सम्पादकीय

भारतमें बढ़ती आबादीसे खतरा

योगेश कुमार गोयल पूरी दुनियाकी आबादी इस समय करीब ७.६ अरब है, जिसमें सबसे ज्यादा चीनकी आबादी १.४३ अरब है जबकि भारत आबादीके मामलेमें १.३४ अरब जनसंख्याके साथ विश्वमें दूसरे स्थानपर है। विश्वकी कुल आबादीमेंसे १७.८५ फीसदी लोग भारतमें रहते हैं और दुनियाके हर छह नागरिकोंमेंसे एक भारतीय हैं। यदि भारतमें जनसंख्याकी सघनताका स्वरूप देखें […]

सम्पादकीय

गुरुका ध्यान

बाबा हरदेव गुरुका ध्यान करके किया हुआ कर्म ही प्रधान हो जाता है। कई बार इनसान चालाकी भी कर जाता है, सोच लेता है कि आज भले मेला देखो, वहां हाजिरी तो लग ही जायगी। यह दिमागकी चालाकी है दिमागी खोज है। दिमाग जो सोचता है, उसमें बनावट हुआ करती है। वास्तवमें भक्ति दिमागका विषय […]

सम्पादकीय

कोरोनाके लिए पैकेज

कोरोनाकी तीसरी लहरका सामना करनेके लिए बहुआयामी तैयारियोंके बीच अपने मंत्रालयका दायित्व सम्भालनेके साथ नये केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री मनसुख मांडवियाने मंत्रिमण्डलकी महत्वपूर्ण बैठकमें भाग लेनेके उपरान्त कहा कि इसके निमित्त २३,१२३ करोड़के नये पैकेजकी स्वीकृति प्रदान की गयी है। इसमें १५ हजार करोड़ रुपये केन्द्र और आठ हजार करोड़ रुपये राज्य आवण्टित करेंगे। इस पैकेजको अगले […]

सम्पादकीय

मंत्रिमण्डल विस्तारके मायन

नीरज कुमार दुबेे    मंत्रिमंडलके विस्तार और फेरबदल करके प्रधानमंत्री मोदीने कुछ बड़े संदेश दिये हैं। पहला, व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा हो उसके कार्य प्रदर्शनकी गुणवत्तासे कतई समझौता नहीं किया जायेगा। दूसरा, किसी खास मंत्रालयका मंत्री यदि जनताकी अपेक्षाओंपर खरा नहीं उतरता तो उसके खिलाफ उपजी नाराजगीका असर पूरी सरकारपर नहीं पडऩे दिया जायेगा। तीसरा, […]

सम्पादकीय

हिंसक घटनाओंपर उदासीनता

 विष्णुगुप्त         लंबे समयसे बिहारमें आईएसआईकी दिलचस्पी रही है, आईएसआईका खतरनाक नेटवर्क रहा है, आईएसआईने बिहारमें अपने मोहरे और गुर्गे पाल रखे हैं जिनका काम बिहारमें आतंकवादको फैलाना, धर्म परिवर्तन कराना है। पुर्णिया जिलेके मझुवा गांवमें गत १९ मईको भीड़ हमला कर देती है। इसमें दलितोंके ५० से अधिक घरोंको जलाकर राख कर दिया जाता है, […]

सम्पादकीय

बढ़ती जनसंख्यासे देशका बिगड़ता स्वरूप

 रवि शंकर देशमें परिवार नियोजनके सघन प्रयासोंसे प्रजनन दरमें गिरावटके बावजूद महज कुछ सालोंमें भारत चीनको पछाड़कर दुनियाकी सबसे बड़ी आबादीवाला देश हो जायगा। संयुक्त राष्ट्र संघकी विश्व आबादीपर जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें कहा गया है कि २०२७ तक भारतकी आबादी दुनियामें सर्वाधिक होकर १५० करोड़के पार पहुंच जायगी। अभी भारतकी आबादी १३७ […]

सम्पादकीय

जीवनका निर्माण

श्रीराम शर्मा  विचारोंके आधारपर ही अनुभव परिपक्व होता है। उत्कृष्ट उत्तम विचार जीवनको ऊपर उठाते हैं। मनुष्यका जीवन उसके विचारोंका प्रतिबिंब है। किसी भी व्यक्तिके विचार जानकर उसके जीवनका नक्शा सहज ही मालूम किया जा सकता है। मनुष्यको कायर, वीर, स्वस्थ-अस्वस्थ, प्रसन्न-अप्रसन्न कुछ भी बनानेमें उसके विचारोंका महत्वपूर्ण हाथ होता है। तात्पर्य यह है कि […]

सम्पादकीय

सुरक्षाबलोंकी सफलता

जम्मू-कश्मीरमें सक्रिय आतंकियोंके खिलाफ सुरक्षाबलोंके अभियानके दौरान बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षाबलोंके साथ मुठभेड़में हिजबुल मुजाहिदीनके शीर्ष कमाण्डर सहित चार आतंकी मारे गये हैं। इनमें १२ लाख रुपयेका इनामी आतंकी मेहराजुद्दीन हलवाई भी शामिल है, जिसे अत्याधुनिक संचार उपकरणोंके इस्तेमालमें विशेष दक्षता प्राप्त थी। वह विगत दस वर्षोंसे सक्रिय था और अनेक निर्दोष लोगोंकी हत्या […]

सम्पादकीय

शिक्षकोंका सामाजिक मूल्यांकन

सुरेश शर्मा    यह सत्य है कि राष्ट्रनिर्माणमें बहुतसे व्यक्तियोंका योगदान होता है। शिक्षक राष्ट्रके निर्माणकर्ताओंका निर्माता कहा जाता है। चपरासीसे लेकर प्रधान मंत्रीके जीवन निर्माणमें शिक्षककी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जहां प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परामें गुरुओंका मान-सम्मान होता रहा है, वहींपर कभी-कभी उनका अपमान भी होता रहा है। एक बात निश्चित है कि जिस समाजमें […]

सम्पादकीय

विज्ञानसे उपजता स्वास्थ्य संकट

तिलक मानव जातिने प्रगतिके अनेक सोपानोंपर विजय प्राप्त की है। जो कार्य एक समय असंभव माने जाते थे, आज हमने उनको भी कर दिखाया है। हमने ऐसी भी उपलब्धियां हासिल की हैं जिनकी कल्पना हमारे पूर्वजोंने स्वप्नमें भी नहीं की होगी। सुईसे लेकर जहाजतकका निर्माण करना, मनुष्यका चांदपर पहुंचना, असाध्य रोगोंपर विजय प्राप्त करना, यह […]