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5 साल में पैदा हुईं 8 करोड़ नौकरियां, श्रम मंत्रालय ने बताया कहां से आया इतना रोजगार –


नई दिल्ली। ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) और स्टार्टअप्स भारत में नौकरियां पैदा करने में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। यह जानकारी श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने दी है। उनका कहना है कि इन दोनों ने मिलकर पिछले पांच साल में करीब आठ करोड़ नई नौकरियां पैदा की हैं।

ग्लोबल कैपिबिलिटी सेंटर आमतौर पर दुनियाभर के संगठन बनाते हैं। इसका मकसद वैश्विक प्रतिभा, संसाधनों और विशेषज्ञता का सही तरीके से इस्तेमाल करना होता है। ये अमूमन बड़े कॉर्पोरेशन का हिस्सा होते हैं और R&D, आईटी सर्विसेज, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग, इंजीनियरिंग सर्विसेज जैसी कई सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।

श्रम मंत्रालय की सचिव ने क्या कहा?

श्रम मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और एम्प्लॉयर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईएफआई) के बोल रही थीं। उन्होंने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) का हवाला देते हुए 5 साल में 8 करोड़ रोजगार पैदा होने की बात कही।

डावरा ने श्रम कानूनों को अपराधमुक्त करने और महिला कार्यबल भागीदारी बढ़ाने जैसे सुधारों का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने व्यापार को आसान बनाने के लिए कई सुधार किए हैं। डावरा ने कहा, ‘सामाजिक सुरक्षा और श्रम कल्याण जैसे सुधारों से भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। साथ ही, 29 श्रम कानूनों को चार श्रम कानूनों में संहिताबद्ध किया गया है। एक राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल सक्रिय है और कौशल मंत्रालय से डेटा एकीकृत किया जा रहा है।’

भारत में 1 करोड़ गिग वर्कर्स

डावरा ने कहा कि भारत में 1 करोड़ गिग वर्कर हैं और साल 2030 तक गिग इकोनॉमी से करीब 2.4 करोड़ लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। गिग वर्कर का मतलब ऐसे कर्मचारियों से हैं, जो स्थायी कर्मचारी नहीं होते। ये लोग फ्रीलांसर या फिर काफी कम समय के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। जैसे कि जोमैटो या स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म के डिलिवरी ब्वॉय और ओला-उबर से जुड़े ड्राइवर।

गिग कर्मचारी अर्थव्यवस्था के सर्विस सेक्टर का अहम हिस्सा होते हैं। यह क्षेत्र लगातार तेजी से बढ़ रहा है। डावरा ने कहा कि सरकार ने नौकरियों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। उन्होंने कहा कि एआई पर हमें किसी नतीजे पर पहुंचने से और भी ज्यादा स्टडी करने की जरूरत है।

(आईएएनएस से इनपुट के साथ)