सफला एकादशी कल
भारतीय सनातन परम्परा में विशेष पर्व तिथि का खास महत्व है। हर एकादशी तिथि अपने आप में अनूठी मानी गई है। पौष कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि सफला एकादशी के रूप में मनायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि सफला एकादशी के व्रत से सभी मनोरथ सफल होते हैं, साथ ही जीवन के समस्त पापों का शमन भी होता है। इस दिन स्ïनान-दान व व्रत से भगवान् श्रीहरि यानि श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि पौष कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि आठ जनवरी, की रात्रि ९ बजकर ४१ मिनट पर लग रही है जो नौ जनवरी, की रात्रि ७ बजकर १८ मिनट तक रहेगी। नौ जनवरी, को एकादशी तिथि होने से सफला एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा।
वर्ष २०२१ में पडऩेवाले समस्त एकादशी व्रत
पुत्रदा एकादशी-२४ जनवरी, षट्तिला एकादशी-सात फरवरी, जया एकादशी-२३ फरवरी, विजया एकादशी- नौ मार्च, आमलकी (रंगभरी) एकादशी-२५ मार्च, पापमोचनी एकादशी-सात अप्रैल, कामदा एकादशी-२३ अप्रैल, वरुथिनी एकादशी-सात मई, मोहिनी एकादशी-२२ मई, अचला एकादशी-छह जून, निर्जला एकादशी-२१ जून, योगिनी एकादशी-पांच जुलाई, हरिशयनी एकादशी-२० जुलाई, कामदा एकादशी-चार अगस्त, पुत्रदा एकादशी-१९ अगस्त, जया एकादशी-तीन सितम्बर, पद्मा एकादशी-१७ सितम्बर, इन्दिरा एकादशी-दो अक्टूबर, पापांकुशा एकादशी-१६ अक्तूबर, रम्भा एकादशी-एक नवम्बर, प्रबोधिनी एकादशी-१५ नवम्बर, उत्पन्ना एकादशी-एक दिसम्बर, मोक्षदा एकादशी-१४ दिसम्बर, सफला एकादशी-३० दिसम्बर।