वैश्विक महामारी कोरोना वायरसके खिलाफ मजबूत और प्रभावी लड़ाईमें भारत अब जंग जीतनेकी ओर तेजीसे अग्रसर है। सबसे सुखद और राहतकारी तथ्य यह है कि भारतमें कोरोना संक्रमणकी स्थितिमें तेजीसे सुधार हो रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने दावा किया है कि ९७ प्रतिशत लोगोंने कोरोना वायरसको पराजित कर वियजश्री प्राप्त की है। कोरोनासे ठीक होनेवालोंका आंकड़ा शुक्रवारको बढ़कर १,०३,९४,३५२ हो गया। मृतकोंकी संख्यामें भी गिरावट आयी है। शुक्रवारको १६३ लोगोंकी मृत्यु हुई। मृत्यु दर जून २०२० के ३.४ प्रतिशतकी तुलनामें अब १.४ प्रतिशतपर आ गयी है। ३१ राज्योंमें रोगियोंकी संख्या पांच हजारसे कम रह गयी है। देशके १९१ जिलोंमें कोरोनाकी स्थिति नियंत्रित है जिनमेंसे २१ जिले तो कोरोनामुक्त भी हो गये हैं। इन जिलोंमें २८ दिनोंके दौरान कोई नया मरीज सामने नहीं आया। उत्तर प्रदेशका रिकवरी रेट देशके कई राज्योंसे बेहतर है। विश्व स्तरपर देखा जाय तो भारत अनेक देशोंके मुकाबले काफी अच्छी स्थितिमें है। विश्व स्वास्थ्य संघटनने भी कोरोनाके खिलाफ जंगमें भारतके प्रयासोंकी प्रशंसा की है, जो अन्य देशोंके लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। इस जंगमें कोरोनाके सुरक्षित और विश्वसनीय टीकोंका विशेष योगदान रहा है। अन्य देशोंसे भी भारतीय टीकोंकी बढ़ती मांग गौरवका विषय है। भारतने देशमें टीकाकरणका बड़ा अभियान चलाकर विश्वको मजबूत सन्देश दिया है। सबसे ज्यादा टीकाकरण करनेवाला भारत विश्वका पांचवां देश बन गया है। विगत १६ जनवरीको देशव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर भारत कोरोनाके खिलाफ जंगमें निर्णायक स्थितिमें पहुंच गया है। टीकाकरण अभियानमें और तेजी लानेकी आवश्यकता है। दिल्ली सहित जिन छह राज्योंमें टीकाकरण अभियानकी गति धीमी पड़ गयी है उनमें झारखण्ड, तमिलनाडु, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और महाराष्टï्र शामिल हैं। इसके साथ ही टीकेको लेकर भ्रांतियोंको भी दूर करनेकी जरूरत है जिससे कि अधिकसे अधिक लोग स्वेच्छासे टीकाकरणके लिए आगे आ सकें। टीकाकरणके साथ ही कोरोनासे बचावके लिए सुरक्षा उपायोंका पूर्ववत पालन भी आवश्यक है। वर्तमान समयमें कोरोना महामारीकी जो स्थिति है, वह सुधारकी है। यह भी निश्चित है कि भारत कोरोनामुक्त होनेकी दिशामें निरन्तर आगे बढ़ रहा है और देश एक दिन इस लक्ष्यको भी प्राप्त कर लेगा। यह तभी सम्भव है जब देशके सभी नागरिक टीकाकरणके लिए जागरूक हों और बचावके उपायोंका पालन करें। टीकाके सम्बन्धमें यदि किसीको कोई भ्रांति हो तो उसका निराकरण करनेके लिए विशेष चिकित्सकोंसे अवश्य परामर्श लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्टकी नसीहत
अभिव्यक्तिकी आजादीका अधिकार मौलिक अधिकारके रूपमें संविधानने हमें दिया है। इस आजादीका सद्ïप्रयोग करना अच्छी बात है, इससे किसीके विचारों और भावनाओंकी आलोचना की जा सकती है, लेकिन इसकी एक सीमा होनी चाहिए। आजकल इस आजादीकी मर्यादाको तार-तार करनेकी बढ़ती प्रवृत्ति समाज और देशके लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। एक-दूसरेसे आगे बढऩेके लिए खबरोंको सनसनीखेज बनानेके लिए तथ्योंको तोड़-मरोड़कर दर्शकोंमें परोसनेका एक फैशन-सा बन गया है। यह देश और समाजके लिए घातक होनेके साथ ही लोकतन्त्रको नुकसान पहुंचानेवाला है। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालयको बार-बार सरकारको नसीहत देनी पड़ रही है। कोर्टका मानना है कि टीवी चैनलोंपर उकसानेवाले कार्यक्रमोंपर नियन्त्रण जरूरी है। सर्वोच्च न्यायालयने टीवी चैनलोंपर उकसानेवाले कार्यक्रमोंपर रोक लगानेपर बल देते हुए केन्द्र सरकारको जमकर लताड़ लगायी है और पूछा है कि ऐसे कार्यक्रमोंको रोकनेके लिए सरकार क्यों नहीं कदम उठा रही है। ऐसी खबरोंपर नियन्त्रण उतना ही जरूरी है जितना कानून व्यवस्थाको बनाये रखनेके लिए रक्षात्मक उपाय करना है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़ेकी अगुवाईवाली पीठने केन्द्र सरकारके वकीलसे पूछा कि अदालत जानना चाहती है कि केबल टीवी नेटवर्क ऐक्टके तहत आपने क्या कदम उठाये हैं। यदि कोई रेग्यूलेटरी मैकेनिज्म नहीं है तो आप बनाये। न्यूज ब्राडकास्टर्स स्टैडर्ड अथारिटी जैसे संघटनके भरोसे रेग्यूलेशन नहीं छोड़ा जा सकता है। सरकारको रेग्यूलेटरी मैकेनिज्म बनानेपर विचार करना चाहिए जिससे भड़काऊ कार्यक्रमोंपर रोक लगायी जा सके। कोर्ट पहले भी केन्द्र सरकारके हलफनामेपर नाराजगी व्यक्त कर चुका है। वैमनस्य बढ़ाने और आपसी सौहार्द बिगाडऩेवाले प्रसारणपर रोक जरूरी है। इसके साथ ही सामाजिक प्रदूषण बढ़ानेवाले सोशल मीडियापर भी अंकुशके लिए सरकारको उपाय करना चाहिए। इनपर अंकुश लगाना देश और समाजके हितमें जरूरी है।