सम्पादकीय

कितनी घातक होगी तीसरी लहर


डा. दीपकुमार शुक्ल    

अनलाक प्रक्रियाके बाद देशमें कोरोना संक्रमितोंका आंकड़ा ३,००,८२,७७८ तथा मरनेवालोंकी संख्या ३,९१,९८१ पहुंच गयी है। हालांकि मरनेवालोंकी संख्याके सरकारी आंकड़ोंपर अबतक कई बार अंगुली उठ चुकी है। कुछ समाचरपत्रों तथा चैनलोंके मुताबिक देशभरमें कोरोना संक्रमणसे मरनेवालोंकी संख्या ४२ लाखसे भी अधिक है। इनमें श्मशान घाटोंमें कोरोना प्रोटोकालके तहत होनेवाले अन्तिम संस्कारके आंकड़ों तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा बतायी गयी कोरोनासे मरनेवालोंकी संख्यामें भारी अन्तर देखनेको मिला था। अप्रैल और मईमें मौतका जैसा ताण्डव देशने देखा वह कल्पनासे परे था। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहताने भी सुप्रीम कोर्टमें कोरोना मामलेकी सुनवाईके दौरान कहा था कि इस दूसरी लहरका अन्दाजा किसीको भी नहीं था। उनके इस बयानका निष्कर्ष यही था कि न तो देश-प्रदेशकी सरकारोंने कोरोनाकी दूसरी लहरको गम्भीरतासे लिया और न ही स्वास्थ्य महकमेने। दूसरी लहरकी शुरुआतमें प्रधान मन्त्रीने देशको आश्वस्त किया था कि कोरोनाकी पहली लहरपर देशने बिना टीकेके ही विजय प्राप्त कर ली थी जबकि अब तो हमारे पास वैक्सीन है तथा संसाधनोंकी दृष्टिसे भी पहलेसे अधिक तैयार हैं। लेकिन १५ अप्रैलके बाद कोरोना संक्रमणके द्रूत गतिसे बढ़े मामलोंके सामने सारे आश्वासन हवाहवाई ही साबित हुए। २३ जूनके बाद एक बार फिर कोरोनाके बढ़ते मामलोंने लोगोंको सशंकित कर दिया है। मौतका वही मंजर पुन: सबकी आखोंके सामने नाचने लगा है।

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानके निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया कोरोना संक्रमणकी तीसरी लहरको लेकर चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि कोरोना प्रोटोकालका यदि ठीकसे पालन नहीं किया गया तथा सार्वजनिक स्थानोंपर भीड़-भाड़को रोका नहीं गया तो छहसे आठ हफ्तोंमें कोरोनाकी तीसरी लहर देशमें दस्तक दे सकती है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संघटन तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानने अपने सीरोप्रेवैलेंस सर्वेमें इस बातका दावा किया है कि कोरोना संक्रमणकी तीसरी लहरका ज्यादा असर बच्चोंपर नहीं होगा। सीरोप्रेवैलेंसका अर्थ है सामान्य जनसंख्यामें कोरोना एंटीबॉडीका विकसित होना। शोधके मुताबिक सीरोपॉजिटीविटी रेट बड़ोंकी अपेक्षा बच्चोंमें अधिक पाया गया है। इस सर्वेके लिए पांच राज्योंसे करीब दस हजार सैंपल लिये गये थे। अमेरिकामें रह रहे भारतीय डा. रवि गोडसेने भी भारतमें कोरोनाकी तीसरी लहरसे इनकार किया है। उन्होंने कहा कि भारतमें संक्रमित होनेसे कोई नहीं बचा है, जिन्हें हुआ उनमेंसे ज्यादातर ठीक हुए। टीके भी लोगोंको लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि केस आ सकते हैं परन्तु लहर नहीं आयेगी। डा. रविके अनुसार जो लोग संक्रमणसे ठीक हुए हैं उनका इम्युनिटी सिस्टम कोरोनासे लडऩेमें सक्षम है, वैक्सीन लगनेके बाद वह और अधिक बढ़ जायेगा।

देशमें टीकाकरण अभियान धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। अबतक लगभग २९ करोड़ लोगोंको वैक्सीन लग चुकी है, जिनमेंसे करीब सवा पांच करोड़ लोग वैक्सीनकी दूसरी डोज ले चुके हैं। हालाकि वैक्सीन लेनेके बाद जो लोग अचानक मृत्युका शिकार हो रहे हैं उनके मामलोंको पता नहीं क्यों दबानेका प्रयास किया जा रहा है। इससे लोगोंमें वैक्सीनके प्रति भय बढ़ रहा है। जबकि होना तो यह चाहिए था कि वैक्सीनेशनके बाद जिन लोगोंकी मृत्यु हुई है उनकी मेडिकल हिस्ट्रीका विधिवत अध्ययन किया जाता और किसीको भी वक्सीन देनेसे पूर्व उन लक्षणोंके दृष्टिगत सभीका मेडिकल परीक्षण कराया जाता। लेकिन कई विशेषज्ञ मरनेवालोंकी संख्या बहुत कम बताकर इसे नजरअन्दाज करनेकी गैर-जिम्मेदाराना सलाह दे रहे हैं, जबकि किसी भी ऐसे विषयको नजरअन्दाज करना कतई उचित नहीं है जिसका सीधा सम्बन्ध लोगोंके जीवन-मृत्युसे हो। भले ही उसकी संख्याका अनुपात हजारोंमें नहीं, बल्कि लाखोंमें एक क्यों न हो। हर व्यक्तिका जीवन उसकी और उसके परिजनोंकी दृष्टिमें सर्वाधिक मूल्यवान होता है।

विश्व स्वास्थ्य संघटनने कोरोनाके नये वेरिएंट डेल्टा प्लसको लेकर कुछ गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है। डब्ल्यूएचओके मुताबिक कोरोनाका डेल्टा वेरिएंट अल्फा, बीटा और गामा वेरिएंटके मुकाबले कहीं ज्यादा संक्रामक है और इसके अधिक हावी होनेकी आशंका है। यह वेरिएंट अबतक भारत समेत विश्वके ८५ देशोंमें पाया गया है। डेल्टा वेरिएंटको देखते हुए रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी जल्द ही बूस्टर शॉट मुहैया करानेका दावा कर रही है। अब यहां प्रश्न यह उठता है कि डेल्टा वेरिएंटसे उन लोगोंकी रक्षा कैसे होगी जो कोवीशील्ड या कोवैक्सीनकी डोज पहले ही ले चुके हैं। कुछ भी हो लेकिन लोगोंको महामारी या अन्य किसी भी आपदासे बचाना सरकारी तन्त्रकी नैतिक जिम्मेदारी है। अप्रैल और मईके कटु अनुभवोंसे यदि कुछ सीख ली गयी होगी तो निश्चित ही कोरोना संक्रमणकी तीसरी लहरको मात दी जा सकेगी अन्यथा स्थितिमें देशको एक और त्रासदीसे गुजरना पड़ेगा। लोगोंको भी सावधान रहना होगा, हमें यह बात अच्छी तरहसे समझनी चाहिए कि अप्रैल-मईकी अपेक्षा कोरोनाके आंकड़े कम भले ही हुए हों परन्तु इस बीमारीका खात्मा बिलकुल भी नहीं हुआ है। इसलिए देशमें जबतक कोरोनाका वायरस मौजूद है तबतक इसके प्रोटोकालका पालन करते हुए मास्क, शारीरिक दूरी और सेनेटाइजरका प्रयोग ही इस बीमारीका सबसे कारगर उपाय है। शरीरकी रोग प्रतिरोधक क्षमताको बढ़ानेके लिए कुछ योग चिकित्सक अधोमुख श्वानासन, सेतुबन्धासन, सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, कपालभाती तथा वाकिंगकी सलाह दे रहे हैं। इसलिए आप इन योग क्रियाओंके द्वारा भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं। लेकिन उपरोक्तमेंसे कोई भी आसन करनेसे पूर्व किसी जानकारसे उसको समझ अवश्य लें।