पटना

नारी सम्मान की आदर्श हैं सीता : अवधेश


      •  प्रथम सीता सखी सम्मान से विभूषित हुईं 8 नारी शक्ति 
      • सीता तीर्थ क्षेत्र न्यास ने भारतीय स्त्री दिवस के रूप में मनायी सीता नवमी

पटना (आससे)। सीता तीथ्र क्षेत्र न्यास के तत्वावधान में बिहार विधान परिषद सभागार में जानकी नवमी के अवसर पर भारतीय स्त्री दिवस समारोह विधान पार्षद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. संजय पासवान के संयोजकत्व में मनाया गया। आरंभ में सीता के चित्र पर विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, राज्य की मंत्री लेसी सिंह, विधान पार्षद रीना यादव, पटना विश्वविद्यालय की महिला अध्ययन विभागाध्यक्ष की प्राध्यापक डा. स्मिता सिंह, न्यास की सदस्य कला नेत्री पल्लवी विश्वास, डा. संजय पासवान, कबीर मठ फतुहा के महंथ ब्रजेश मुनि ने पुष्पांजलि अर्पित किया।

अपने उद्घाटन उद्गार में अवधेश नारायण सिंह ने कहा- स्त्री के संदर्भ में दुनिया में जब भी चर्चा होगी तो भारतीय संदर्भ में ही हो सकती है क्योंकि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता’ नारी के सम्मान में भारतीय निष्ठïा रही है। सीता उसकी आदर्श है। यहां पुरुष के लिए माता आदर्श होती है इसलिए हम सीता माता कहते हैं। इस स्थिति को भारतीय स्त्री दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव सराहनीय है। इस संदर्भ में मैं भी मुख्यमंत्री से बात करूंगा। जानकी नवमी पर अवकाश घोषित करने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया साथ ही जानकी नवमी पर प्रकाशित मुख्यमंत्री के संदेश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा देश की परंपरा है कि जिस घर में स्त्री पुरुष के बीच सामंजस्य होता है उस घर में  सुख-शांति बनी रहती है।

लेसी सिंह ने कहा- त्याग, तपस्या की देवी के रूप में पूजित हैं सीता। हम सभी सीता को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का रूप मानते हैं। उन्होंने कहा कि आज सोच बदलने की जरूरत है। नारी शब्द बहुत बड़ा है, इसे अवसर देने की जरूरत है।

रीना यादव ने कहा द्वन्द्व के साथ नहीं स्त्री को सामंजस्य के साथ अपनी प्रतिमा को आगे बढ़ाना चाहिए। धैर्य, सहिष्णुता, त्याग और ममता स्त्री में होना चाहिए। प्रो. सुनीता राय ने कहा कि सीता में सहिष्णुता की पराकाष्ठïा थी। सीता ने अपने उदांत चरित्र से बताया कि चुप रहकर भी स्त्री अपनी बात समाज को कह सकती है। जो सहिष्णुता स्त्री में है, पुरुष उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। सुंदर समाज का निर्माण करने के लिए स्त्री में सहिष्णुता का सद्गुण होना आवश्यक है।

डा. स्मिता सिंह ने कहा- नये तरीके से स्त्री विमर्श खड़ा करना होगा। सनातन संस्कृति के मूल्य को सामने रखकर तर्क संगत विचार करना होगा। भारतीय व्यवसथा में स्त्री-पुरुष में भेद नहीं है। स्त्री पुरुष में परस्पर समझदारी होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश के एडीजी जेपी सिंह ने भी उद्गार व्यक्त किये।

इस अवसर पर सीता चरित्र पर विशिष्ट कार्य करनेवाली नारी शक्तियों में ८ स्त्री को प्रथम सीता सखी सम्मान से विभूषित किया गया। अतिथियों के हाथों शॉल, मखाना का माला, प्रमाण पत्र और प्रतीक चिह्नï प्राप्त कर सम्मानित हुईं।   शिक्षाविद् एवं वरिष्ठïतम नेत्री डा. किरण घर्म, मिथिला लोककला विशेषज्ञ, शिक्षा विद डा. मृदुला प्रकाश, सीतामढ़ी की सीता मर्मज्ञ लेखिका श्रीमती आशा प्रभात, दरभंगा की संगीतकार लेखिका प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह ‘काव्या’, स्त्री रोग विशेषज्ञ समाजसेवी डा. रेणु चटर्जी, पूर्व दूरदर्शन कार्यक्रम प्रमुख डा. रत्ना पुरकायस्थ, किन्नर कला जत्था प्रमुख सुश्री रेशमा प्रसाद, अमेरिका की पर्यावरण विज्ञानी कवियित्री डा. श्वेता सिन्हा।

आरंभ में विषय प्रवेश करते हुए पल्लवी विश्वास ने स्त्री विमर्श के भारतीय संदर्भ पर सारगर्भित तथ्य रखी। डा. संजय पासवान ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि सीता भूमिजा हैं मखान उसी क्षेत्र की उपज है। उन्होंने जानकी नवमी को ‘भारतीय स्त्री दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा और कहा कि भारत में स्त्री दिवस यही तिथि होनी चाहिए।