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Uttarakhand : चुनावी राजनीति में मोदी-शाह के दौरे से भाजपा को संजीवनी


आरंभिक झटके के बाद प्रदेश में भाजपा फिर आक्रामक दिखने लगी है। यशपाल आर्य व उनके विधायक पुत्र के पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद प्रदेश में पार्टी काफी समय तक परेशान रही। इस दौरान भाजपा के कुछ और विधायकों ने मौके का फायदा उठाते हुए पार्टी छोड़ने की चर्चा सुलगाकर अपना वजन बढ़ा दिया और विधानसभा के लिए फिर टिकट पक्का कर लिया। अब भाजपा ने संभल कर फिर से चुनावी पिच पर दौड़ना शुरू किया है।

चुनावी राजनीति में मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की कांग्रेसी कोशिश को रोकने में भाजपा फिलहाल कामयाब होती दिख रही है। पहले ऋषिकेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिर देहरादून में अमित शाह और आगामी पांच नवंबर को केदारनाथ में प्रधानमंत्री का आगमन होने जा रहा है। बड़े नेताओं के संबोधन व सक्रियता से राज्य का राजनीतिक परिवेश गरमाया है। साथ ही सत्ता की दावेदारी कर रही कांग्रेस के सामने बड़े आयोजन, बड़े नेताओं की उपस्थिति की चुनौती भी आ खड़ी हुई है।

दल-बदल का दौर अभी प्रदेश में जारी रहने वाला है, लेकिन जिसे अपनी ही पार्टी में बेहतर भविष्य दिख रहा है वे इस बहाव में शामिल नहीं हो रहे हैं। यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी के बाद यह तथ्य भी सामने आया है कि दल-बदल करने पर दिल्ली में भले ही रेड कारपेट पर स्वागत हो, लेकिन चुनावी मैदान में कांटे ही बिछे हैं। यह जमीनी तथ्य भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के पाला बदल नेता अच्छी तरह समझ रहे हैं। कुछ करिश्माई नेताओं को छोड़ कर अमूमन पार्टी के मूल कार्यकर्ता दल-बदलुओं का स्वागत नहीं करते हैं। खासतौर पर पार्टी में रह कर संघर्ष कर रहे टिकट के दावेदारों को बाहरी आमद कतई नहीं सुहाती। टिकट कटने की चिंता में दुबले हुए जा रहे मौजूदा विधायक ही टिकट की शर्त पर दूसरे दल में बात चलवा रहे हैं या बुलावे का इंतजार कर रहे हैं। वर्तमान में विधानसभा की 83 प्रतिशत सीटों पर काबिज भाजपा में इस श्रेणी के विधायकों की संख्या कांग्रेस से काफी ज्यादा है, लेकिन ऐसे विधायकों को पार्टी में शामिल करने पर घर में ही हो रहे विरोध को देखते हुए कांग्रेस भी अब सीधे दरवाजा खोलने से गुरेज करने लगी है। पाला बदल का खेल अभी जारी रहने वाला है।

भाजपा अपनी रणनीति के अनुसार आगे बढ़ चुकी है। गत सात अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऋषिकेश से राष्ट्र को 35 आक्सीजन प्लांट समर्पित किए। प्रधानमंत्री ने इस दौरे में उत्तराखंड की नब्ज पर हाथ रखने व विकास के लिए केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार की आवश्यकता का स्पष्ट खाका खींचा। राज्य को बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका व उनके अपने कार्यकाल में राज्य में हुए विकास कार्यो का पूरा ब्यौरा रखा। राज्य में बड़ी केंद्रीय परियोजनाओं की प्रगति को दर्शाने के साथ वह जनभावनाओं को भी छू गए। कुल मिलाकर वह प्रदेश में भाजपा के लिए एक चुनावी विसात बिछा कर गए।