- बिहार के पासवान कुनबा में हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा देखने को मिल रहा है। दिवंगत दिग्गज नेता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) टूट गई है। लोजपा के पांचों बागी सांसदों ने मिलकर चिराग पासवान को पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया है और उनके बागी चाचा पशुपति पारस पासवान को नया नेता चुना है। इसके बाद सोमवार सुबह चिराग पासवान अपने बागी चाचा पशुपति पारस को मनाने उनके घर पहुंचे, लेकिन भतीजे के आने से पहले ही चाचा घर से निकल गए।
फिलहाल, चिराग पासवान जब अपने चाचा पशुपति पारस के घर पहुंचे, तो दिल की दूरियां इतनी बढ़ गईं कि चाचा के घर के दरवाजा भी उनके लिए नहीं खोला गया। चिराग पासवान घर के बाहर ही अपनी गाड़ी में बैठकर करीब 20 मिनट तक इंतजार करते रहे। इसके बाद घर का दरवाजा खोला गया।
इससे पहले, पार्टी में चल रही उठापटक के बीच सोमवार को पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं बचाया है। साथ ही कहा कि उन्हें चिराग पासवान से कोई नाराजगी नहीं है, अगर वे चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हो गई है। इसे लेकर पशुपति पारस ने सोमवार को कहा कि हमारे भाई चले गए, हम बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं। भाई के जाने के बाद पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई, तब सभी को उम्मीद थी कि वर्ष 2014 की तरह इस बार भी हम एनडीए के साथ बने रहें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी, असमाजिक तत्व आ रहे थे, एनडीए से गठबंधन को तोड़ दिया और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी गई।
पारस बोले- चिराग चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं
पशुपति पारस ने कहा, ”हमारी पार्टी के पांच सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी को बचाना जरूरी है। मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, पार्टी को बचाया है। जब तक मैं जिंदा हूं, पार्टी को जिंदा रखूंगा। चिराग पासवान मेरे भतीजे हैं। मुझे चिराग पासवान से कोई दिक्कत नहीं है। अभी भी वास्तविक पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ही है। अभी तक चिराग पासवान ही पार्टी के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वे चाहें तो आगे भी पार्टी में रह सकते हैं। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं।”