सम्पादकीय

चीनी साम्राज्यवादके मुकाबलेका वक्त

जी. पार्थसारथी    रूस और अमेरिका, दोनों देशोंके साथ हमारे संबंध मधुर हैं। तथापि आजकी दुनियामें हकीकत यह है हमारी सीमाओंपर शी. जिनपिंगके नेतृत्ववाले चीनसे चुनौतियां दरपेश हैं। चीन अपनी बढ़ती आर्थिकी और सैन्य ताकतका निरंतर दुरुपयोग करते हुए १८ मुल्कोंके साथ लगती थलीय और जलीय सीमा संबंधी मनमाने दावे जता रहा है। हम यह भी […]

सम्पादकीय

सुचारू रूपसे चले स्ंसद

डा. गौरीशंकर राजहंस      प्रधान मंत्रीने विपक्षसे कहा कि आप धारदार प्रश्न पूछिए। परन्तु शांत वातावरणमें उसका उत्तर सुननेके लिए भी तैयार रहिये। क्योंकि संसदमें जो बहस होती है उसे भारतमें सब जगह जनता देखती है और भारत ही नहीं, भारतके बाहर भी लोग उसे देखते हैं और इस बातसे परिचित होते हैं कि भारतमें क्या […]

सम्पादकीय

संसदतक सिमटा किसान आन्दोलन

डा. श्रीनाथ सहाय  केंद्र सरकारके तीन नये कृषि कानूनोंके विरोधमें शुरू हुआ किसान आन्दोलन खत्म होनेका नाम नहीं ले रहा। संसदका मानसून सत्र चल रहा है। ऐसेमें एक बार फिरसे किसान आन्दोलन तेज होता दिख रहा है। दिल्ली बार्डरके साथ ही साथ किसान अब दिल्लीमें जंतर-मंतरमें प्रदर्शन कर रहे हैं। चालू सत्रमें किसान आन्दोलनकी गंूज […]

सम्पादकीय

आचरण

श्रीराम शर्मा आजकी समस्याओंका यही सबसे सही समाधान है कि ऐसे व्यक्तियोंकी संख्या बढ़े जो निजी स्वार्थोंकी अपेक्षा सार्वजनिक स्वार्थोंको प्रधानता दें और इस संदर्भमें अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करनेके लिए वैसी जीवन प्रक्रिया जीकर दिखायें जिसे सत्ताधारियोंके लिए आदर्श माना जा सके। यदि लोगोंमें समाजके हित साधनकी उतनी ही ललक हो जितनी अपने शरीर या […]

सम्पादकीय

न्याय व्यवस्था बने मजबूत

डा. भरत झुनझुनवाला      देशकी न्याय व्यवस्थाकी स्थिति अच्छी नहीं थी। हमारी यह दु:परिस्थिति तब थी जब कोरोनाके पहले हमारे न्यायालयोंमें लंबित वादोंकी संख्यामें विशेष वृद्धि नहीं हो रही थी। वर्ष २०१९ में १.१६ लाख वाद प्रतिमाह दायर किये गये थे जबकि १.१० लाख वाद प्रतिमाहमें निर्णय दिये गये। लंबित वादोंकी संख्यामें प्रति वर्ष केवल छह […]

सम्पादकीय

शिव उपासनाका महापर्व

हृदयनारायण दीक्षित सावन वर्षाका माह है। मेघ धरतीतक उतर आते हैं। यह शिव उपासनाका समय है। शिव अनुभूतिके निराले देवता हैं। शिव महादेव हैं। वैदिक देव सोम वनस्पतियोंके राजा हैं। शिव अपने मस्तकपर सोम धारण करते हैं।    सभी देवता सिर्फ देव हैं। शिव महादेव हैं। पौराणिक शिवके गले में सर्पोंकी माला है। वे विषपायी भी […]

सम्पादकीय

कहीं भारी न पड़ जाये लापरवाही

रमेश सर्राफ धमोरा विश्व स्वास्थ्य संघटन एवं दुनियाके बड़े वैज्ञानिक एवं चिकित्सा विशेषज्ञ सभी देशोंको लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वह अपने यहां लगायी गयी पाबंदियोंमें ढील न दे। दुनियाभरमें जल्दी ही कोरोनाकी तीसरी लहर आनेवाली है। कई देशोंमें तो कोरोनाकी तीसरी लहर प्रारंभ भी हो चुकी है। विशेषज्ञोंका कहना है कि तीसरी लहरमें […]

सम्पादकीय

जीवनकी गहराई

श्रीश्री रविशंकर जब हम शब्दोंकी शुद्धता को अनुभव करते है, तो हम जीवन की गहराई को अनुभव करते हैं और जीवन जीना आरंभ कर देते हैं। हम सुबह से रात तक शब्दों को ही जीते हैं। हम इनके पीछे के उद्देश्यों को खोजनेमें और उद्देश्यताको खोजनेमें सारे उद्देश्य भूल जाते हैं। यह इतना गंभीर हो […]

सम्पादकीय

गतिरोध अनुचित

कृषि सुधार कानूनोंके खिलाफ विगत आठ महीनोंसे चल रहे किसान संघटनोंके आन्दोलनका लम्बा चलना उचित प्रतीत नहीं होता है। केन्द्र सरकार और किसान संघटनोंके बीच ११ दौरकी बातचीत हो चुकी है लेकिन अबतक स्वीकार्य समाधान सामने नहीं आ सका है। दिल्लीकी सीमाओंपर किसान संघटनोंका आन्दोलन चल रहा है। तीनों कृषि कानूनोंके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे […]

सम्पादकीय

तीसरी लहरसे बचनेकी चुनौती

डा. जगत राम         लगभग एक सदी पहले आये स्पैनिश फ्लू वैश्विक महामारीके दौरान चार लहरें आयी थीं। कई देशोंमें मौजूदा नॉवेल कोरोना वायरस-कोव-२ की तीसरी लहर आ चुकी है। बेल्जियमकी महिलाको एक साथ दो प्रतिरूपों (वेरिएंट) से पीडि़त पाया गया है, इससे स्थिति और गंभीर बन गयी है। भारतमें भी एक महिला पायी गयी है, […]