पूरा देश जहां कोरोनासे जूझ रहा है वहीं संकटकी इस घड़ीमें किसानोंने लगन और परिश्रमसे कृषि पैदावारमें उल्लेखनीय वृद्धि की है। शुक्रवारको प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने ‘प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजनाÓ के तहत साढ़े नौ करोड़ किसान परिवारोंको आर्थिक लाभ जारी करनेके बाद किसानोंका उत्साहवर्धन किया है और कहा कि किसानोंने संकटके इस दौरमें भी रिकार्ड उत्पादन किया है। इस योजनाके तहत बीस हजार करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। पिछले वर्षकी तुलनामें इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से दस प्रतिशत अधिकपर गेहूं खरीदा गया है। किसानोंके बैंक खातोंमें सीधे धन भेजे गये हैं। इसके साथ ही सरकारने ऋण भुगतानकी समय-सीमा भी बढ़ा दी है। अब ३० जूनतक ऋणका नवीनीकरण कराया जा सकता है। प्रधान मंत्रीने यह भी कहा कि पश्चिम बंगालमें पहली बार किसानोंको इस योजनाका लाभ मिला है, जो हर्षकी बात है। कोरोना संकट कालमें किसानोंको आर्थिक सहायता मुहैया कराकर सरकारने अच्छा कदम आगे बढ़ाया है। लेकिन अब ग्रामीणोंको कोरोना संक्रमणसे भी बचाना है। पहली लहरमें कोरोना संक्रमणका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रोंमें कोई खास नहीं रहा लेकिन दूसरी लहरमें गांवोंमें संक्रमण फैल रहा है, यह गम्भीर चिन्ताका विषय है। पूरे देशमें लगभग छह लाख ६४ हजार ३६९ गांव हैं, जो देशकी अर्थव्यवस्थामें अपना उल्लेखनीय योगदान करते हैं। कोरोनाके बढ़ते कहरसे अब गांव भी सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए ग्रामीणोंकी सुरक्षाके लिए विशेष उपाय करनेकी जरूरत है। प्रधान मंत्रीने किसानोंको यह भी सन्देश दिया है कि कोरोना वायरसका कालखण्ड है। कोरोना संक्रमणसे बचाव करते हुए किसान अपना कार्य जारी रखें। वैसे अनेक राज्योंने ग्रामीण क्षेत्रोंमें संक्रमणको रोकनेके लिए उपाय करने शुरू कर दिये हैं। इनमें पंचायती राज इकाइयोंकी ओरसे स्वघोषित लाकडाउन, प्रवासियोंके आंकड़ोंका संग्रह, बीमार लोगोंकी मुफ्त परामर्श जैसी पहल भी शामिल है। लेकिन इसके साथ यह भी आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रोंमें चिकित्सा सेवाके बुनियादी ढांचेको मजबूत बनाया जाय। ग्रामीण क्षेत्रोंमें भी संक्रमितोंकी खोज, उनकी जांच और दवाओंकी उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। साथ ही टीकाकरण अभियानको तेज गति दी जाय। इसके लिए टीकोंकी पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। केन्द्र सरकारने आश्वस्त किया है कि देशमें टीकेका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है और इसके लिए निजी कम्पनियोंको भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्षके अन्ततक देशके सभी लोगोंके टीकाकरणका लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सभी स्तरोंपर तेजी लानेकी जरूरत है।
प्रवासी श्रमिकोंकी सुधि
कोरोना महामारीकी दोहरी मारसे बेहाल प्रवासी श्रमिकोंकी सुधि लेकर सर्वोच्च न्यायालयने उनके हितमें अहम आदेश दिया है। कोरोनाकी दूसरी लहरपर काबू पानेके लिए अनेक राज्योंने लाकडाउन जैसे कड़े कदम उठाये, जिससे तमाम कार्योंमें लगे दिहाड़ी मजदूर एक बार फिर बेरोजगार हो गये हैं। ऐसेमें सर्वोच्च न्यायालयका आदेश उन्हें राहत पहुंचानेवाला है। लाकडाउनके कारण लाखों मजदूरोंके समक्ष भुखमरीका संकट उत्पन्न हो गया है। अनेक श्रमिक अपने घर भी नहीं लौट सके हैं। सर्वोच्च न्यायालयने ऐसे श्रमिकोंके लिए परिवहनकी व्यवस्था सुनिश्चित करनेको कहा है। न्यायालयने प्रवासी श्रमिकोंके लिए खाद्य सुरक्षा, नकदी हस्तान्तरण परिवहन सुविधाएं और अन्य कल्याणकारी उपायोंको सुनिश्चित करनेके लिए केन्द्र और राज्योंसे दिशा-निर्देश मांगनेवाली याचिकापर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम.आर. शाहने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारको निर्देश दिया है कि वे एनसीआर क्षेत्रमें प्रवासी मजदूरोंको अनाज, परिवहन और पका भोजन उपलब्ध करानेके लिए सामुदायिक भोजनालयकी सुविधा प्रदान करें। सर्वोच्च न्यायालयने पिछले साल कोरोना कालके दौरान जुलाईमें प्रवासी मजदूरोंके लिए केन्द्र और राज्य सरकारोंको कई निर्देश दिये थे, लेकिन उनका कितना अनुपालन हुआ, यह न्यायालयको भी नहीं पता चल सका है इसलिए जरूरी है कि सर्वोच्च न्यायालयने प्रवासी श्रमिकोंके हितमें जो आदेश दिया है, उसका अनुपालन सुनिश्चित करनेके लिए निगरानी समिति बनायी जाय जिससे उसका लाभ श्रमिकोंतक पहुंच सके। सर्वोच्च न्यायालयने श्रमिकोंके पहचान-पत्रकी बाध्यताको भी समाप्त कर राज्योंको सख्त सन्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालयने राज्योंमें प्रवासी श्रमिकोंके हितमें क्या उपाय किये हैं उसका जवाब भी दाखिल करनेका निर्देश देकर उचित कदम उठाया है। जबतक उनके रोजगारकी व्यवस्था नहीं होती है तबतक राशन उपलब्ध कराना राज्योंकी जिम्मेदारी है और इसका पूर्णत: निर्वहन सुनिश्चित होना चाहिए।