सम्पादकीय

समरस समाज आवश्यक

राघवेन्द्र सिंह       समान नागरिक संहिताको इसलिए भी आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि इससे समाजमें कई समस्याओंका निराकरण होगा तथा हमारा समाज अधिक एकजुट दिखेगा। संविधानके भाग-४ में राज्यके नीति निदेशक सिद्धान्तोंका ब्यौरा है। संविधानके आर्टिकल-३६ से ५१ तकके जरिये राज्यको कई सुझाव दिये गये हैं। इनमें उम्मीद जतायी गयी है कि राज्य अपने नीतियां तय करते […]

सम्पादकीय

भीषण गर्मीमें बिजलीकी बढ़ती खपत

 तारकेश्वर मिश्र उत्तर भारतमें गर्मी अपने चरमपर है, लोगोंका गर्मीसे हाल बेहाल हो रखा है। ऐसेमें बिजलीकी खपत भी बढ़ रही है। स्थिति यह है कि राजधानी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थानके कई इलाकोंमें पारा ४५ डिग्रीको छू रहा है। ऐसेमें बिजलीकी खपत भी बेतहाशा बढ़ी है। बिजलीकी मांगके अनुरूप आपूर्ति न होनेके […]

सम्पादकीय

आध्यात्मिक पथ

श्रीश्री रवि शंकर  जीवन केवल पदार्थ ही नहीं, बल्कि इससे कहीं अधिक है। मानवीय जीवन पदार्थ एवं चेतना दोनोंका संयोजन है। यदि मानव केवल पदार्थ होता तो आरामकी आवश्यकता ही नहीं थी। क्योंकि पदार्थको आराम, बेचैनी, सुंदरता, बदसूरती, खुशी एवं दुखका अहसास नहीं होता। ऐसा तो केवल उन्हें ही हो सकता है जिनमें चेतना विद्यमान […]

सम्पादकीय

कांवड़ यात्रापर प्रश्न

कोरोना महामारीकी तीसरी लहरके खतरेके बीच आगामी २५ जुलाईसे प्रारम्भ होनेवाली कांवड़ यात्राके औचित्यपर ही सवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि यह आस्था और मानव जीवनकी रक्षासे जुड़ा प्रश्न है। उत्तराखण्डकी सरकारने विशेषज्ञोंकी संस्तुतियोंके आधारपर कांवड़ यात्रापर रोक लगा दी है। यह निर्णय मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामीकी अध्यक्षतामें हुई मंत्रिमण्डलकी बैठकमें किया गया है […]

सम्पादकीय

विफल हुआ पश्चिमी मीडिया

डा. अजय खेमरिया     भारतीय जनसंचार संस्थान यानी आईआईएमसीका यह विश्वसनीय सर्वे समवेत रूपसे विदेशी मीडिया संस्थानों खासकर बीबीसी, इकोनोमिस्ट, द गार्डियन, वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएनकी पक्षपातपूर्ण, झूठी रिपोर्टिंगको आमजनकी दृष्टिमें भी कटघरेमें खड़ा कर रहा है। नैतिक मापदंडोंपर जन्मना दोहरेपनका शिकार पश्चिमी मीडिया कोविड-१९ को लेकर कैसे निष्पक्षता और ईमानदारीका अबलंबन कर पाता। आईआईएमसीके […]

सम्पादकीय

नेपालमें देउबाकी वापसी

डा. रमेश ठाकुर        नेपालमें शेर बहादुर देउबाको देशकी कमान सौंपी जायगी, उम्मीद नहीं थी। अनुमानथा कि संसदीय चुनाव शीघ्र होंगे। क्योंकि इसके लिए नेपाल चुनाव आयोगने तारीखें भी मुकर्रर की हुई थीं। परन्तु सुप्रीम कोर्टने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया। इसके साथ ही फिर नेपालमें सत्तापरिवर्तन हुआ है। सुप्रीम कोर्टने पुराने मामलोंमें सीधा दखल देते […]

सम्पादकीय

देशकी जैव-विविधताका संरक्षण जरूरी

 अमित बैजनाथ गर्ग भारत जैव विविधता समृद्ध देश है। विश्वका २.४ प्रतिशत क्षेत्रफल होनेके बावजूद यह विश्वकी ७.८ प्रतिशत सभी दर्ज प्रजातियों (जिनमें ४५००० पादप प्रजातियां एवं ९१००० जंतु प्रजातियां) का पर्यावास स्थल है। विश्वके ३४ जैव विविधता हॉटस्पॉटमेंसे चार भारतमें हैं। विश्वके १७ मेगा&डायवर्सिटी देशोंमें भारत शामिल है। इस प्रकार जैव विविधता न केवल […]

सम्पादकीय

ऋषि परम्परा

हेमन्त रिछारिया सनातन धर्ममें गोत्रका बहुत महत्व है। गोत्रका शाब्दिक अर्थ तो बहुत व्यापक है। विद्वानोंने समय-समयपर इसकी यथोचित व्याख्या भी की है। गो अर्थात् इन्द्रियां, वहीं त्र से आशय है, रक्षा करना, अत: गोत्रका एक अर्थ इन्द्रिय आघातसे रक्षा करनेवाले भी होता है जिसका स्पष्ट संकेत ऋषिकी ओर है। सामान्यत: गोत्रको ऋषि परम्परासे संबंधित […]

सम्पादकीय

तीसरी लहरकी दस्तक

देशके एक शीर्ष वैज्ञानिकके दावोंपर विश्वास किया जाय तो भारतमें कोरोनाकी तीसरी लहरने दस्तक दे दी है जबकि डाक्टरोंके संघटन इण्डियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि तीसरी लहर दरवाजेपर है। स्थिति बिल्कुल स्पष्टï है कि देशमें तीसरी लहरके हालात उत्पन्न होने लगे हैं। प्रमुख भौतिक वैज्ञानिक और हैदराबाद विश्वविद्यालयके प्रोवाइसचांसलर डाक्टर विपिन श्रीवास्तवने […]

सम्पादकीय

आतंकी साजिश विफल

राजेश माहेश्वरी    उत्तर प्रदेशमें सिलसिलेवार विस्फोटोंकी साजिशको १५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवससे पहले ही दो-तीन दिनोंके अंतरालमें, अमलीजामा पहनाया जाना था। लखनऊके बाद कानपुरसे संदिग्धोंका पकड़ा गया है। एसटीएफ राज्यके कई शहरोंमें छापेमारी कर पूरे तंत्रको तहस-नहस करनेमें जुटी है। अगले साल पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंडमें होने जा रहे विधानसभा चुनावसे […]