सम्पादकीय

चैतन्यके स्वरूप 

ओशो उस परम सत्ता, उस ब्रह्मïको उस अविनाशीको ऋषिने ज्ञान कहा है। लेकिन जिस ज्ञानको हम जानते हैं, उस ज्ञानसे उसका कोई भी संबंध नहीं है। हम सदा किसी वस्तुके संबंधमें ज्ञानको उपलब्ध होते हैं, अकेला ज्ञान कभी नहीं होता। वृक्ष, मनुष्य, राहपर पड़े पत्थर, आकाशके सूर्यको जानते हैं, लेकिन जब भी जानते हैं तो […]

सम्पादकीय

जनादेशके निहितार्थ

कोरोना महामारीके भयावह कहरके बीच चार राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और केन्द्रशासित प्रदेश पुडुचेरी विधानसभाओंके सम्पन्न हुए चुनावोंके परिणामों और रुझानोंसे जो तस्वीर उभरकर सामने आयी है, उसके राजनीतिक निहितार्थ भी काफी महत्वपूर्ण है। सत्ता संग्रामकी केन्द्रीय भूमि पश्चिम बंगाल रही, जहां ममता बनर्जीके नेतृत्ववाली तृणमूल कांग्रेसने राज्यमें पुन: अपनी सरकार बनानेका मार्ग […]

सम्पादकीय

अमेरिकी सहयोगके प्रति आश्वस्त

अवधेश कुमार राष्ट्रपति जो बाइडेनने स्पष्ट कहा कि कठिन समयमें भारतने अमेरिकाकी मदद की थी और अब अमेरिकाकी बारी है। बाइडेनने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीसे हुई बातचीतका भी जिक्र किया। अमेरिकाके वर्तमान रुखको देखते हुए यह माननेमें कोई समस्या नहीं है कि भारतको आवश्यकतानुसार महामारीसे लडऩेमें वह अभी त्वरित गतिसे हरसंभव सहयोग करेगा। उसकी घोषणा […]

सम्पादकीय

कोरोनाकी भयावह स्थिति

डा. गौरीशंकर राजहंस    एम्सके प्रसिद्ध डाक्टरने कहा है कि आजादीके बाद भारतकी इतनी दयनीय स्थिति पहले कभी नहीं हुई थी। प्रतिदिन लाखों लोग इस बीमारीसे संक्रमित हो रहे हैं। गत २४ घंटेमें पूरे देशमें तीन लाख ८० हजारके ज्यादा लोग इस बीमारीसे संक्रमित हो गये और हजारों संक्रमित मरीजोंकी अकाल मृत्यु हो गयी। सबसे दुखद […]

सम्पादकीय

आनलाइन शिक्षा नियमनकी दिशामें प्रयास

सत्यम पाण्डेय कोरोनाकी वैश्विक आपदा अब अपने भयानक दौरमें प्रवेश कर गयी है। खासकर हमारा देश इस वक्त अभूतपूर्व संकटमें है। पिछले साल सितंबरमें तबतकके अधिकतम सक्रिय मरीज करीब दस लाख थे जो अब दोगुने हो गये हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि बहुत जल्दी ही यह संख्या भी द्विगुणित हो जाय। जाहिर है हमारी स्वास्थ्य […]

सम्पादकीय

ज्ञानकी महत्ता 

श्रीश्री रविशंकर ज्ञानीके पास जो कुछ है, उससे वह खुश है तथा जो कुछ नहीं है, उससे भी वह प्रसन्न है। मूर्खके पास जो भी है, उससे वह नाखुश है और जो कुछ नहीं है, उसके लिए अप्रसन्न। कोई व्यक्ति हमें दुख नहीं देता, न ही जीवनमें कोई वस्तु हमारे क्लेशका कारण होती है। यह […]

सम्पादकीय

राहत और चिन्ता

कोरोना महामारीके सन्दर्भमें राहत और गम्भीर चिन्ताकी बातें एक साथ सामने आयी हैं। केन्द्र सरकारके सलाहकार वैज्ञानिकोंका आकलन है कि कोरोना संक्रमणका उच्चतम बिन्दु (पीक) तीनसे पांच मईके बीच आ सकता है। इसके पश्चात्ï संक्रमणकी गतिमें गिरावटका क्रम शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि यह आकलन पूर्वके अनुमानसे एक सप्ताह पहले ही […]

सम्पादकीय

कोविडके नये स्वरूपका संकट

डा. भरत झुनझुनवाला  आक्सफोर्ड इकनामिक्सने आकलन किया था कि २०२१ में कुछ गिरावट आनेके बाद २०२२ से विश्व अर्थव्यवस्था पुरानी गतिसे चलती रहेगी। वह आकलन भी निरस्त होता ही जान पड़ता है। इस दुर्गम परिस्थितिमें सरकारकी ऋण लेकर संकटको पार करनेकी नीति बहुत ही भारी पड़ेगी। २०२०-२१ में ऋण लेकर यदि २०२१-२२ में अर्थव्यवस्था चल […]

सम्पादकीय

प्राणवायुकी उपयोगिता

हृदयनारायण दीक्षित कोरोना फेफड़ों और श्वसनतंत्रपर विपरीत प्रभाव डालती है। स्वाभाविक श्वसन क्रियामें फेफड़ोंके संकुचन एवं प्रसारसे शरीरको जरूरी प्राणवायु मिलती रहती है लेकिन संक्रमणमें फेफड़ोंका श्वसन स्वाभाविक नहीं रहता। कोरोना पीडि़त विश्वका ध्यान आक्सीजनपर है। शरीरके लिए जरूरी  प्राणवायुके अभावमें जीवन नहीं चलता। प्राणरक्षाके लिए आक्सीजन जरूरी है। आक्सीजन आपूर्तिका विषय शीर्ष महत्वपर हैं […]

सम्पादकीय

स्वास्थ्य सेवाओंकी सेवा सुनिश्चित हो

डा. वरिंदर भाटिया एक कड़वे सत्यके रूपमें कोरोनाके इलाजसे लड़ते देशका वीभत्स मंजर हमारे समक्ष है। एक कहानी थी जिसमें दरवाजेपर लगा पर्दा बहुत खूबसूरत होता है और घरके अंदरका पूरा माहौल बहुत अधिक बदसूरत। कोरोनाकी वजहसे हमारी स्वास्थ्य प्रणालीपर यह पर्दा उठ गया है और भेद भी खुल गया है। पेशेवर प्रबंधनकी कमीसे जूझती […]