियोग्राफी अनिवार्य हो जाएगी।

 

नए कानूनों के बारे में जागरूकता

अगले हफ्ते से लागू होने वाले तीनों नए आपराधिक कानूनों के लिए बुनियादी स्तर पर 40 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। इसमें 5.65 लाख पुलिस कर्मी, जेल अधिकारी भी शामिल हैं। इन सभी को इन नए कानूनों के बारे में सबको जागरूक करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है।

न्याय प्रणाली को सहज और सुलभ बनाना

नए कानूनों में जांच और न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी दखल बढ़ने से नेशनल क्राइम रिकॉ‌र्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता देने की व्यवस्था की गई है। अब देश के हरेक पुलिस स्टेशन में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लिकेशन के तहत सभी केस दर्ज होंगे।

 

तीन नए आपराधिक कानून में 10 अहम प्रविधान

– एक व्यक्ति सशरीर पुलिस स्टेशन में उपस्थित हुए बगैर भी इलेक्ट्रानिक माध्यमों से घटना की रिपोर्ट कर सकता है। इससे पुलिस को भी त्वरित कार्रवाई में मदद मिलेगी।

-नए कानून में जीरो एफआइआर की शुरुआत की गई है। पीडि़त किसी भी थाना क्षेत्र में अपनी एफआइआर दर्ज करा सकता है। पीडि़त को एफआइआर की निशुल्क कॉपी भी मिलेगी।

-सशक्त जांच के लिए गंभीर आपराधिक मामलों में सुबूत जुटाने के लिए क्राइम सीन पर फारेंसिक विशेषज्ञों का जाना अनिवार्य। सुबूत एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।

-महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में जांच एजेंसियों को दो महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी। 90 दिनों के अंदर पीडि़तों को केस में प्रगति की नियमित अपडेट देनी होगी।

-अपराध के शिकार महिला और बच्चों को सभी अस्पतालों में फ‌र्स्ट एड या इलाज निशुल्क मिलने की गारंटी होगी। चुनौती भरी परिस्थितियों में भी पीडि़त जल्द ठीक हो सकेंगे।

 

-गवाहों की सुरक्षा व सहयोग के लिए सभी राज्य सरकारें विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम लागू करेंगी। दुष्कर्म पीडि़ताओं को आडियो-वीडियो माध्यम से पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करने की छूट मिलेगी।

– नए कानून में मामूली अपराधों के लिए दंडस्वरूप सामुदायिक सेवा की विधा शुरू। समाज के लिए सकारात्मक योगदान देकर दोषी अपनी गलतियों को सुधारने का काम करेगा।

-सुनवाई में देरी से बचने और न्याय की त्वरित बहाली के लिए कोई अदालत किसी मामले को अधिकतम दो बार ही स्थगित कर सकेगी। सभी कानूनी कार्यवाही इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो सकेगी

-पीड़ित महिला की अदालती सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट ही करेगी। अन्यथा संवेदनशील मामले में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज होगा।

-15 साल से कम आयु, साठ साल से अधिक और दिव्यांगो व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन में पेश होने से छूट होगी। उन्हें पुलिस की मदद अपने निवास स्थान पर ही मिलेगी।