उत्तर प्रदेश वाराणसी

सर्दी-जुकाम की दवाएं देकर कोरोना मरीजों से लाखों वसूल रहे निजी हास्पिटल


होम आइसोलेशनमें हजार रुपये में ही हो रहे स्वस्थ

चिकित्सा माफिया बन गये निजी अस्पतालों के संचालक

कोविड काल में निजी हास्पिटलो के संचालक पूर्णतया चिकित्सा माफिया बन बैठे है। कोविड मरीजों से हफ्ता वसूली के तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बाद भी कोरोना मरीजो से निजी अस्पतालों में लूट का खेल जारी है। वसूली की शिकायत पर जिला प्रशासन के निर्देश पर प्रवर्तन विभाग की टीम के द्वारा कई निजी अस्पतालों में छापे मारी की काररवाई की गयी मगर बदलाव की उम्मीद सिफर रही। कोरोना की कोई स्पेशल दवा अभी तक ईजाद नहीं हुई। होम आइसोलेश या हास्पिटल में भर्ती कोरोना मरीजों का इलाज सामान्यत: फ्लू जैसे लाक्षणिक आधार पर ही हो रहे है। पूर्व में प्रचलित बुखार, खांसी, कफ आदि की दवाएं ही एंटीबायोटिक के साथ उपयोग में लाई जा रही है। कोरोना संक्रमित मरीज को शुरुआत में आइवरमेक्टिन, डाक्सी, न्यूमोसलाइड, एजीथ्रोमाइसिन या अन्य एंटीबायोटिक, विटामिन बी, सी, डी के अलावा अन्य एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियरल, एंटी एलर्जिक दवाएं दी जाती हैं। हल्के-फुल्के लक्षण वाले मरीजों का बमुश्किल पांच सौ से सात सौ प्रतिदिन की दवा से इलाज हो जाता है। गंभीर मरीज की बात करें तो कुछ और दवाएं दी जा सकती हैं, जिनका खर्चा सामान्य दिनों में अधिकतम तीन से पांच हजार रुपये होता है। जबकि रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरुरत पडऩे पर उसकी व्यवस्था भी मरीज को बाहर से करनी होती है। वही औसतन सौ कोरोना मरीजों में से महज एक-दो को वेंटिलेटर के जरिए आक्सीजन की जरुरत पड़ रही है। बेड, पीपीई किट, डाक्टर-नर्स विजिट आदि खर्च के बावजूद मरीजों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्यो हास्पिटल वाले कोरोना के नाम पर भर्ती के लिए हर किसी से एक से दो लाख रुपये पहले जमा करा रहे है। वहीं पूरे १४ दिनो में तो आठ-दस लाख वसूल रहे है। कोरोना पॉजिटिव शांति पाठक की शिकायत थी कि शिवपुर स्थित हास्पिटल में तीन दिन में उनसे पांच लाख वसूल कर लिया गया। महमूरगंज स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में नौ दिन तक भर्ती रहे मरीज को हास्पिटल प्रशासन ने डॉक्टर के राउंड लेने, जांच करने और पीपीई किट आदि के दाम को जोड़कर छ:लाख का बिल बना दिया है। बिल में ९० हजार मिसलेनियस खर्च में दर्शाया गया है। जबकि हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह बिल १.६२ लाख रूपये होना चाहिए था। आरोप है कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछने पर उल्टा मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी की गयी है। बड़ागांव थाना क्षेत्र के काजीसराय में भी एक निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने के नाम पर साढ़े तीन लाख रुपये की मांगा गया। चौकाघाट स्थित हास्पिटल में मरीज के परिजनों से आसीयू बेड के नाम पर ३० हजार रुपये प्रतिदिन चार्ज कर मरीज का इलाज जनरल वार्ड में किया जा रहा था। पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र की छोटी बेटी डॉक्टर नम्रता ने मैदागिन स्थित हास्पिटल पर मनमाने लूट और लापरवाही का आरोप लगाकर कोतवाली थाने में मुदकमा दर्ज कराया था।