सम्पादकीय

मनोरंजनकी आड़में विकृतिको जन्म

डा. श्रीनाथ सहाय अबतक तो केवल इण्टरनेटके जरिये फैले पोर्नोग्राफीके कारोबारको लेकर ही चिन्ता व्यक्त की जाती थी किन्तु अब ओटीटी रूपी इस माध्यमने डरावनी स्थित उत्पन्न कर दी है। एक समय था जब भारतमें मां-बाप बच्चोंको सिनेमा देखनेतकसे रोकते थे। लेकिन पहले टेलीविजन और उसके बाद इण्टरनेटके उदयने मनोरंजनको सर्वसुलभ कर दिया। जिन बच्चोंको […]

सम्पादकीय

अनन्त कालतक युवा बननेकी चाहत

रंजना मिश्र हालमें ही इसरायलके वैज्ञानिकोंने एक ऐसी क्रांतिकारी रिसर्चकी है जिससे व्यक्ति हमेशा जवान बना रहेगा और वह ७५ वर्षकी आयुमें भी २५ वर्षके जवान जैसा शरीर बनाये रख सकेगा। जिन बुजुर्गोंपर यह प्रयोग किया गया उनका शरीर अब २५ वर्षके युवाओं जैसा हो गया है। यदि यह रिसर्च सफल हुई तो यह दुनियाके […]

सम्पादकीय

ईष्र्या और स्पर्धा

वी.के.जायसवाल इस दुनियामें अच्छे लोगोंकी कमी नहीं है जो अपार दुखोंको देखकर दुखी हो जाते हैं। किंतु यह भी सत्य है कि ऐसे लोगोंकी भी संख्या भी अत्यधिक है जो दूसरो के सुखको देखकर कुंठित हो जाते हैं। ऐसे ही लोगोंको ईष्र्यालुकी संज्ञा दी जाती है। मानव स्वभावका यह एक ऐसा घातक दुर्गुण है जो […]

सम्पादकीय

कोरोनासे आर्थिक क्षति

कोरोना संकट कालके दौरान इससे बचावके लिए लगाये गये लाकडाउनके कारण अर्थव्यवस्थाको हुई क्षतिका सहज अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है। इस अवधिमें आर्थिक सुस्तीसे दस हजारसे अधिक कम्पनियां बंद कर दी गयीं। केन्द्रीय कारपोरेट मंत्रालयकी रिपोर्टमें दी गयी जानकारीके अनुसार अप्रैल २०२० से लेकर फरवरी २०२१ के दौरान भारतमें १०,११३ कम्पनियोंने कम्पनी अधिनियम, २०१३ […]

सम्पादकीय

अर्थव्यवस्थाकी गतिशीलता

डा.जयंतीलाल भंडारी वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीजने भारतीय अर्थव्यवस्थामें सुधार लाते हुए इसे सात प्रतिशत कर दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले माह २६ फरवरीको राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किये गये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ोंके अनुसार चालू वित्त वर्ष २०२०-२१ की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर २०२०) में विकास दरमें ०.४ फीसदीकी […]

सम्पादकीय

बंगालमें कांटेदार मुकाबला

राजेश माहेश्वरी बंगालकी चुनावी लड़ाई दिलचस्प और कांटेदार हो चुकी है। ममता बनर्जी जुझारू योद्धाकी भांति मैदानमें मजबूतीसे डटी हैं। बीते दिनों प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीकी परेड ग्राउण्डमें चुनावी रैलीके बाद बंगालमें चुनाव प्रचारने और तेजी पकड़ी है। प्रधान मंत्रीकी पहली रैलीमें अभिनेता मिथुन चक्रवर्तीने भाजपाका दामन थाम लिया। मिथुन दादाके भाजपामें आनेसे लड़ाईमें धार […]

सम्पादकीय

विश्व बंधुत्वमें महिलाओंका योगदान

हरीश बड़थ्वाल धरतीपर जीवन विलुप्त न हो, आबादीका पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिलसिला ठप्प न हो जाय, इस आशयसे प्रकृतिकी व्यवस्थामें सन्तानोत्पश्रिका जिम्मा माताओंका है। समस्त प्राणि जगतमें नन्होंकी पैदाइश और परवरिशका दारोमदार मादा वर्गपर है। यूक्रेन, रूस, बेलारस, बलगेरिया, लातविया, लिथुआनिया, हंगरी, रोमानिया, स्पेन, जापान, मालदीव सहित जिन देशोंमें प्रजनन दर निम्न, अतिनिम्न, शून्य या ऋणात्मक है, […]

सम्पादकीय

शिव महिमा

शिवप्रसाद ‘कमल’ शिवका अर्थ है कल्याण करनेवाला। जगत्ïमें सर्वत्र कल्याण कारक तत्व विमान है। सारी सृष्टिï शिवमय है। शक्तिके साथ शिव सदा चिरण करनेवाले योगी हैं। विरक्ति और सम्पृक्ति शिवका सबसे बड़ा गुण है। आदि शंकराचार्य कहते हैं, शंकर ही माया कुहेलिकाके आर-पार देखनेवाला अनश्वर अविनाशी देव है। तारा महारानी उसीके साथ विचरण करनेवाली शक्ति […]

सम्पादकीय

आरक्षणपर चिन्तन

आरक्षणकी सीमाको लेकर शीर्ष न्यायालयका गम्भीर होना उचित और प्रासंगिक है। आजके दौरमें वोटकी राजनीतिने आरक्षणको ब्रह्मास्त्र बना दिया है, जो गम्भीर चिन्ता और चिन्तनका विषय है। भारतीय संविधानमें अधिकतम ५० प्रतिशत आरक्षणका प्रावधान किया गया है लेकिन विगत कुछ वर्षोंमें कुछ राज्योंने ५० प्रतिशतसे अधिक आरक्षण देनेकी कोशिश की, जिससे भ्रमकी स्थिति उत्पन्न हो […]

सम्पादकीय

अब सम्भलना होगा कांग्रेसको

अवधेश कुमार     कांग्रेसकी दशा देखकर देशवासी हताश हैं। पार्टीके लिए चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेशोंके विधानसभा चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं यह बतानेकी आवश्यकता नहीं। केंद्रीय नेताओंमें केवल राहुल गांधी तमिलनाडुसे पुडुचेरी और केरलतकके चुनाव प्रचारमें दिख रहे हैं। प्रियंका वाड्रा भी असममें दिखी हैं। दूसरी ओर कांग्रेसके वरिष्ठ नेताओंके रूपमें पहचान रखनेवाले कई चेहरे […]