सम्पादकीय

बुनियादी ढांचेको बचानेका उपक्रम


डा. जयंतीलाल भंडारी

वर्ष २०२१-२२ का बजट आर्थिक उम्मीदोंभरा दिख रहा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतीरमणने विभिन्न वर्गों और विभिन्न सेक्टरोंके लिए भारी भरकम बजट आवंटित करते हुए राजकोषीय घाटेको जीडीपीके ६८ फीसदीतक विस्तारित करनेमें संकोच नहीं किया है। गौरतलब है कि यह बजट आजादीके बाद अर्थव्यवस्थाके सबसे अधिक ७.७ फीसदीकी विकास दरमें गिरावट और संकुचनवाले दौरसे गुजरनेके बीच पेश किया गया है। यदि हम संकुचनके बीच पेश किये जानेवाले पिछले आम बजटोंकी ओर देखें तो पाते हैं कि आजादीके बाद विभिन्न आर्थिक चुनौतियोंके कारण जिन तीन वर्षोंमें बजट संकुचनकी पृष्ठभूमिमें पेश हुए हैं, वे वर्ष हैं १९६६-६७, १९७३-७४ तथा १९८०-८१। देशमें संकुचनके बाद पेश हुए पिछले तीन बजटोंमें अर्थव्यवस्थाको पटरीपर लानेके जिस तरह भारी प्रोत्साहन दिये गये थे, इस बार कोरोनाके बाद संकुचित अर्थव्यवस्थाको गतिशील करनेके लिए और प्रोत्साहन वित्त वर्ष २०२१-२२ के बजटमें दिखाई दे रहे हैं।

नये बजटकी तस्वीरमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोरोनासे निर्मित अप्रत्याशित आर्थिक सुस्तीका मुकाबला करने और विभिन्न वर्गोंको राहत देनेके लिए बड़े पैमानेपर आवंटन बढ़ाये गये हैं। रोजगारके नये अवसर पैदा करनेके प्रयास किये गये हैं। तेजीसे घटे हुए निवेशको प्रोत्साहित करनेके लिए आकर्षक प्रावधान किये गये हैं। बैंकोंमें लगातार बढ़ते हुए एनपीएको नियंत्रित करने और क्रेडिट सपोर्टको जारी रखनेकी नयी व्यवस्थाएं की गयी हैं। नये बजटमें महंगीपर नियंत्रण और नयी मांगका निर्माण करनेकी रणनीति है। कोरोना वायरससे बचावके लिए टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओंपर खर्चमें भारी वृद्धि की गयी है। निस्संदेह बजटसे खेती और किसानोंको विशेष रूपसे लाभान्वित करते हुए दिखाई दी हैं। बजटमें किसानोंके लिए सरल कर्जके लिए १६.५ लाख करोड़ रुपयेका प्रावधान किया गया है।

किसानोंको उनकी फसलके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से डेढ़ गुना ज्यादा कीमत दी जानी निर्धारित की गयी है। सरकारने ऐसे नये उद्यमों तथा कृषि बाजारोंको प्रोत्साहन दिया है, जिनसे कृषि उत्पादोंको लाभदायक कीमत दिलानेमें मदद करनेके साथ उपभोक्ताओंको ये उत्पाद मुनासिब दामपर पहुंचानेमें मदद हो सके। वित्तमंत्री द्वारा बजटके माध्यमसे ग्रामीण क्षेत्रके आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचेको बढ़ानेके उपायोंके साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रोंके विकासके माध्यमसे बेरोजगारी और गरीबीको दूर करनेवाले कामोंको प्रोत्साहन दिया गया है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वित्तमंत्रीने इस बार एमएसएमईको १५७०० करोड़ रुपयेका बड़ा प्रभावी बजट दिया है। छोटे उद्योगकी परिभाषा बदली गयी है। कोरोना कालके दौरान जो एमएसएमई एनपीए हो गये हैं, उनके लिए भी वित्तमंत्री नया रास्ता निकालते हुए दिखाई दी हैं। नये बजटके तहत एमएसएमईके लिए तकनीकी विकास और नवाचार संबंधी लाभके लिए वित्तमंत्रीके द्वारा नयी व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। सरकारने एमएसएमईको नवीनतम तकनीकके इस्तेमालके लिए वित्तीय सहायता देनेका प्रावधान सुनिश्चित किया है। नये बजटमें सरकारकी तरफसे तकनीककी सुविधा मुहैया होनेसे एमएसएमईके कारोबारको नया रंग-रूप मिलते हुए दिखेेगा।

चूंकि कोविड-१९ के कारण देशके पर्यटन उद्योग, होटल उद्योग सहित जो विभिन्न उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, ऐसेमें उन्हें पुनर्जीवित करनेके लिए बजटमें बड़ी धनराशि रखी गयी है। नये बजटके तहत स्वास्थ्य सेवाओंपर आवंटन बढ़ाकर २.३८ लाख करोड़ रुपये किया गया है। बजटमें नयी शिक्षा प्रणाली और कौशल विकास, शासकीय स्कूलोंकी गुणवत्ता, सार्वजनिक परिवहन जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रोंके साथ रोजगार वृद्धिके लिए टैक्सटाइल सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और बुनियादी ढांचा क्षेत्रके लिए बड़े बजट आवंटन दिखाई दे रहे हैं। बीमा सेक्टरमें एफडीआई सीमा ४९ फीसदीसे बढ़ाकर ७४ फीसदी किये जानेका ऐलान किया गया है। आयुष्मान भारत योजनाका दायरा बढ़ाया गया है। शोध एवं नवाचार, निर्यात डेवलपमेंट फंड तथा फॉर्मा उद्योग आदिके लिए विशेष प्रोत्साहन दिये गये हैं। जीएसटीको आसान बनानेका ऐलान भी किया गया है।

जहां शेयर बाजारमें जोखिमोंको कम करनेके उपयुक्त प्रावधान किये गये हैं। वहीं शेयर बाजारको और अधिक लाभप्रद बनानेके प्रावधान भी सुनिश्चित किये गये हैं। सिक्योरिटी मार्केटके लिए उठाया गया कदम लाभप्रद है। मेक इन इंडियाको प्रोत्साहन देनेके लिए कुछ ऑटो पाट्र्स एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं एवं मोबाइल उपकरणोंपर कस्टम ड्यूटी बढ़ायी गयी है। निस्संदेह बजटसे छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्गको मुस्कराहट नहीं मिली है। जहां कोरोना संकटके कारण बड़ी संख्यामें लोगोंके रोजगार गये, लोगोंके वेतन-पारिश्रमिकमें कटौती हुई, वर्क फ्रॉम होमकी वजहसे टैक्समें छूटके कुछ माध्यम कम हो गये, वहीं बड़ी संख्यामें लोगोंके लिए डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड, बिजलीका बिल जैसे खर्चोंके भुगतान बढऩेसे करदाताओंकी आमदनी घट गयी है। ऐसेमें कोरोनाके कारण पैदा हुए आर्थिक हालातसे लडऩे और छोटे करदाताओं एवं मध्यम वर्गकी क्रयशक्ति बढ़ानेके सरकारके द्वारा नये वित्त वर्षके बजटमें टैक्सका बोझ कम करनेके लिए बड़ी अपेक्षाएं की जा रही थी। बजटके माध्यमसे बचतसे जुड़ी हुई आयकर छूटकी अपेक्षा भी पूरी नहीं हुई है। मौजूदा समयमें धारा ८०सीके तहत १.५० लाख रुपयेकी छूट मिलती है। मकानोंकी बढ़ती हुई कीमतको देखते हुए धारा ८०सीके तहत १.५० लाखकी छूट पर्याप्त नहीं है। घर खरीदनेके लिए प्रोत्साहित करनेके मद्देजनर इस बार सरकारको होम लोनके ब्याजपर टैक्स छूटकी अपेक्षा की जा रही थी। निश्चित रूपसे कोविड-१९ के बीच अप्रत्याशित सुस्तीके दौरसे अर्थव्यवस्थाको निकालने, रोजगार अवसरोंको बढ़ाने, निवेशके लिए प्रोत्साहन देने तथा विभिन्न वर्गोंको राहत देनेके लिए बड़े बजट आवंटनोंके कारण राजकोषीय घाटेको ६.८ प्रतिशततक विस्तारित किया जाना चिंताजनक नहीं माना जायगा। इससे एक ओर आम आदमीकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे नयी मांगका निर्माण होगा और उद्योग-कारोबारकी गतिशीलता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर बढ़े हुए सार्वजनिक व्यय और सार्वजनिक निवेशसे बुनियादी ढांचेको मजबूती मिलेगी। ऐसा होनेपर अर्थव्यवस्था गतिशील होगी और विकास दर बढ़ेगी।