सम्पादकीय

दूसरी लहरका कहर


देशमें कोरोना महामारीकी दूसरी लहरने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। जिस तरहसे संक्रमण बढ़ रहे हैं, वह काफी चिन्ताजनक है। एक दिनमें एक लाखसे अधिक संक्रमणके नये मामलोंका सामने आना इसकी भयावहता और तेज रफ्तारका प्रमाण है। जबसे देश कोरोना महामारीको चपेटमें आया है तबसे पहली बार रविवारको एक लाखसे अधिक नये मामले आये। पिछले सभी रेकार्ड ध्वस्त हो गये और जो स्थिति है उससे ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि निकट भविष्यमें रफ्तारमें कोई कमी आनेवाली है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे सोमवारको जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टेमें एक लाख तीन हजार ५५८ नये मामले आये और ४७८ लोगोंकी मृत्यु हुई। इसके पूर्व १७ सितम्बर, २०२० को पिछले २४ घण्टोंके दौरान कुल ९७ हजार ८९४ मामले दर्ज किये गये थे। पिछले साढ़े छह महीनोंमें कोरोनाके आतंकने सभी रेकार्ड तोड़ दिये। देशमें इस समय कोरोनाके सक्रिय मरीजोंकी संख्या सात लाख ४१ हजारसे ऊपर पहुंच गयी है। महाराष्टï्र, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, सहित दस राज्योंमें संक्रमण तेज गतिसे बढ़ रहा है। चिन्ताकी बात यह भी है कि संक्रमण दोगुना होनेकी रफ्तार भी तेज हो गयी है। अब १०४ दिनोंमें ही संक्रमितोंकी संख्या दोगुनी हो रही है जबकि पहले यह ५०४ दिनोंमें दोगुनी होती थी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कोरोनाके खिलाफ जंगके लिए पांच सूत्रीय रणनीति अपनानेकी राज्योंसे अपील की है। राज्य सरकारें गम्भीरतासे इसका पालन सुनिश्चित करें। इनमें ज्यादासे ज्यादा लोगोंकी जांच, संक्रमितोंके सम्पर्कमें आये लोगोंकी तलाश, सही उपचार, कोरोना अनुकूल व्यवहार और टीकाकरण शामिल है। प्रधान मंत्रीने कोरोनासे होनेवाली मौतोंपर अंकुश लगानेके लिए आक्सीजन, वेण्टीलेटर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करानेका भी निर्देश दिया है। अधिक प्रभावित राज्योंके लिए विशेषज्ञोंकी टीम भेजी जा रही है और सौ प्रतिशत मास्कके प्रयोग और स्वच्छताके लिए अभियान भी चलाया जायगा। वस्तुत: देशमें टीकाकरण अभियानमें व्यवस्थागत खामियां हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए। साथ ही टीकाकरण अभियानकी गति भी तेज करनेकी जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रोंपर भी विशेष ध्यान देनेकी जरूरत है। अनेक राज्य सख्त कदम उठा रहे हैं और पाबन्दियां भी लगायी जा रही है। आवश्यकता पडऩेपर रात्रि कफ्र्यू और सप्ताहान्त लाकडाउन भी लगाया जाय। देशमें टीकेकी कमी नहीं है। लेकिन इसके उत्पादनमें वृद्धि करनेकी जरूरत है जिससे कि सभी नागरिकोंको टीका उपलब्ध करानेके साथ इसे अन्य देशोंको भी भेजा जा सके।

घातक जलवायु परिवर्तन

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणके बीच जलवायु परिवर्तनसे स्थिति और विषम हो गयी है। कृषि उपजपर जलवायु परिवर्तनके बढ़ते दुष्प्रभाव गम्भीर चिन्ताका विषय है। इस सम्बन्धमें नेचर पत्रिकामें प्रकाशित वैज्ञानिकोंकी ताजा शोध रिपोर्ट चौंकानेवाली है। रिपोर्टमें दावा किया गया है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तनके कारण दुनियाभरमें कृषि उत्पादन २१ फीसदीतक कम हो गया है जो आनेवाले समयमें खाद्यान्न संकटकी भयावहताका संकेत है। तकनीकी तरक्की, उर्वरक और उन्नत बीजपर उत्पादन वृद्धिके प्रयासोंपर जलवायु परिवर्तन भारी पड़ रहा है। दुनियाभरमें पिछले ६० सालमें आयी उत्पादनमें कमी पिछले सात सालोंमें हुई अधिक उपजको पूरी तरह नष्टï करनेके बराबर है। पूरी दुनियामें इस समय ६९ करोड़ लोग भुखमरी और दो अरबसे अधिक लोग कुपोषणके शिकार हैं। संयुक्त राष्टï्रने २०३० तक भुखमरी मिटानेका लक्ष्य रखा है, ऐसेमें कृषि उत्पादनमें कमी चिन्ताका विषय है। भारत सालाना २९ करोड़ टनसे अधिक अनाजका उत्पादन करता है, बावजूद इसके लगभग १४ प्रतिशत आबादी कुपोषणकी शिकार है। धरतीके तापमानमें तेज वृद्धिका कृषि उत्पादनमें विपरीत असर पड़ा है। ग्लोबल वार्मिंगसे न सिर्फ थलचर बल्कि जलचरोंके जीवनके अस्तित्वके लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। भूमध्य रेखाके आसपास समुद्रके तापमानमें भारी वृद्धि होनेसे समुद्री जीवोंका जीवित रहना मुश्किल हो गया है। वह भूमध्य रेखासे दूर जाने लगे हैं जिससे इस क्षेत्रमें समुद्री जीव प्रजातियोंमें भारी गिरावट आयी है। वायुमें अनवरत कार्बनका अत्यधिक मात्रामें घुलना विश्वके समक्ष जलवायु परिवर्तनकी गम्भीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। इससे निबटनेके लिए जलवायु परिवर्तनपर हुए पेरिस समझौतेमें सभी देशोंने जो लक्ष्य तय किये हैं उनपर अपने देशमें पारदर्शिताके साथ काम करनेकी जरूरत है। विकसित देश सर्वाधिक कार्बनका उत्सर्जन करते हैं। इसे कम करनेके लिए आवश्यक और सार्थक कदम उठानेकी जरूरत है।