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- अल्पवृष्टि की ओर अग्रसर जिले के कई गांवों के किसानों को रैतर बराज से निकले नहर के जरिये नहीं मिल पायेगा सिंचाई का पानी
- जगह-जगह बना आउटलेट तोड़ तो दिया गया लेकिन नहीं किया गया निर्माण और कई स्थानों पर मिट्टी से नहर को ही कर दिया अवरूद्ध
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बिहारशरीफ (आससे)। गंगाजल उद्धव योजना का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसका लाभ मिलने में लोगों को अभी विलंब होगा, लेकिन निर्माण एजेंसी की लापरवाही से कई गांवों के किसानों को मुसीबत जरूर होगी। अनावृष्टि को लेकर जिला सुखाड़ की ओर अग्रसर हो चला है। ऐसे में लोगों को अपने खेत की सिंचाई के लिए बूंद-बूंद पानी महत्वपूर्ण होगा, लेकिन गंगाजल उद्धव योजना में कार्य कर रहे एजेंसी की लापरवाही और अकर्मण्यता से कई गांवों को सिंचाई देने वाला घोड़ाकटोरा बराज से निकला नहर अवरूद्ध पड़ा है।
गंगाजल उद्धव योजना के लिए पाइपलाइन लेइंग का प्रारंभिक अनुमति बिहारशरीफ से घोड़ाकटोरा तक एनएच 20 के किनारे-किनारे था, लेकिन एनएचएआई की आपत्ति के बाद अलाइनमेंट चेंज हुआ और फिर पाइपलाइन को देवधा के पास से डायवर्ट कर रैतर बराज से निकले सिंचाई विभाग के नहर के तटबंध से गुजारने का निर्णय लिया गया। इस पर काम भी चल रहा है। लगभग-लगभग इस हिस्से का काम पूरा भी हो चुका है। पंचाने नदी में पानी आने के बाद बराज का शटर लगे होने पर इस नहर में सिंचाई के लिए प्रर्याप्त पानी आता है, जिससे दर्जन भर गांवों के खेतों की सिंचाई होती है। बहुत बड़ा रकवा की सिंचाई इस नहर से होती है। इसके लिए नहर में जगह-जगह पर आउटलेट भी बना हुआ है।
परंतु गंगाजल उद्धव योजना में काम कर रहे संवेदक द्वारा तटबंध को काटकर पाइप लेइंग तो कर दिया गया, लेकिन सही तरीके से तटबंध तक नहीं बनाया गया। जगह-जगह का आउटलेट उखाड़ फेंका गया। जबकि बरसात के पूर्व इन आउटलेटों को चालू कर दिया जाना चाहिए था ताकि किसान नहर से पानी ले सके। लेकिन अब तक एक भी आउटलेट को दुरुस्त नहीं किया गया। और तो और पाइप लेइंग के लिए बड़े-बड़े क्रेन को किनारे तक ले जाने के लिए लगभग आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर नहर में मिट्टी का दीवार खड़ा कर बंद कर दिया गया जो अभी यथावत पड़ा है।
ऐसे में अगर नदी में पानी की पर्याप्तता हुई और बराज से पानी नहर में आया तो उत्तरी हिस्से के गांवों तक पानी नहीं पहुंच पायेगा। दूसरी समस्या यह हो सकती है कि जहां से नहर को बंद किया गया है वहां से ओवरफ्लो होकर नहर का पानी खेतों में घुसकर बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकता है। हालात यह है कि कई गांवों के किसान इस बात को लेकर परेशान है, लेकिन ना तो विभाग सुन रहा है और ना ही कार्यान्वयन एजेंसी।