सम्पादकीय

पश्चिम बंगालमें हिंसा चिन्तनीय


डा. गौरीशंकर राजहंस

हालमें पश्चिम बंगाल, असम, पुडुचेरी, केरल और तमिलनाडु आदि राज्योंमें विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। चुनावके बाद जो भयानक हिंसा हुई उसे देखकर पूरा देश कांप गया है। ममता बनर्जीने बंगालमें तीसरी बार सत्तापर कब्जा कर लिया है। तृणमूल कांग्रेसने दो सौसे ज्यादा सीटें जीत कर तीसरी बार सत्ता हासिल कर ली। परन्तु ममता बनर्जीने नन्दीग्राम विधानसभा सीट गंवा दी है। चुनाव परिणाम आनेके बाद पंश्चिम बंगालमें व्यापक हिंसा और आगजनी आये दिन हो रही है। बंगालमें ममता बनर्जीने अपनी सरकारको तो बचा लिया और तीसरी बार बंगालकी मुख्य मंत्री बन गयीं। परन्तु भाजपाने असमको बचाया। जिस तरहसे व्यापक हिंसा पश्चिमी बंगालमें हो रही है उससे प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति सहित देशके सभी प्रबुद्ध लोग चिन्तित और दुखी हैं। ममता बनर्जीने भारी बहुमत प्राप्त कर तीसरी बार सत्तामें वापसी की है। पश्चिमी बंगालमें तृणमूल कांग्रेसकी भारी विजयमें थोड़ी निराशा उस समय उभरकर आयी जब मुख्य मंत्री ममता बनर्जी नन्दीग्राममें प्रतिष्ठा की लड़ाईमें चुनाव हार गयी। यह अलग बात है कि तृणमूल कांग्रेसने इन नतीजोंको लेकर चुनाव आयोगके समक्ष चुनौती पेश की है और नन्दीग्राममें फिरसे मतगणना कराये जानेकी मांग की है। इस बीच नन्दीग्राममें आये परिणामसे नाराज तृणमूल कांग्रेसके कार्यकर्ताओंने कई जगह व्यापक हिंसा की है। पश्चिम बंगालमें हो रही व्यापक हिंसाके कारण बड़े पैमानेपर भाजपाके कार्यकर्ता भागकर असम चले गये हैं। प्रधान मंत्रीने पश्चिमी बंगालके राज्यपाल जगदीप धनखड़से बंगालमें हो रही हिंसा और आगजनीपर चर्चा की है और आदेश दिया है कि हर हालतमें हिंसा और आगजनीपर तुरन्त नियंत्रण किया जाय। लोगोंने टीवी चैनलोंपर ममता बनर्जीकी शपथ ग्रहणका दृश्य देखा। साधारणत: इस तरहके समारोहमें राज्यपाल कोई वक्तव्य नहीं देते हैं। परन्तु जगदीप धनखडऩे कड़े शब्दोंमें बंगालमें हो रही हिंसा और आगजनीकी निन्दा की और नयी मुख्य मंत्रीसे मांग की है कि इस तरहकी हिंसापर अविलम्ब रोक लगायी जाय।

ममता बनर्जीने भी अपने संबोधनमें कहा कि उनकी सरकारका सर्वप्रथम प्रयास होगा कि कोरोनापर शीघ्रसे शीघ्र नियंत्रण पाया जाय और व्यापक हिंसाका दौर समाप्त किया जाय। शपथ ग्रहणके बाद ममता बनर्जीने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियोंके साथ बैठक की और उन्हें आदेश दिये कि इस तरहकी पागलपनकी घटनाओंपर रोक लगायी जाय। भाजपाके शीर्ष नेताओंने तो यहांतक मांग कर दी है कि यदि पश्चिमी बंगालमें हिंसा नहीं रूकी तो वहां कुछ समयके लिए राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए। कहना कठिन है कि वर्तमान परिस्थितियोंमें बंगालमें राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकेगा या नहीं?

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने बंगालके राज्यपाल जगदीप धनखडसे बंगालमें हो रही हिंसापर व्यापक चर्चा की। भाजपाके वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटियाने मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय राज्यपालसे रिपोर्ट मांगे कि हिंसाको नियंत्रित करनेके लिए उन्होंने क्या प्रयास किये हैं। भाटियाने हिंसा और आगजनीकी घटनाओंकी सीबीआईसे जांच कराये जानेकी मांग की है। दूसरी तरफ कोलकाताके कई जाने-माने संविधान विशेषज्ञोंने कहा है कि जो कुछ कोलकाता या पश्चिमी बंगालमें हो रहा है उसे अविलम्ब समाप्त कर दोषियोंको कड़ी सजा दी जानी चािहए। परन्तु अभीतक तो स्थिति काबूसे बाहर दिखाई दे रही है। तृणमूल कांग्रेसकी जीतके बाद जिस तरह उसके हजारों कार्यकर्ता बिना कोरोना प्रोटोकोलका ख्याल करते हुए सड़कों और गलियोंमें नाचते और हुडदंग करते हुए नजर आये। उससे तो यहीं लगा कि देर या सबेर यह लोग कोरोना संक्रमणको तेजीसे फैला ही देंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि अपना देश कठिनाइयोंके दौरसे गुजर रहा है। किसीने सपनेमें भी नहीं सोचा होगा कि कोरोना वायरसका दूसरा दौर इतना खतरनाक होगा। सबसे दुर्भाग्यकी बात है कि वैक्सीन और आक्सीजन तथा दवाओंके अभावमें लोग अस्पतालोंके सामने तथा अपने घरोंमें दम तोड़ रहे हैं। कहना कठिन है कि देश कबतक इस संकटके उभर पायगा?