सम्पादकीय

ऊर्जाओंका समूह


श्रीश्री रविशंकर
गणेश दिव्यताकी निराकार शक्ति हैं, जिनको भक्तोंके लाभके लिए एक शानदार रूपमें प्रकट किया गया है। गण यानी समूह। ब्रह्मांड परमाणुओं और विभिन्न ऊर्जाओंका एक समूह है। इन विभिन्न ऊर्जा समूहोंके ऊपर यदि कोई सर्वोपरि नियम न बनकर रहे तो यह ब्रह्मांड अस्त-व्यस्त हो जायगा। परमाणुओं और ऊर्जाके इन सभी समूहोंके अधिपति गणेश हैं। वह परमतत्व चेतना हैं, जो सबमें व्याप्त है और इस ब्रह्मांडमें व्यवस्था लाती है। आदि शंकरने गणेशके सार तत्वका बड़ा सुंदर वर्णन किया है। हालांकि गणेश भगवानको हाथीके सिरवाला स्वरूप हमें निराकार परब्रह्म रूपकी ओर ले जानेके लिए है। वह अगम, निर्विकल्प, निराकार और एक हैं। अर्थात्ï वह अजन्मे, गुणातीत हैं और उस परम चेतनाके प्रतीक हैं। गणेश वही शक्ति हैं, जिससे इस ब्रह्मांडका सृजन हुआ, जिससे सब कुछ प्रकट हुआ और जिसमें यह सब कुछ विलीन हो जाना है। हम सब इस कहानीसे परिचित हैं कि गणेशजी कैसे हाथीके सिरवाले भगवान बने। शिव और पार्वती उत्सव मना रहे थे, जिसमें पार्वती जी मैली हो गयीं। यह अहसास होनेपर वह अपने शरीरपर लगी मिट्टीको हटाकर उससे एक लड़का बना देती हैं। वह स्नान करने जाती हैं और लड़केको पहरेदारी करनेके लिए कहती हैं। जब शिव लौटते हैं, वह लड़का उन्हें पहचान नहीं पाता और उनका रास्ता रोकता है। शिव लड़केका सिर काट देते हैं और अंदर प्रवेश कर जाते हैं। पार्वती चौंक जाती हैं। वह समझाती हैं कि वह उनका बेटा था और उसे बचानेका निवेदन करती हैं। शिवके आदेशपर सहायक हाथीका सिर लाते हैं, जिसे शिवजी लड़केके धड़से जोड़ देते हैं और इस तरह गणेशकी उत्पत्ति होती है। क्या यह सुननेमें कुछ अजीब-सा है, पार्वतीके शरीरपर मैल क्यों आया। सब कुछ जाननेवाले शिव अपने ही बेटेको क्यों नहीं पहचान सके। शिव जो शांतिके प्रतीक हैं, उनमें क्या इतना गुस्सा था कि वह अपने ही बेटेका सिर काट दें और गणेशका सिर हाथीका क्यों है। इसमें कुछ और गहरा रहस्य है। मैल अज्ञानताका प्रतीक है और शिव परमशांति और ज्ञानके प्रतीक हैं। गणेश द्वारा शिवका मार्ग रोकनेका अर्थ है अज्ञानता, जो ज्ञानको पहचान नहीं पायी। ज्ञान शक्ति और कर्म शक्ति दोनोंका प्रतिनिधित्व हाथी करता है। गणेशका बड़ा पेट उदारता और पूर्ण स्वीकृतिका प्रतीक है। अभय मुद्रा संरक्षणका प्रतीक है। गणेशजीका एक ही दंत है, जो कि एकाग्रचित्त होनेका प्रतीक है। वह अपने हाथोंमें अंकुश लिये हुए हैं, जो कि सजगताका प्रतीक है और पाश है, जो नियंत्रणका प्रतीक है।