- बाहर सब्जी की आपूर्ति नहीं होने से उत्पादक किसान को नहीं मिल रहा भाव
- मौसमी फलों की आमदनी तो हुई लेकिन खरीदार नहीं रहने से इसकी कीमत गिरी
बिहारशरीफ (आससे)। कोरोना का इस दौर में हर लोग परेशान है। लॉकडाउन व बीमारी की वजह से दुकानें बंद है। लोगों के समक्ष आर्थिक संकट है। नालंदा कृषि प्रधान जिला रहा है। ऐसे में यहां की अधिसंख्य आबादी कृषि पर आश्रित है। जिले में सब्जी और प्याज की अच्छी खेती होती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से जिले के सब्जी उत्पादक किसानों का हाल बुरा है। औने-पौने भाव में सब्जियां बेची जा रही है। वजह यह है कि बाहरी स्टेशनों के लिए ना खरीदार है और ना सब्जी भेजी जा रही है।
हालांकि इन सबसे इतर अहम बात यह है कि भले ही किसानों के सब्जी का कोई मूल्य ना मिल रहा हो, लेकिन बाजारों में अभी भी सब्जी की कीमत बनी हुई है। हालांकि सब्जी की कीमत में कमी जरूर आयी है, फिर भी थोक मंडियों में सब्जी का जो भाव है उससे कई गुणा अधिक में खुदरा सब्जी बिक रहा है। कई सब्जियों का तो कोई खरीदार ही नहीं है।
गुरुवार को बिहारशरीफ में ठेले पर और सब्जी की दुकानों में प्रायः सब्जी 08 से 10 रुपये किलो मिल रहा था। और तो और बाहर से आने वाला परवल भी 10 रुपये किलो बिक रहा था। जबकि यही सब्जियां एक सप्ताह पूर्व 30 से 40 रुपये किलो तक बिकती थी। वहीं जानकारों की मानें तो थोक सब्जी मंडी में नेनुआ, लौकी, भिंडी का खरीदार नहीं मिल रहा है। 2 रुपये किलो तक भी इनमें से कई सब्जियों को खरीदार नहीं मिला।
कमोबेश यही हाल फलों का भी था। लग्न और रमजान को लेकर बाहर से अंगूर, आम, खरबूजा, तारबूज जैसे फल आये थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से इन सब का भाव बीते कल काफी कम हो गया था, क्योंकि अंगूर आदि को लंबी अवधि तक रखा नहीं जा सकता है यही वजह था कि बुधवार को अंगूर थोक मंडियों में काफी कम भाव में बिका। हालांकि गुरुवार को इन फलों की क्राइसिस शुरू हो गयी। वजह यह रही कि बाहर से फलों की आमदनी कम हो गयी है।
हालांकि आम की कई वेराईटी भी बाजार में उपलब्ध हो चुका है। दक्षिण भारत के आमों के साथ ही अब बाजारों में मालदा आम भी दस्तक दे दिया है। खुदरा मंडियों में मालदा आम 125 रुपये किलो बिक रहा है वहीं थोक मंडी में 60 रुपये किलो। तरबूज जैसे मौसमी फल के खरीदार कम होने से बाजार समिति में ढेर लगा हुआ है। लग्न के दिनों में भूआ की भी बिक्री अधिक होती है, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से शादी समारोह टाले जा रहे है या लिमिट किया जा रहा है। यही वजह है कि मंडियों में भूआ ढेर के ढेर पड़े है।